करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार राखी का त्योहार सावन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और सावन महीने की पूर्णिमा की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से होगी, जबकि 31 अगस्त को सुबह 7:04 बजे इसका समापन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष भद्रा काल का रक्षाबंधन पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव देखने को मिल रहा है. जो आज लगभग 10 घंटे भद्राकाल लगा रहेगा. भद्रा काल की शुरुआत पूर्णिमा शुरू होने के साथ ही 10:59 से शुरू होगी, जबकि इसका समापन रात के 9:02 पर होगा. ज्योतिषाचार्य के अनुसार काफी वर्षों बाद रक्षाबंधन के दिन इतना लंबे समय भद्रा काल लगा रहेगा, जो काफी अशुभ माना जा रहा है इस अवधि के राखी नहीं बांधी जा सकती.
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, बहुत वर्षों के बाद भद्रा काल का इतना लंबा समय रक्षाबंधन के दिन दिखाई दे रहा है. इसकी वजह से रक्षाबंधन की राखी बांधने के लिए भी बहनें सोच विचार में पड़ गई हैं कि आखिरकार वह किस समय राखी बांधे. लेकिन, पंडित विश्वनाथ ने बताया है कि भद्रा काल के चलते इस साल रक्षाबंधन 2 दिन मनाया जा रहा है और दो दिन ही राखी बांधने के शुभ मुहूर्त है. हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा शुरू होते ही भद्रा काल शुरू हो जाएगा और 30 अगस्त को रात 9:02 बजे खत्म होगा. इसलिए रात के 9:02 बजे तक किसी भी प्रकार का राखी बांधने का शुभ मुहूर्त नहीं है.
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2 दिन रक्षाबंधन का त्योहार: रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 2 दिन मनाया जा रहा है. भद्रा काल खत्म होने के बाद 30 अगस्त को रात के 9:02 बजे के बाद मध्य रात्रि 12:28 बजे तक राखी बांधने का हिंदू पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त है. दूसरा शुभ मुहूर्त 31 अगस्त के सुबह सूर्योदय के बाद सुबह 7:04 बजे तक रहेगा. जो बहानें किसी कारणवश अपने भाई को आज रात के शुभ मुहूर्त के समय राखी नहीं बांध सकतीं, वह अपने भाई को कल यानी गुरुवार 31 अगस्त को सुबह 7:04 बजे तक शुभ मुहूर्त में राखी बांध सकती हैं. भद्रा काल का ज्यादा लंबा होने के कारण ही ज्योतिषाचार्यों के द्वारा हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 2 शुभ मुहूर्त निकाले गए हैं.
भद्रा काल में क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, भद्रा काल के समय राखी बांधना काफी अशुभ माना जाता है. इसलिए हर बहन अपने भाई को भद्रा काल के दौरान राखी नहीं बंधती. पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी, जिसके बाद रावण की भगवान श्री राम के हाथों मृत्यु हो गई थी. मान्यता है कि तभी से कोई भी बहन अपने भाई को भद्रा काल में राखी नहीं बांधती है.
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