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Matsya Jayanti 2023: मत्स्य जयंती इसलिए करते हैं भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

मत्स्य जयंती 2023 इस साल शुक्रवार, 24 मार्च को है. मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है. इस दिन कुछ खास उपाय करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं आज क्या उपाय करें. (Matsya Jayanti 2023)

Matsya Jayanti 2023
मत्स्य जयंती 2023
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Published : Mar 23, 2023, 10:28 PM IST

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और त्योहार का काफी महत्व है जिसको हिंदू लोग काफी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. हिंदू धर्म में पंचांग के आधार पर ही हर त्यौहार को मनाया जाता है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीना चल रहा है जो हिंदू साल पहला महीना होता है और इस महीने का काफी महत्व है क्योंकि इसमें हिंदुओं के कई प्रमुख त्यौहार आते हैं. 24 मार्च को हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती मनाई जा रही है. मत्स्य जयंती चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में से सबसे पहला अवतार मत्स्य अवतार ही लिया था, जो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को लिया गया था. शास्त्रों में बताया गया है कि है अवतार उन्होंने मानव कल्याण के लिए लिया था.

मत्स्य जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु को काफी प्रभावशाली भगवान मानते हैं और माना जाता है कि जब-जब कोई भी विपदा पड़ी है अभी भगवान विष्णु ने अपने अवतार लेकर उस विपदा से देवता और मनुष्य जाति का कल्याण किया है मत्स्य अवतार भी भगवान विष्णु ने मानव कल्याण के लिए लिया था. चैत्र महीने की मत्स्य जयंती 24 मार्च को है, जो चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ रहा है. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 23 मार्च को 12:30 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 24 मार्च को शाम 5:00 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती सूर्य उदय तिथि के साथ 24 मार्च को मनाई जाएगी इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय सुबह 10:00 बजे से शाम के 4:15 तक रहेगा.

मत्स्य जयंती की पूजा का विधि विधान: इस दिन सूर्योदय से पहले उठ कर मनुष्य को पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. मान्याता है कि जो भी इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दे उसके उपरांत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें. पूजा करने से पहले अपने मंदिर में पीले रंग का कपड़ा डालकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें.

इस दिन अगर आप भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहन आते हैं और चंदन का तिलक, पीले फूल और पीले रंग की मिठाई अर्पित करते हैं तो ऐसे में भगवान विष्णु काफी खुश होते हैं अपने भक्तों पर उसकी कृपा बनी रहती है. इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है. इस दौरान आप भगवान विष्णु की मत्स्य अवतार की कथा करें और भगवान विष्णु के नाम का जाप करें. सुबह शाम भगवान विष्णु की आरती जरूर करें. आरती करने के बाद शाम के समय आप प्रसाद भगवान विष्णु को अर्पित करें और सभी को प्रसाद बांटें. इस दिन अगर आप जरूरतमंद व ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं तो इसमें व्रत का और व्रत का ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. इसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं.

मत्स्य जयंती का महत्व: हिंदू शास्त्रों व वेदो में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने मनुष्य व देव कल्याण 10 अवतार लिए थे, जिसमें से मत्स्य अवतार उनका सबसे पहला अवतार था इसलिए यह सभी अवतारों से प्रमुख होता है. मत्स्य अवतार भगवान विष्णु ने हयग्रीव नामक राक्षस से पृथ्वी की रक्षा के लिए था, जिसमें उन्होंने मछली का रूप धारण करके इस राक्षस का संहार किया था. शास्त्रों में बताया गया है कि इस अवतार के जरिए भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा भी की थी.

उसके बाद से ही इस अवतार को मानव जाति के द्वारा पूजा जाता है. इस दिन पवित्र नदी मे स्नान करना काफी महत्वपूर्ण बताया जाता है. माना जाता है कि किस दिन मत्स्य पुराण को सुनने और पढ़ने से भगवान विष्णु के करीब आ मनुष्य पर बनी रहती है और भगवान विष्णु की कृपा से की थी और आयु में वृद्धि होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन का अगर आप मछलियों को खाना खिलाएं तो उसे विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं और उससे अपने भक्तों पर विष्णु भगवान अपनी कृपा बनाए रखते हैं.

