ETV Bharat / state

किन्नर अदिति शर्मा के स्कूल में 50 गरीब बच्चों का संवर रहा भविष्य, स्वाभिमान के चलते लिया ये फैसला

author img

By

Published : May 30, 2023, 5:59 PM IST

Updated : May 30, 2023, 6:47 PM IST

आज तक आपने किन्नरों को अधिकतर भीख मांगते देखा होगा. आज मिलिए करनाल की किन्नर अदिति शर्मा से जो स्वाभिमान की मिसाल कायम कर रही हैं. जिन्होंने अपने स्वाभिमान के साथ-साथ उन गरीब बच्चों के हौसले को भी उड़ान दी है, जो स्कूल में जाने की सोच भी नहीं सकते और सड़क पर भीख का कटोरा लेकर बचपन और भविष्य दोनों ही खराब कर देते हैं. अदिति आज ऐसे ही बच्चों के भविष्य को संवार रही है.

English medium school in Karnal
किन्नर अदिति शर्मा
बेटी के साथ-साथ स्कूल भी चला रहीं अदिति.

करनाल: अक्सर आपने सड़कों पर बहुत सारे किन्नरों को लोगों से पैसे मांगते हुए देखा होगा, या फिर किसी के घर में खास अवसरों पर बधाई देते समय किन्नरों को पैसे मांगते देखा होगा. हो सकता है ये किन्नर आपके घर भी किसी उत्साह अवसर पर बधाई देने आए होंगे तो किन्नरों को पैसे मांगते और लेते भी देखा ही होगा. लेकिन, आज हम आपको ऐसे किन्नर की कहानी बता रहे हैं, जिसने लोगों से कभी मांगा नहीं, बल्कि अपने स्वाभिमान के लिए मेहनत की. चलिए आपको बताते हैं करनाल में रहने वाली किन्नर अदिति शर्मा की संघर्ष भरी कहानी.

दिल्ली में हुआ अदिति का जन्म: किन्नर अदिति शर्मा का जन्म व पालन पोषण दिल्ली में हुआ, लेकिन किन्नर होने की वजह से उन्होंने भी अपने घरवालों से दूरी बनाकर अपनी अलग ही राह चुनी. उन्होंने स्कूली शिक्षा भी दिल्ली से ही की उसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन भी दिल्ली से की. पढ़ाई पूरी करने के बाद अदिति ने दूसरे किन्नरों की तरह मांगने की बजाय खुद कमा कर जीवन के गुजर-बसर के बारे में सोचा. जिसके लिए अदिति शर्मा ने कई जगह प्राइवेट नौकरी भी की.

English medium school in Karnal
करनाल में इंग्लिश मीडियम स्कूल चला रहीं अदिति.

शिक्षा भी, समाज सेवा भी और स्वाभिमान भी: उन्होंने एक सर्वे टीम में भी काम किया है. जिसके लिए वह हरियाणा में भी राजनीतिक पार्टियों के लिए सर्वे किया करती थीं. इसके बाद अदिति दिल्ली से करनाल आईं और साल 2014 से ही करनाल में शिफ्ट हो गईं. उन्होंने यहां पर आकर देखा कि अपने रोजी रोटी के लिए क्या काम किया जाए. फिर उन्होंने एक दिन गरीब बच्चों को ऐसे ही सड़कों पर घूमते हुए देखा. उनके मन में विचार आया कि वह करनाल में इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करेंगी. जिसमें वह गरीब लोगों के बच्चों को नाममात्र फीस में ही शिक्षा देंगी. इससे रोजी रोटी भी चलती रहे और गरीब परिवार के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिलती रहे.

समस्याओं के बीच बुलंद हौसला: इस विचार के साथ उन्होंने 2015 में हरियाणा पब्लिक स्कूल के नाम से पांचवीं कक्षा तक का इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किया. इसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जा चुका है. स्कूल का शुरू से ही अच्छा रुझान देखने को मिला था और बच्चों की संख्या काफी अच्छी थी. लेकिन, अदिति शर्मा के सामने भी वही समस्या आई कि वह एक किन्नर थीं. किन्नर को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखते थे और आसपास के लोगों ने एतराज जताना शुरू कर दिया. जिसके चलते बच्चों की संख्या देखते ही देखते कम हो गई. अदिति के अलावा 2 और शिक्षक भी स्कूल में पढ़ा रहे हैं.

