करनाल: होली से पहले पड़ने वाली फुलेरा दूज को हिंदू धर्म में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. फुलेरा दूज पर भगवान श्रीकृष्ण और राधा माता की पूजा-अर्चना की जाती है और पूजा के दौरान उन पर फूलों की होली बरसाई जाती है. माना जाता है कि यह दिन काफी शुभ होता है और इस दिन काफी संख्या में शादियां होती हैं. हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि फुलेरा दूज यह किसी भी तरह के नकारात्मक प्रभाव और दोषों से प्रभावित नहीं होती इसलिए बिना किसी शुभ मुहूर्त के इस दिन बेफिक्र होकर शादी का मुहूर्त रख सकते हैं.
हिंदू शास्त्रों में फुलेरा दूज का काफी महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा की पूजा करने से मनुष्य को शुभ लाभ की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. यह स्थिति इतनी शुभ मानी जाती है कि इस दिन आप किसी भी शुभ कार्य को बिना पंचांग देखे कर सकते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार फुलेरा दूज फाल्गुन महीने के बिल्कुल बीच का दिन होता है, जो बसंत पंचमी और होली के बीच का दिन माना जाता है.
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त 21 फरवरी दिन मंगलवार को सुबह 9:04 से प्रारंभ हो रहा है. जबकि इसका समापन 22 फरवरी बुधवार को सुबह 5:57 मिनट पर होगा. इस दौरान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है. श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा का शुभ मुहूर्त का समय शाम 6:13 से लेकर शाम 6:38 तक है.
वैसे तो फुलेरा दूज का पूरा दिन ही शुभ माना जाता है लेकिन अगर इस समय के दौरान आप किसी भी नए और शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं तो यह और भी ज्यादा अच्छा माना जाता है. शास्त्रों में लिखा गया है कि फुलेरा दूज के दिन हर दोष दूर होते हैं इसलिए शास्त्रों में इस दिन को दोष रहित दिन भी कहा गया है. एक दिन आप बिना पंचांग देखे ही किसी भी कार्य की शुरूआत कर सकते हैं चाहे वो आपके विवाह हो, किसी नए काम की शुरुआत हो या अपने किसी के साथ पैसे आदि की लेनदेन. शास्त्रों के अनुसार इस दिन को राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना गया है. इसलिए इस दिन काफी मात्रा में विवाह का योग बनता है.
फुलेरा दूज की पूजा की विधि- फुलेरा दूज के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें. उसके बाद भगवान श्री कृष्ण और राधा माता की पूजा अर्चना करें. इस दिन भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और माखन मिश्री का भोग लगाकर उनकी पूजा करें. वही राधा माता को सिंगार का सामान अर्पित करके उनकी पूजा करें. शास्त्रों में लिखा गया है कि ऐसा करने से अगर किसी इंसान के विवाह में देरी हो गई है तो वह खत्म हो जाती है और विवाह के योग बन जाते हैं.
उसके बाद भगवान कृष्ण के साथ रंग बिरंगे फूलों के साथ होली खेलें और उनको फूल अर्पित करें. यह त्यौहार होली से 15 दिन पहले मनाया जाता है इसलिए होली के आगामी उत्सव के रूप में भगवान की मूर्ति पर थोड़ा गुलाल चढ़ाना चाहिए जिससे भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं. इस दिन आप भगवान श्री कृष्ण का कीर्तन लगा कर अपने आप को उनके प्रति समर्पित कर सकते हैं. ऐसा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.