करनाल: हिंदू धर्म में तीज, त्योहार और धार्मिक अनुष्ठानों को करने की विशेष परंपरा है. हर व्रत और त्योहार का अपना एक खास महत्व है. शायद यही वजह है कि उसको एक विशेष तरीके से मनाया जाता है. हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है. श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधि-विधान से तर्पण और पिंडदान किया जाता है. इस साल श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. आइए जानते हैं श्राद्ध पक्ष का क्या महत्व है.
श्राद्ध पक्ष का महत्व: श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. इन दिनों के दौरान सभी लोग अपने पूर्वज जिनका स्वर्गवास हो गया है, उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं, यह 16 दिन सिर्फ पितरों को ही समर्पित होते हैं. श्राद्ध पक्ष में उनकी आत्मा और उनका मोक्ष की प्राप्ति के लिए धान तर्पण और अनुष्ठान किए जाते हैं.
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पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष पक्ष है श्राद्ध पक्ष: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि यह न सिर्फ पितरों की आत्मा की शांति के लिए बल्कि पितरों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए भी किए जाते हैं. किसी इंसान की कुंडली में पितृ दोष हो जाता है तो उसके लिए भी इन दिनों के दौरान विशेष तौर पर पूजा अर्चना और अनुष्ठान किए जाते हैं. कुछ लोग इन दिनों के दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र कुंड या सरोवर में जाकर स्नान इत्यादि करके उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं और फिर दान व तर्पण करते हैं.
किसे कहते हैं पितर और क्या होते हैं श्राद्ध: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि किसी भी इंसान के परिवार के सदस्य आए चाहे वह विवाहित है या अविवाहित बच्चों से लेकर बुजुर्ग, स्त्री या फिर पुरुष अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनको पितृ कहा जाता है. मान्यता है कि पितृपक्ष उनके परिवार के सदस्य मृत्यु लोक से पृथ्वी पर पितरों के रूप में आते हैं और इन दिनों के दौरान उनके लिए उनकी पूजा अर्चना की जाती है और उनके लिए धान तर्पण और अनुष्ठान किए जाते हैं. जिससे उनकी आत्मा को शांति तो मिलती ही है. इसके साथ ही उनकी खुशहाली से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. मान्यता है कि अगर कोई इंसान इन दिनों अपने पितरों के लिए तर्पण इत्यादि नहीं करते उनकी कुंडली में पितृ दोष लग जाता है. हालांकि ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.
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