Kinnar Aditi Sharma School in karnal
स्कूल में करीब 50 बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई.

ऐसी सोच को सलाम है!: मौजूदा समय में अदिति शर्मा के स्कूल में 50 के आसपास विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह उनको इंग्लिश मीडियम की तरह पढ़ाती हैं और ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार के ही हैं. वह चाहती हैं कि वह तो अपना भविष्य नहीं बना सकीं, कम से कम इन गरीब बच्चों का भविष्य बन जाए. इसी तरह से समाज सेवा भी हो जाएगी. बच्चों का भी भला हो जाए और उनकी रोजी रोटी भी चलती रहेगी.

अधूरे सपने का नहीं मलाल: किन्नर अदिति शर्मा ने कहा कि वह एक मां भी हैं. अदिति ने 1 दिन की बेटी को गोद लिया था, जो अब 9 महीने की हो चुकी है और उसका नाम एंजल है. वह अपनी बेटी के साथ-साथ स्कूल भी चला रही हैं. ताकि गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारा जा सके. वह पायलट बनना चाहती थीं. लेकिन, वह पायलट नहीं बन पाईं. अब अदित को पायलट ना बनने का मलाल नहीं है. क्योंकि जो बीत गया वह वापस नहीं आता है. उन्होंने कहा कि वह इस स्कूल का सारा खर्च अपने आप से वहन करती हैं. हालांकि एक दो सामाजिक संस्थाएं आगे जरूर आई हैं. जिन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के लिए यूनिफॉर्म दी थी.

मजबूरी नहीं...स्वाभिमान है: उन्होंने कहा कि वह इस स्कूल से ज्यादा पैसा नहीं कमाना चाहती हैं. सिर्फ बच्चों का भविष्य बनाना चाहती हैं और अपनी दो वक्त की रोटी खाना चाहती हैं. इसलिए वह स्कूल की प्रिंसिपल होते हुए भी स्कूल में बने टॉयलेट तक को खुद साफ करती हैं. ताकि स्कूल का बजट कम रहे. अदिति शर्मा एक ऐसी पहली प्रिंसिपल होंगी जो स्कूल में झाड़ू लगाने से लेकर साफ सफाई, टॉयलेट साफ करने और बाकी के सभी काम खुद ही करती हैं.

हौसले की उड़ान: अदिति शर्मा ने लॉकडाउन के दौरान स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए दो प्लेन प्रोजेक्ट भी बनाए हुए हैं. जिनमें बच्चे खेलते रहते हैं और मस्ती करते हैं. यह दोनों प्लेन प्रोजेक्ट उन्होंने वेस्ट मटेरियल से ही बनाए हैं. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद हो गए थे. तब उन्होंने अपने आप को व्यस्त रखने के लिए और बच्चों को स्कूल में खाली समय में मस्ती करने के लिए यह तैयार किए गए हैं. हालांकि अभी तक कुछ ज्यादा सामाजिक संस्थाएं अदिति शर्मा की सहायता करने के लिए आगे नहीं आई हैं. जिससे स्कूल में अभी भी कई चीजों का अभाव है.

ये भी पढ़ें: पहले किन्नर से प्यार फिर जेंडर चेंज करवाकर शादी और अब कैश, गहने और कार लेकर युवक फरार

अदिति शर्मा स्वाभिमान की मिसाल: अदिति शर्मा को उम्मीद है कि कुछ लोग सामने जरूर आएंगे. जिनकी सहायता से स्कूल को अच्छे से चलाया जा सके और गरीब लोगों के बच्चों को और भी अच्छी शिक्षा दी जा सके. ताकि वह भविष्य में एक सफल इंसान बन सकें. लेकिन, मौजूदा समय में किन्नर अदिति शर्मा दूसरे लोगों के लिए और किन्नर वर्ग के लिए एक बड़ी मिसाल है. उन्होंने अपने स्वाभिमान को जीवित रखने के लिए दूसरे लोगों से पैसे मांग कर खाने की बजाय खुद अपना रोजगार स्थापित किया. इससे वह अपनी तो दो वक्त की रोटी खा ही रही हैं, साथ में गरीब बच्चों का भविष्य भी संवार रही हैं.

