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Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत पर आज ऐसे करें भगवान भोलेनाथ की पूजा, शिव शंभु की बरसेगी कृपा

हिंदू पंचांग के अनुसार त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2023) के दिन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं पूजा विधि और शुभ मुहूर्त...

Pradosh Vrat 2023
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
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Published : Feb 3, 2023, 5:11 AM IST

करनाल: हर महीने में दो त्रयोदशी पड़ती है. इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस साल के दूसरे महीने यानी फरवरी महीने का पहला और माघ का दूसरा प्रदोष व्रत 3 फरवरी शुक्रवार को पड़ रहा है. इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति पर शिव की कृपा होती है. माघ महीने में पड़ रहा गुरु प्रदोष व्रत विशेष फलदायी माना जा रहा है. मान्यता है कि जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए भगवान शिव की सायंकाल पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. उनको सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

प्रदोष व्रत पूजा तिथि: वैदिक पंचांग के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 फरवरी 2023 को पड़ रही है. वहीं, गुरु प्रदोष व्रत का आरंभ 2 फरवरी 2023 को शाम 4 बजकर 25 मिनट से होगा और इसका अंत 3 फरवरी शाम 08 बजकर 58 मिनट पर होगा.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त: गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से आरंभ होगा और रात 08 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इसलिए पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंंटे से ज्यादा रहेगा.

प्रदोष व्रत पूजन विधिः करनाल के आचार्य पंडित विश्वनाथ के अनुसार प्रदोष व्रत के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. पूजा के समय पूजा स्थल पर मुंह, उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प, अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप अर्पित करें.

प्रदोष व्रत पर क्या करें और क्या न करें: मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन 'ऊं नमः शिवाय' पंचाक्षरीय मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन शिव चालीसा का भी पाठ करें. इसके बाद आरती करें और पूजा में गलती के लिए क्षमा मांगें. पूजा संपूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटना चाहिए. रात में फिर स्नान कर पूजा करें और भगवान शिवजी के सामने घी का दीया जलाएं. प्रदोष के दिन आठ दिशाओं में दीपक जलाएं. नमक और अनाज का व्रत में सेवन न करें.

प्रदोष व्रत का महत्वः शिव प्रदोष व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस व्रत के प्रभाव से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है. प्रदोष व्रत इस दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. इस व्रत के प्रताप से भक्त को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. एक प्रदोष व्रत से दो गाय के दान के बराबर पुण्य फल मिलता है.

ये भी पढ़ें: इस श्राप के कारण भगवान विष्णु बन गए थे पत्थर! अब उसी शालिग्राम शिला से बनेगी भगवान श्री राम की मूर्ति

करनाल: हर महीने में दो त्रयोदशी पड़ती है. इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस साल के दूसरे महीने यानी फरवरी महीने का पहला और माघ का दूसरा प्रदोष व्रत 3 फरवरी शुक्रवार को पड़ रहा है. इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति पर शिव की कृपा होती है. माघ महीने में पड़ रहा गुरु प्रदोष व्रत विशेष फलदायी माना जा रहा है. मान्यता है कि जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए भगवान शिव की सायंकाल पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. उनको सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.

प्रदोष व्रत पूजा तिथि: वैदिक पंचांग के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 फरवरी 2023 को पड़ रही है. वहीं, गुरु प्रदोष व्रत का आरंभ 2 फरवरी 2023 को शाम 4 बजकर 25 मिनट से होगा और इसका अंत 3 फरवरी शाम 08 बजकर 58 मिनट पर होगा.

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त: गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शुक्रवार को शाम 06 बजकर 02 मिनट से आरंभ होगा और रात 08 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इसलिए पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंंटे से ज्यादा रहेगा.

प्रदोष व्रत पूजन विधिः करनाल के आचार्य पंडित विश्वनाथ के अनुसार प्रदोष व्रत के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. पूजा के समय पूजा स्थल पर मुंह, उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प, अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप अर्पित करें.

प्रदोष व्रत पर क्या करें और क्या न करें: मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन 'ऊं नमः शिवाय' पंचाक्षरीय मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन शिव चालीसा का भी पाठ करें. इसके बाद आरती करें और पूजा में गलती के लिए क्षमा मांगें. पूजा संपूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटना चाहिए. रात में फिर स्नान कर पूजा करें और भगवान शिवजी के सामने घी का दीया जलाएं. प्रदोष के दिन आठ दिशाओं में दीपक जलाएं. नमक और अनाज का व्रत में सेवन न करें.

प्रदोष व्रत का महत्वः शिव प्रदोष व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस व्रत के प्रभाव से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है. प्रदोष व्रत इस दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है. इस व्रत के प्रताप से भक्त को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. एक प्रदोष व्रत से दो गाय के दान के बराबर पुण्य फल मिलता है.

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