ये भी पढ़ें: 24 March Horoscope: नवरात्रि के तीसरे दिन मेष और मिथुन समेत इन राशि वालों की परेशानियां होंगी खत्म, इस राशि के जातक रहें सावधान

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और त्योहार का काफी महत्व है जिसको हिंदू लोग काफी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. हिंदू धर्म में पंचांग के आधार पर ही हर त्यौहार को मनाया जाता है. वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र महीना चल रहा है जो हिंदू साल पहला महीना होता है और इस महीने का काफी महत्व है क्योंकि इसमें हिंदुओं के कई प्रमुख त्यौहार आते हैं. 24 मार्च को हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती मनाई जा रही है. मत्स्य जयंती चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने अपने 10 अवतारों में से सबसे पहला अवतार मत्स्य अवतार ही लिया था, जो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को लिया गया था. शास्त्रों में बताया गया है कि है अवतार उन्होंने मानव कल्याण के लिए लिया था.

मत्स्य जयंती पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू धर्म के लोग भगवान विष्णु को काफी प्रभावशाली भगवान मानते हैं और माना जाता है कि जब-जब कोई भी विपदा पड़ी है अभी भगवान विष्णु ने अपने अवतार लेकर उस विपदा से देवता और मनुष्य जाति का कल्याण किया है मत्स्य अवतार भी भगवान विष्णु ने मानव कल्याण के लिए लिया था. चैत्र महीने की मत्स्य जयंती 24 मार्च को है, जो चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ रहा है. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 23 मार्च को 12:30 से शुरू होगा जबकि इसका समापन 24 मार्च को शाम 5:00 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार मत्स्य जयंती सूर्य उदय तिथि के साथ 24 मार्च को मनाई जाएगी इसकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय सुबह 10:00 बजे से शाम के 4:15 तक रहेगा.

मत्स्य जयंती की पूजा का विधि विधान: इस दिन सूर्योदय से पहले उठ कर मनुष्य को पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. मान्याता है कि जो भी इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दे उसके उपरांत भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें. पूजा करने से पहले अपने मंदिर में पीले रंग का कपड़ा डालकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति को स्थापित करें.

इस दिन अगर आप भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहन आते हैं और चंदन का तिलक, पीले फूल और पीले रंग की मिठाई अर्पित करते हैं तो ऐसे में भगवान विष्णु काफी खुश होते हैं अपने भक्तों पर उसकी कृपा बनी रहती है. इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है. इस दौरान आप भगवान विष्णु की मत्स्य अवतार की कथा करें और भगवान विष्णु के नाम का जाप करें. सुबह शाम भगवान विष्णु की आरती जरूर करें. आरती करने के बाद शाम के समय आप प्रसाद भगवान विष्णु को अर्पित करें और सभी को प्रसाद बांटें. इस दिन अगर आप जरूरतमंद व ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं तो इसमें व्रत का और व्रत का ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. इसके बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं.

मत्स्य जयंती का महत्व: हिंदू शास्त्रों व वेदो में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने मनुष्य व देव कल्याण 10 अवतार लिए थे, जिसमें से मत्स्य अवतार उनका सबसे पहला अवतार था इसलिए यह सभी अवतारों से प्रमुख होता है. मत्स्य अवतार भगवान विष्णु ने हयग्रीव नामक राक्षस से पृथ्वी की रक्षा के लिए था, जिसमें उन्होंने मछली का रूप धारण करके इस राक्षस का संहार किया था. शास्त्रों में बताया गया है कि इस अवतार के जरिए भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा भी की थी.

उसके बाद से ही इस अवतार को मानव जाति के द्वारा पूजा जाता है. इस दिन पवित्र नदी मे स्नान करना काफी महत्वपूर्ण बताया जाता है. माना जाता है कि किस दिन मत्स्य पुराण को सुनने और पढ़ने से भगवान विष्णु के करीब आ मनुष्य पर बनी रहती है और भगवान विष्णु की कृपा से की थी और आयु में वृद्धि होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन का अगर आप मछलियों को खाना खिलाएं तो उसे विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं और उससे अपने भक्तों पर विष्णु भगवान अपनी कृपा बनाए रखते हैं.

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