बेटी के साथ-साथ स्कूल भी चला रहीं अदिति.

करनाल: अक्सर आपने सड़कों पर बहुत सारे किन्नरों को लोगों से पैसे मांगते हुए देखा होगा, या फिर किसी के घर में खास अवसरों पर बधाई देते समय किन्नरों को पैसे मांगते देखा होगा. हो सकता है ये किन्नर आपके घर भी किसी उत्साह अवसर पर बधाई देने आए होंगे तो किन्नरों को पैसे मांगते और लेते भी देखा ही होगा. लेकिन, आज हम आपको ऐसे किन्नर की कहानी बता रहे हैं, जिसने लोगों से कभी मांगा नहीं, बल्कि अपने स्वाभिमान के लिए मेहनत की. चलिए आपको बताते हैं करनाल में रहने वाली किन्नर अदिति शर्मा की संघर्ष भरी कहानी.

दिल्ली में हुआ अदिति का जन्म: किन्नर अदिति शर्मा का जन्म व पालन पोषण दिल्ली में हुआ, लेकिन किन्नर होने की वजह से उन्होंने भी अपने घरवालों से दूरी बनाकर अपनी अलग ही राह चुनी. उन्होंने स्कूली शिक्षा भी दिल्ली से ही की उसके बाद ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन भी दिल्ली से की. पढ़ाई पूरी करने के बाद अदिति ने दूसरे किन्नरों की तरह मांगने की बजाय खुद कमा कर जीवन के गुजर-बसर के बारे में सोचा. जिसके लिए अदिति शर्मा ने कई जगह प्राइवेट नौकरी भी की.

English medium school in Karnal
करनाल में इंग्लिश मीडियम स्कूल चला रहीं अदिति.

शिक्षा भी, समाज सेवा भी और स्वाभिमान भी: उन्होंने एक सर्वे टीम में भी काम किया है. जिसके लिए वह हरियाणा में भी राजनीतिक पार्टियों के लिए सर्वे किया करती थीं. इसके बाद अदिति दिल्ली से करनाल आईं और साल 2014 से ही करनाल में शिफ्ट हो गईं. उन्होंने यहां पर आकर देखा कि अपने रोजी रोटी के लिए क्या काम किया जाए. फिर उन्होंने एक दिन गरीब बच्चों को ऐसे ही सड़कों पर घूमते हुए देखा. उनके मन में विचार आया कि वह करनाल में इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करेंगी. जिसमें वह गरीब लोगों के बच्चों को नाममात्र फीस में ही शिक्षा देंगी. इससे रोजी रोटी भी चलती रहे और गरीब परिवार के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिलती रहे.

समस्याओं के बीच बुलंद हौसला: इस विचार के साथ उन्होंने 2015 में हरियाणा पब्लिक स्कूल के नाम से पांचवीं कक्षा तक का इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किया. इसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जा चुका है. स्कूल का शुरू से ही अच्छा रुझान देखने को मिला था और बच्चों की संख्या काफी अच्छी थी. लेकिन, अदिति शर्मा के सामने भी वही समस्या आई कि वह एक किन्नर थीं. किन्नर को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखते थे और आसपास के लोगों ने एतराज जताना शुरू कर दिया. जिसके चलते बच्चों की संख्या देखते ही देखते कम हो गई. अदिति के अलावा 2 और शिक्षक भी स्कूल में पढ़ा रहे हैं.

Kinnar Aditi Sharma School in karnal
स्कूल में करीब 50 बच्चे कर रहे हैं पढ़ाई.

