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पौष अमावस्या 2024 आज, जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Paush Amavasya 2024: अभी पौष का महीना चल रहा है. हिंदू धर्म में पौष अमावस्या का बहुत महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार 11 जनवरी को पौष अमावस्या है. इस दिन पवित्र नदी, तालाब और कुंड में स्नान करने के बाद दान करने का विशेष महत्व है.

Paush Amavasya 2024
पौष अमावस्या 2024
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 9, 2024, 12:38 PM IST

Updated : Jan 11, 2024, 10:43 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में पौष मास की अमावस्था तिथि का बहुत महत्व है. पौष अमावस्या को भगवान विष्णु, महादेव और सूर्य की पूजा की जाती है. इस दिन पितरों के तर्पण से भी पुण्य प्राप्त होता है.

पौष अमावस्या की तिथि: पंडित राकेश गोस्वामी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार पौष महीने की पौष अमावस्या तिथि का आरंभ 10 जनवरी को रात आठ बज कर दस मिनट से शुरू हो रहा है और इसका समापन 11 जनवरी को शाम के पांच बज कर छब्बीस मिनट पर हो रहा है. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पौष अमावस्या को 11 जनवरी के दिन मनाया जाएगा. स्नान करने और पितरों की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5:15 से 11:48 तक रहेगा.

पौष अमावस्या का महत्व: पंडित राकेश गोस्वामी के अनुसार हिंदू वैदिक पंचांग में पौष महीने के कृष्ण पक्ष की जो अंतिम तिथि होती है उस दिन पौष अमावस्या मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदी तालाब इत्यादि में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. स्नान करने के उपरांत दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. पौष महीना पितरों का छोटा पितृ पक्ष कहा गया है. इसलिए इस दिन पितरों के लिए पूजा पाठ और तर्पण किए जाते हैं. अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग पिंडदान करते हैं. पितृ दोष ओर कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए व्रत करने से फायदा होता है. अमावस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए. अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. ऐसा करने से परिवार में आर्थिक संकट दूर होता है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.

पूजा की विधि: अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसके लिए कालसर्प की पूजा की जाती है. पंडित राकेश गोस्वामी के अनुसार कालसर्प की पूजा करने के लिए पौष अमावस्या के दिन चांदी का बनाया हुआ नाग नागिन की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करें और पूजा अर्चना करने के बाद उसको चलते पानी में प्रवाहित करें. अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष दूर होता है. अमावस्या के दिन पूजा अर्चना करने के बाद जरूरतमंदों को भोजन करायें और उसके उपरांत उनको अपनी क्षमता अनुसार दान करें.

ये भी पढ़ें: 15 जनवरी को सूर्य देव मकर में करेंगे प्रवेश, जानिए आपकी राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

ये भी पढ़ें: अयोध्या की तरह हिमाचल में भी राम मंदिर, जहां विराजते हैं भगवान रघुनाथ, जानें इनसे जुड़ी मान्यता

करनाल: हिंदू धर्म में पौष मास की अमावस्था तिथि का बहुत महत्व है. पौष अमावस्या को भगवान विष्णु, महादेव और सूर्य की पूजा की जाती है. इस दिन पितरों के तर्पण से भी पुण्य प्राप्त होता है.

पौष अमावस्या की तिथि: पंडित राकेश गोस्वामी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार पौष महीने की पौष अमावस्या तिथि का आरंभ 10 जनवरी को रात आठ बज कर दस मिनट से शुरू हो रहा है और इसका समापन 11 जनवरी को शाम के पांच बज कर छब्बीस मिनट पर हो रहा है. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पौष अमावस्या को 11 जनवरी के दिन मनाया जाएगा. स्नान करने और पितरों की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5:15 से 11:48 तक रहेगा.

पौष अमावस्या का महत्व: पंडित राकेश गोस्वामी के अनुसार हिंदू वैदिक पंचांग में पौष महीने के कृष्ण पक्ष की जो अंतिम तिथि होती है उस दिन पौष अमावस्या मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदी तालाब इत्यादि में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है. स्नान करने के उपरांत दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. पौष महीना पितरों का छोटा पितृ पक्ष कहा गया है. इसलिए इस दिन पितरों के लिए पूजा पाठ और तर्पण किए जाते हैं. अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए लोग पिंडदान करते हैं. पितृ दोष ओर कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए व्रत करने से फायदा होता है. अमावस्या के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करना चाहिए. अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का भी बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. ऐसा करने से परिवार में आर्थिक संकट दूर होता है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.

पूजा की विधि: अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसके लिए कालसर्प की पूजा की जाती है. पंडित राकेश गोस्वामी के अनुसार कालसर्प की पूजा करने के लिए पौष अमावस्या के दिन चांदी का बनाया हुआ नाग नागिन की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करें और पूजा अर्चना करने के बाद उसको चलते पानी में प्रवाहित करें. अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष दूर होता है. अमावस्या के दिन पूजा अर्चना करने के बाद जरूरतमंदों को भोजन करायें और उसके उपरांत उनको अपनी क्षमता अनुसार दान करें.

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Last Updated : Jan 11, 2024, 10:43 AM IST
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