ETV Bharat / state

Sharad Purnima 2023 : ये है शरद पूर्णिमा की सही तारीख, खीर का भोग लगाने से पहले जान लीजिए खास बातें

Sharad Purnima 2023 : माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी से अमृत वर्षा होती है. ऐसे में इस साल कब है शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और आपको खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने से पहले किन-किन सावधानियों का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा, आइए आपको हर जानकारी विस्तार से बताते हैं.

Sharad Purnima 2023 know date time shubh muhurt puja vidhi chandra grahan 2023 important rules offering kheer
शरद पूर्णिमा की सही तारीख, खीर का भोग लगाने से पहले जान लीजिए खास बातें
author img

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 25, 2023, 10:56 PM IST

Updated : Oct 26, 2023, 10:07 AM IST

करनाल : शरद पूर्णिमा का सनातन धर्म में खासा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा का अन्य सभी पूर्णिमाओं से ज्यादा महत्व बताया गया है.

16 कलाओं का महत्व : माना जाता है कि ये एकमात्र ऐसा दिन है जब चंद्र देव अपनी 16 कलाओं के साथ दर्शन देते हैं. किसी भी प्रकार के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिए 16 कलाएं पूर्ण मानी जाती हैं. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि कृष्ण भगवान भी 16 कलाओं में परिपूर्ण थे.

ये भी पढ़ें : How to Add Name in Voter list Haryana : हरियाणा की वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने और सुधारने की क्या है पूरी प्रोसेस ? जानिए पूरी डिटेल्स

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व : इस दिन विशेष तौर पर भगवान श्रीकृष्ण, चंद्र देव और धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही ये भी माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव पृथ्वी के सबसे नजदीक होते हैं. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है और इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा के सामने रखी जाती है. जब चंद्रमा की किरणें उस खीर पर पड़ती है तो वो खीर अमृत के समान हो जाता है. इसलिए इस दिन आप भी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं और उस खीर के सेवन से अच्छा स्वास्थ्य और मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं.

पृथ्वी पर आती है मां लक्ष्मी : ये भी माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है. इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. उनकी पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

ये भी पढ़ें : Rewari News : रेवाड़ी में रावण दहन से पहले ही कैसे जला 'रावण' , वीडियो के जरिए जानिए क्या है पूरा मामला ?

कब है शरद पूर्णिमा ? : पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का आरंभ 28 अक्टूबर को सुबह 4:17 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 29 अक्टूबर को सुबह 1:53 मिनट पर होगा. इसलिए शरद पूर्णिमा को सूर्य उदय तिथि के साथ 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्र देव के दर्शन का भी विशेष महत्व है और इस दिन चंद्रोदय 28 अक्टूबर को शाम 5:20 पर होगा.

माता लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त : पंडित जी ने आगे बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसका शुभ उत्तम मुहूर्त सुबह 7:54 से सुबह 9:17 तक रहेगा. सर्वोत्तम अमृत मुहूर्त दोपहर 2:52 से 4:16 तक रहेगा. इस दौरान माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें : Faridabad News: डांडिया नाइट में बेटी का नंबर मांग रहे थे लड़के, फिर क्या हुआ...जिससे पिता की हो गई मौत



शरद पूर्णिमा पर पूजा करने की विधि : शरद पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान इत्यादि करके दान करने का विशेष महत्व होता है. उसके बाद अपने घर के मंदिर में देसी घी का दीपक जलाएं. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, वे मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद अपना व्रत रख सकते हैं. आप चंद्र देव के दर्शन करने के बाद अपने मंदिर में पूजा अर्चना करें और प्रसाद का भोग माता लक्ष्मी के आगे लगाए. फिर पूजा अर्चना कर व्रत का पारण कर लें.

शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण : शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात को 1:26 पर शुरू होगा जबकि इसका समापन रात के ही 2:22 पर होगा. चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है, इसलिए 9 घंटे पहले किसी भी प्रकार के खानपान का सेवन न करें और चंद्र ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतें क्योंकि ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा.

करनाल : शरद पूर्णिमा का सनातन धर्म में खासा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. शरद पूर्णिमा का अन्य सभी पूर्णिमाओं से ज्यादा महत्व बताया गया है.

16 कलाओं का महत्व : माना जाता है कि ये एकमात्र ऐसा दिन है जब चंद्र देव अपनी 16 कलाओं के साथ दर्शन देते हैं. किसी भी प्रकार के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करने के लिए 16 कलाएं पूर्ण मानी जाती हैं. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि कृष्ण भगवान भी 16 कलाओं में परिपूर्ण थे.

ये भी पढ़ें : How to Add Name in Voter list Haryana : हरियाणा की वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने और सुधारने की क्या है पूरी प्रोसेस ? जानिए पूरी डिटेल्स

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व : इस दिन विशेष तौर पर भगवान श्रीकृष्ण, चंद्र देव और धन-धान्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही ये भी माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव पृथ्वी के सबसे नजदीक होते हैं. माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत होता है और इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे चंद्रमा के सामने रखी जाती है. जब चंद्रमा की किरणें उस खीर पर पड़ती है तो वो खीर अमृत के समान हो जाता है. इसलिए इस दिन आप भी धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं और उस खीर के सेवन से अच्छा स्वास्थ्य और मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं.

पृथ्वी पर आती है मां लक्ष्मी : ये भी माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती है. इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. उनकी पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.

ये भी पढ़ें : Rewari News : रेवाड़ी में रावण दहन से पहले ही कैसे जला 'रावण' , वीडियो के जरिए जानिए क्या है पूरा मामला ?

कब है शरद पूर्णिमा ? : पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा का आरंभ 28 अक्टूबर को सुबह 4:17 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 29 अक्टूबर को सुबह 1:53 मिनट पर होगा. इसलिए शरद पूर्णिमा को सूर्य उदय तिथि के साथ 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन चंद्र देव के दर्शन का भी विशेष महत्व है और इस दिन चंद्रोदय 28 अक्टूबर को शाम 5:20 पर होगा.

माता लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त : पंडित जी ने आगे बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसका शुभ उत्तम मुहूर्त सुबह 7:54 से सुबह 9:17 तक रहेगा. सर्वोत्तम अमृत मुहूर्त दोपहर 2:52 से 4:16 तक रहेगा. इस दौरान माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें : Faridabad News: डांडिया नाइट में बेटी का नंबर मांग रहे थे लड़के, फिर क्या हुआ...जिससे पिता की हो गई मौत



शरद पूर्णिमा पर पूजा करने की विधि : शरद पूर्णिमा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान इत्यादि करके दान करने का विशेष महत्व होता है. उसके बाद अपने घर के मंदिर में देसी घी का दीपक जलाएं. कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं, वे मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद अपना व्रत रख सकते हैं. आप चंद्र देव के दर्शन करने के बाद अपने मंदिर में पूजा अर्चना करें और प्रसाद का भोग माता लक्ष्मी के आगे लगाए. फिर पूजा अर्चना कर व्रत का पारण कर लें.

शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण : शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात को 1:26 पर शुरू होगा जबकि इसका समापन रात के ही 2:22 पर होगा. चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो जाता है, इसलिए 9 घंटे पहले किसी भी प्रकार के खानपान का सेवन न करें और चंद्र ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतें क्योंकि ये चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा.

Last Updated : Oct 26, 2023, 10:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.