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स्थानेश्वर मादेव मंदिर जहां स्थापित है विश्व का सबसे पुराना शिवलिंग, भगवान ब्रह्मा ने स्वयं की थी शिवलिंग की स्थापना! - भगवान शिव की पूजा

शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का व्रत बेहद खास होता है. इस दिन श्रद्धालु अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं. वहीं, महाशिवरात्रि के दिन धर्म नगरी कुरुक्षेत्र के स्थानेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने स्वयं यहां शिवलिंग की स्थापना की थी.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र
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Published : Feb 17, 2023, 12:34 PM IST

स्थानेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र

करनाल: कुरुक्षेत्र विश्व भर में धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. वैसे तो कुरुक्षेत्र को महाभारत के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां पर अनेकों प्राचीन मंदिर है इनमें से एक मंदिर है स्थानेश्वर महादेव मंदिर, जिसे स्थानु के नाम से भी जाना जाता है. स्थाणु शब्द का अर्थ होता है भगवान शिव का वास. इस शहर ने सम्राट हर्षवर्धन के राज्य काल में राजधानी के रुप में कार्य किया.

स्थानेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है. कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग के रूप में पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी. यहां शिवलिंग विश्व में सबसे पहली बार स्थापित किया गया था. मान्यता के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान ब्रह्मा ने आदिकाल में की थी. महाभारत से पूर्व भगवान कृष्ण ने पांडवों सहित इस शिवलिंग की पूजा की और युद्ध में विजय प्राप्ति का वरदान मांगा.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र

मान्यता है कि इस मंदिर स्थल पर अनेकों ऋषि-मुनियों ने भी तप किया है. कुरुक्षेत्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के तीर्थों दर्शन करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि जो तीर्थयात्री कुरुक्षेत्र की 48 कोस की तीर्थ यात्रा पर आते हैं, उनकी यात्रा इस मंदिर की यात्रा के बिना अधूरी मानी जाती है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य द्वार.

शिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष मेला का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के अवसर पर जो भक्त यहां पर जल अभिषेक करता है, उसे 1 वर्ष कि शिव पूजा के बराबर का फल प्राप्त होता है. इसीलिए यहां पर शिवरात्रि के दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर मादेव मंदिर.

ये भी पढ़ें: Mahashivratri विशेष : इन मंत्रों से करें भगवान शिव को प्रसन्न, दूर होंगे रोग-शोक

यह स्थानेश्वर मंदिर सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है. मंदिर में एक सरोवर भी है माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से कई प्रकार के कुष्ठ रोग सहित कई दोषों से मुक्ति मिलती है. मंदिर एक छत के साथ एक क्षेत्रीय प्रकार की वास्तुकला का अनुसरण करता है और तीर्थयात्रियों और भक्तों द्वारा प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है. एक कलात्मक गुंबद की तरह की छत वाला मंदिर भारतीय प्रकार की वास्तुकला का अनुसरण करता है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
भगवान ब्रह्मा ने स्वयं की थी शिवलिंग की स्थापना!

मंदिर के पुजारी महंत रोशनपुरी के अनुसार इस मंदिर पर कालांतर में 24 आक्रमण हुए हैं, जिनमें से 22 आक्रमण मुगलों द्वारा किए गए हैं. मोहम्मद गजनी ने यहां पर आक्रमण किया और भगवान नटराज की एक बेशकीमती मूर्ति यहां से अपने साथ ले गए. इन सब आक्रमणों के बावजूद भी भगवान शिव इस नगरी में विराजमान हैं.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर मादेव मंदिर में श्रद्धालु.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत युद्ध आरम्भ होने वाला था, तब पांडवों और भगवान श्रीकृष्ण ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की और महाभारत का युद्ध विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
महादेव की पूजा करते हुए श्रद्धालु.

ये भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: प्राचीनकाल का सबसे अनोखा शिव मंदिर, जहां बिना नंदी के विराजमान हैं भोलेनाथ, शिवरात्रि पर होती है खास पूजा

स्थानेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र

करनाल: कुरुक्षेत्र विश्व भर में धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. वैसे तो कुरुक्षेत्र को महाभारत के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां पर अनेकों प्राचीन मंदिर है इनमें से एक मंदिर है स्थानेश्वर महादेव मंदिर, जिसे स्थानु के नाम से भी जाना जाता है. स्थाणु शब्द का अर्थ होता है भगवान शिव का वास. इस शहर ने सम्राट हर्षवर्धन के राज्य काल में राजधानी के रुप में कार्य किया.

स्थानेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है. कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग के रूप में पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी. यहां शिवलिंग विश्व में सबसे पहली बार स्थापित किया गया था. मान्यता के अनुसार इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं भगवान ब्रह्मा ने आदिकाल में की थी. महाभारत से पूर्व भगवान कृष्ण ने पांडवों सहित इस शिवलिंग की पूजा की और युद्ध में विजय प्राप्ति का वरदान मांगा.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर महादेव मंदिर कुरुक्षेत्र

मान्यता है कि इस मंदिर स्थल पर अनेकों ऋषि-मुनियों ने भी तप किया है. कुरुक्षेत्र में लाखों की संख्या में श्रद्धालु धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के तीर्थों दर्शन करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि जो तीर्थयात्री कुरुक्षेत्र की 48 कोस की तीर्थ यात्रा पर आते हैं, उनकी यात्रा इस मंदिर की यात्रा के बिना अधूरी मानी जाती है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर महादेव मंदिर का मुख्य द्वार.

शिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष मेला का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के अवसर पर जो भक्त यहां पर जल अभिषेक करता है, उसे 1 वर्ष कि शिव पूजा के बराबर का फल प्राप्त होता है. इसीलिए यहां पर शिवरात्रि के दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर मादेव मंदिर.

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यह स्थानेश्वर मंदिर सरस्वती नदी के तट पर स्थापित है. मंदिर में एक सरोवर भी है माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने से कई प्रकार के कुष्ठ रोग सहित कई दोषों से मुक्ति मिलती है. मंदिर एक छत के साथ एक क्षेत्रीय प्रकार की वास्तुकला का अनुसरण करता है और तीर्थयात्रियों और भक्तों द्वारा प्रेम और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है. एक कलात्मक गुंबद की तरह की छत वाला मंदिर भारतीय प्रकार की वास्तुकला का अनुसरण करता है.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
भगवान ब्रह्मा ने स्वयं की थी शिवलिंग की स्थापना!

मंदिर के पुजारी महंत रोशनपुरी के अनुसार इस मंदिर पर कालांतर में 24 आक्रमण हुए हैं, जिनमें से 22 आक्रमण मुगलों द्वारा किए गए हैं. मोहम्मद गजनी ने यहां पर आक्रमण किया और भगवान नटराज की एक बेशकीमती मूर्ति यहां से अपने साथ ले गए. इन सब आक्रमणों के बावजूद भी भगवान शिव इस नगरी में विराजमान हैं.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
स्थानेश्वर मादेव मंदिर में श्रद्धालु.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत युद्ध आरम्भ होने वाला था, तब पांडवों और भगवान श्रीकृष्ण ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की और महाभारत का युद्ध विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था.

Kurukshetra Sthaneshwar Shiva Temple
महादेव की पूजा करते हुए श्रद्धालु.

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