करनाल: केंद्र सरकार ने कृषि और डेयरी उद्योगों को ऊपर उठाने के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया है. इस ऐलान के करनाल के पशुपालक असमंजस की स्थिति में दिखाई दिए. उन्होंने एक तरफ केंद्र सरकार के पैकेज को अच्छा बताया तो दूसरी तरफ आर्थिक संकट की लकीरें उनके चेहरे पर साफ दौर पर देखने को मिली.
ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में पशुपालकों ने कहा कि केंद्र सरकार के पैकेज के ऐलान से उन्हें उम्मीद जगी है कि सब सामान्य हो जाएगा. इसके लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार ने राहत पैकेज का जो ऐलान किया है वो सही तरीके से हमतक पहुंचे. पशुपालक इस बात को लेकर भी असमंजस में हैं कि किस तरीके से उन्हें इस पैकेज का फायदा मिलेगा. ये फायदा मिलेगा भी या नहीं?
वहीं राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के निदेश डॉक्टर मनमोहन चौहान ने केंद्र सरकार के इस पैकेज को किसानों और डेयरी सेक्टर के लिए बुस्टर बताया है. उन्होंने ये भी बताया कि कैसे किसान इस पैकेज के जरिए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं. मनमोहन चौहान ने बताया कि पशुपालक दूध की दही या लस्सी बनाकर ज्यादा पैसा कमा सकते हैं. उन्होंने पशुपालकों को बकरी पालने की भी सलाह दी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने खुरपका और मुंहपका जैसे रोगों के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू करने की बात कही है. इसके अलावा डेयरी प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने और कैटल फीड, खाद प्रोडक्शन के निर्यात में के लिए 15000 करोड रुपये का फंड अलग से निर्धारित किया है.
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केंद्र सरकार के कृषि और डेयरी उद्योग को ऊपर उठाने के पैकेज से पशु पालकों में व्यापार को दोबारा से खड़े करने की उम्मीद तो जगी है, लेकिन उनके मन में अभी भी ये संशय जरूर है कि ये पैकेज उनतक पहुंचेगा भी या नहीं.
बता दें कि हरियाणा की पशुधन आबादी 98.97 लाख है. दूध और दूध उत्पाद आहार हरियाणा का एक अनिवार्य हिस्सा है. प्रति व्यक्ति 660 ग्राम दूध की उपलब्धता के साथ हरियाणा देश में 232 ग्राम के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले दूसरे नंबर पर है. करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, और हिसार में केंद्रीय इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन बफेलो भ्रूण स्थानांतरण तकनीक के माध्यम से मवेशियों की नई नस्लों के विकास और इन नस्लों के प्रसार में सहायक हैं. भैंस की मुर्राह नस्ल हरियाणा दूध उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है.