करनाल: सनातन धर्म में व्रत और त्योहार का बहुत महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार आज ( गुरुवार 9 नवंबर को) रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. हिंदू वर्ष में एक साल में 24 एकादशी आती हैं, जिनका अपने आप में विशेष महत्व होता है, लेकिन सभी एकादशियों में से रमा एकादशी का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. क्योंकि ये एकादशी भगवान विष्णु के प्रिय महीने कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आती है. दीपावली से पहले इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है.
भगवान विष्णु की होती है पूजा :रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. माना जाता है कि विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की एक साथ पूजा अर्चना करने से परिवार में सुख समृद्धि आती है. मान्यता है कि रमा एकादशी का व्रत रखने से इंसान को ब्रह्महत्या के साथ-साथ कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.
रमा एकादशी का आरंभ: पंडित लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है. रमा एकादशी का आरंभ 8 नवंबर को सुबह 8:23 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 9 नवंबर को सुबह 10:41 पर पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार को उदया तिथि के अनुसार ही मनाया जाता है इसलिए रमा एकादशी का व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा.
पूजा करने का शुभ मुहूर्त: एकादशी के दिन 9 नवंबर को पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:39 से शुरू होकर सुबह 8:00 तक रहेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार व्रत के पारण का समय 10 नवंबर को सुबह 6:45 से शुरू होकर 8:50 तक रहेगा.
रमा एकादशी पूजा विधि विधान: पंडित ने बताया कि रमा एकादशी के दिन इंसान सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी तालाब एवं कुंड में स्नान करें चाहिए, उसके उपरांत मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. पूजा के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीला रंग के फल फूल वस्त्र और मिठाई के साथ तुलसी दल भी अर्पित करें.
पूजा के दौरान भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराना ना भूले और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने उपरांत उनको प्रसाद का भोग लगाए और जिस इंसान को व्रत रखना है. वो व्रत रखने का प्रण लें, व्रत रखने वाला इंसान एकादशी के दिन निर्जला व्रत रखता है. इसलिए एकादशी के दिन कुछ भी ग्रहण ना करें. इस दिन विष्णु भगवान के लिए विष्णु पुराण भी पढ़ सकते हैं.