ऐसी सोच को सलाम है!: मौजूदा समय में अदिति शर्मा के स्कूल में 50 के आसपास विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह उनको इंग्लिश मीडियम की तरह पढ़ाती हैं और ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार के ही हैं. वह चाहती हैं कि वह तो अपना भविष्य नहीं बना सकीं, कम से कम इन गरीब बच्चों का भविष्य बन जाए. इसी तरह से समाज सेवा भी हो जाएगी. बच्चों का भी भला हो जाए और उनकी रोजी रोटी भी चलती रहेगी.

अधूरे सपने का नहीं मलाल: किन्नर अदिति शर्मा ने कहा कि वह एक मां भी हैं. अदिति ने 1 दिन की बेटी को गोद लिया था, जो अब 9 महीने की हो चुकी है और उसका नाम एंजल है. वह अपनी बेटी के साथ-साथ स्कूल भी चला रही हैं. ताकि गरीब बच्चों के भविष्य को सुधारा जा सके. वह पायलट बनना चाहती थीं. लेकिन, वह पायलट नहीं बन पाईं. अब अदित को पायलट ना बनने का मलाल नहीं है. क्योंकि जो बीत गया वह वापस नहीं आता है. उन्होंने कहा कि वह इस स्कूल का सारा खर्च अपने आप से वहन करती हैं. हालांकि एक दो सामाजिक संस्थाएं आगे जरूर आई हैं. जिन्होंने स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों के लिए यूनिफॉर्म दी थी.

मजबूरी नहीं...स्वाभिमान है: उन्होंने कहा कि वह इस स्कूल से ज्यादा पैसा नहीं कमाना चाहती हैं. सिर्फ बच्चों का भविष्य बनाना चाहती हैं और अपनी दो वक्त की रोटी खाना चाहती हैं. इसलिए वह स्कूल की प्रिंसिपल होते हुए भी स्कूल में बने टॉयलेट तक को खुद साफ करती हैं. ताकि स्कूल का बजट कम रहे. अदिति शर्मा एक ऐसी पहली प्रिंसिपल होंगी जो स्कूल में झाड़ू लगाने से लेकर साफ सफाई, टॉयलेट साफ करने और बाकी के सभी काम खुद ही करती हैं.

हौसले की उड़ान: अदिति शर्मा ने लॉकडाउन के दौरान स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए दो प्लेन प्रोजेक्ट भी बनाए हुए हैं. जिनमें बच्चे खेलते रहते हैं और मस्ती करते हैं. यह दोनों प्लेन प्रोजेक्ट उन्होंने वेस्ट मटेरियल से ही बनाए हैं. लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद हो गए थे. तब उन्होंने अपने आप को व्यस्त रखने के लिए और बच्चों को स्कूल में खाली समय में मस्ती करने के लिए यह तैयार किए गए हैं. हालांकि अभी तक कुछ ज्यादा सामाजिक संस्थाएं अदिति शर्मा की सहायता करने के लिए आगे नहीं आई हैं. जिससे स्कूल में अभी भी कई चीजों का अभाव है.

ये भी पढ़ें: पहले किन्नर से प्यार फिर जेंडर चेंज करवाकर शादी और अब कैश, गहने और कार लेकर युवक फरार

अदिति शर्मा स्वाभिमान की मिसाल: अदिति शर्मा को उम्मीद है कि कुछ लोग सामने जरूर आएंगे. जिनकी सहायता से स्कूल को अच्छे से चलाया जा सके और गरीब लोगों के बच्चों को और भी अच्छी शिक्षा दी जा सके. ताकि वह भविष्य में एक सफल इंसान बन सकें. लेकिन, मौजूदा समय में किन्नर अदिति शर्मा दूसरे लोगों के लिए और किन्नर वर्ग के लिए एक बड़ी मिसाल है. उन्होंने अपने स्वाभिमान को जीवित रखने के लिए दूसरे लोगों से पैसे मांग कर खाने की बजाय खुद अपना रोजगार स्थापित किया. इससे वह अपनी तो दो वक्त की रोटी खा ही रही हैं, साथ में गरीब बच्चों का भविष्य भी संवार रही हैं.

Last Updated : May 30, 2023, 6:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.