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Kumbh Sankranti 2023: क्यों मनाई जाती है कुंभ संक्रांति, हिंदू धर्म में क्या है इसकी मान्यता, जानिए पूजा का शुभ समय

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Published : Feb 13, 2023, 6:45 AM IST

Updated : Feb 13, 2023, 1:18 PM IST

हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि के अनुसार त्यौहार मनाये जाते हैं. आज कुंभ संक्रांति है. हिंदू धर्म में इसका बड़ा ही महत्व होता है. चलिए जानते हैं कुम्भ संक्रांति का समय व पूजा का विधि विधान.

Kumbh Sankranti 2023
क्यों मनाया जाता है कुम्भ संक्रांति

करनाल: आज फाल्गुन महीने की कुम्भ संक्रांति है. इस बारे में पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सूर्य के मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश को कुम्भ संक्रांति कहते हैं. पिछले महीने की 17 जनवरी से शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं. वहीं 13 फरवरी को सूर्य देव भी कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में कुम्भ संक्रांति से शनि और सूर्य की युति बनेगी. कुम्भ संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करने उपरांत सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है.

कुम्भ संक्रांति का समय: आज सूर्योदय से ही कुंभ संक्राति लग जाएगी. कुभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा, जो सुबह 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. वहीं इस दिन महापुण्यकाल सुबह 8 बजकर 5 मिनट से 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. यानी इस दिन महापुण्य काल 1 घंटा 51 मिनट तक और पुण्यकाल 2 घंटे 55 मिनट तक रहेगा. बताए गए इस शुभ मुहूर्त के दौरान सूर्यदेव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है.

कुम्भ संक्रांति में स्नान-दान: संक्रांति के दिन स्नान करने उपरांत दान करने का विशेष महत्व है. लेकिन कुंभ संक्रांति पर स्नान करने उपरांत दान का विशेष महत्व बड़ जाता है. इस दिन महा पुण्यकाल में किया गया स्नान-दान कई गुना लाभदायक होता है. इस दिन अगर आप लोग जरुरतमंदों को गेहूं, गुड़, लाल पुष्प, तांबा, लाल वस्त्र, घी, लाल फल इत्यादि का दान करते हैं तो उसका काफी महत्व माना जाता है. देवी पुराण के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है. वहीं जो लोग इस दिन स्नान-दान के साथ पूजा करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें- आज का पंचांग: नया व्यवसाय शुरू करने से पहले जानिए क्या कह रहा है पंचांग

कुम्भ संक्रांति पूजा विधि: इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करने से पहले जल में लाल फूल, गुड़, तिल और रोली या लाल चंदन मिलकार अर्घ्य दें साथ ही सूर्य देव का मंत्र उच्चारण करें. इसके बाद मंदिर में जाकर दीपक जलाएं और भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, इसके बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें. ऐसा करने से कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे आपके यश, सम्मान, कीर्ति और करियर में वृद्धि होती है. साथ ही आपकी किस्मत सूर्य की तरह चमकने लगेगी. यह सब उपाय करने के बाद आप पर सूर्य देव की कृपा बनी रहेगी. आप और आपका परिवार खुशहाल होगा.

करनाल: आज फाल्गुन महीने की कुम्भ संक्रांति है. इस बारे में पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सूर्य के मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश को कुम्भ संक्रांति कहते हैं. पिछले महीने की 17 जनवरी से शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं. वहीं 13 फरवरी को सूर्य देव भी कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में कुम्भ संक्रांति से शनि और सूर्य की युति बनेगी. कुम्भ संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करने उपरांत सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है.

कुम्भ संक्रांति का समय: आज सूर्योदय से ही कुंभ संक्राति लग जाएगी. कुभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 8 बजकर 5 मिनट से शुरू होगा, जो सुबह 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. वहीं इस दिन महापुण्यकाल सुबह 8 बजकर 5 मिनट से 9 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. यानी इस दिन महापुण्य काल 1 घंटा 51 मिनट तक और पुण्यकाल 2 घंटे 55 मिनट तक रहेगा. बताए गए इस शुभ मुहूर्त के दौरान सूर्यदेव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है.

कुम्भ संक्रांति में स्नान-दान: संक्रांति के दिन स्नान करने उपरांत दान करने का विशेष महत्व है. लेकिन कुंभ संक्रांति पर स्नान करने उपरांत दान का विशेष महत्व बड़ जाता है. इस दिन महा पुण्यकाल में किया गया स्नान-दान कई गुना लाभदायक होता है. इस दिन अगर आप लोग जरुरतमंदों को गेहूं, गुड़, लाल पुष्प, तांबा, लाल वस्त्र, घी, लाल फल इत्यादि का दान करते हैं तो उसका काफी महत्व माना जाता है. देवी पुराण के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता, दरिद्रता उसे कई जन्मों तक घेरे रहती है. वहीं जो लोग इस दिन स्नान-दान के साथ पूजा करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.

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कुम्भ संक्रांति पूजा विधि: इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करने से पहले जल में लाल फूल, गुड़, तिल और रोली या लाल चंदन मिलकार अर्घ्य दें साथ ही सूर्य देव का मंत्र उच्चारण करें. इसके बाद मंदिर में जाकर दीपक जलाएं और भगवान सूर्य के 108 नामों का जाप करें, इसके बाद सूर्य चालीसा का पाठ करें. ऐसा करने से कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे आपके यश, सम्मान, कीर्ति और करियर में वृद्धि होती है. साथ ही आपकी किस्मत सूर्य की तरह चमकने लगेगी. यह सब उपाय करने के बाद आप पर सूर्य देव की कृपा बनी रहेगी. आप और आपका परिवार खुशहाल होगा.

Last Updated : Feb 13, 2023, 1:18 PM IST
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