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दिन में महिलाओं ने की सूर्य की पूजा, अब बेसब्री से कर रही चांद का इंतजार

करनाल में भी महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा है. महिलाओं ने दिन में सूर्य की पूजा की. अब सभी महिलाएं रात को चांद के आने का इंतजार कर रही हैं.

दिन में महिलाओं ने की सूर्य की पूजा, अब बेसब्री से कर रही चांद का इंतजार
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Published : Oct 17, 2019, 6:54 PM IST

करनाल: देश और प्रदेश में सुहागिन महिलाएं आज अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. शाम को पूजा करने के बाद अब सभी महिलाएं चांद का इंतजार कर रही हैं, ताकि चांद देखने के बाद वो अपना व्रत खोल सकें.

दिन में महिलाओं ने सुनी कथा
सीएम सिटी करनाल में भी महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा है. सभी महिलाओं ने एक स्थान पर इकट्ठा होकर करवे की कथा सुनी और सूर्य को अर्घ्‍य दिया. महिलाओं ने बताया कि इस त्योहार पर पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. सुबह 4 बजे उठकर सरगी खाती है फिर दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं.

हरियाणा में चांद निकलने का वक्त
इस दिन का सुहागन स्त्रियों में खासा महत्व है. आज के दिन का व्रत काफी कठिन होता है. इस व्रत में पूरे दिन महिलाएं पानी तक नहीं पीती हैं. फिर रात के वक्त चांद को अर्घ्‍य देकर पति के हाथों पानी पीकर ही अपने व्रत को खोलती हैं. इससे साफ पता चलता है कि इस व्रत में चांद का महत्व काफी है. इस दिन महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है. बता दें कि हरियाणा में चांद निकलने का वक्त 8 बजकर 14 मिनट का है.

महिलाओं ने दिन में की सूर्ज की पूजा

करवा चौथ का महत्व

हर त्योहार के पीछे कुछ न कुछ कहानी या कथा अवश्य होती है. इसी तरह करवा चौथ से संबंधित भी एक कहानी है. जिसके मुताबिक किसी जमाने में तुंगभद्रा नामक नदी के किनारे करवा नाम की एक प्रतिव्रता धोबिन रहती थी. कहते हैं कि उसका पति बहुत बूढ़ा और निर्बल था. वो एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था, उसी वक्त अचानक वहां मगरमच्छ आ गया. जिसके बाद मगरमच्छ उसके पैरों को दबाकर उसे नदी में अंदर ले जाने लगा.पति की चिल्लाने की आवाज सुनकर करवा वहां पहुंची तब तक मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने वाला था. जिसे देखकर करवा मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांधकर यमलोक पहुंची और अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई. इसके अलावा करवा ने यमराज से ये भी कहा कि “अगर आप इस मगरमच्छ को दंड नहीं देते हैं तो मैं आपको शाप दे दूँगी और नष्ट कर दूंगी.” कहते हैं कि करवा के इस वचन को सुनकर यमराज भी डर गए और मगरमच्छ को नरक का रास्ता दिखा दिया और करवा के पति को लंबी आयु का वरदान दिया. मान्यता है कि जिस दिन ये घटना घटी वो दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. तभी से करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है.

करनाल: देश और प्रदेश में सुहागिन महिलाएं आज अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. शाम को पूजा करने के बाद अब सभी महिलाएं चांद का इंतजार कर रही हैं, ताकि चांद देखने के बाद वो अपना व्रत खोल सकें.

दिन में महिलाओं ने सुनी कथा
सीएम सिटी करनाल में भी महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा है. सभी महिलाओं ने एक स्थान पर इकट्ठा होकर करवे की कथा सुनी और सूर्य को अर्घ्‍य दिया. महिलाओं ने बताया कि इस त्योहार पर पत्नियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. सुबह 4 बजे उठकर सरगी खाती है फिर दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं.

हरियाणा में चांद निकलने का वक्त
इस दिन का सुहागन स्त्रियों में खासा महत्व है. आज के दिन का व्रत काफी कठिन होता है. इस व्रत में पूरे दिन महिलाएं पानी तक नहीं पीती हैं. फिर रात के वक्त चांद को अर्घ्‍य देकर पति के हाथों पानी पीकर ही अपने व्रत को खोलती हैं. इससे साफ पता चलता है कि इस व्रत में चांद का महत्व काफी है. इस दिन महिलाओं को चांद का बेसब्री से इंतजार रहता है. बता दें कि हरियाणा में चांद निकलने का वक्त 8 बजकर 14 मिनट का है.

महिलाओं ने दिन में की सूर्ज की पूजा

करवा चौथ का महत्व

हर त्योहार के पीछे कुछ न कुछ कहानी या कथा अवश्य होती है. इसी तरह करवा चौथ से संबंधित भी एक कहानी है. जिसके मुताबिक किसी जमाने में तुंगभद्रा नामक नदी के किनारे करवा नाम की एक प्रतिव्रता धोबिन रहती थी. कहते हैं कि उसका पति बहुत बूढ़ा और निर्बल था. वो एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था, उसी वक्त अचानक वहां मगरमच्छ आ गया. जिसके बाद मगरमच्छ उसके पैरों को दबाकर उसे नदी में अंदर ले जाने लगा.पति की चिल्लाने की आवाज सुनकर करवा वहां पहुंची तब तक मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने वाला था. जिसे देखकर करवा मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांधकर यमलोक पहुंची और अपने पति की रक्षा की गुहार लगाई. इसके अलावा करवा ने यमराज से ये भी कहा कि “अगर आप इस मगरमच्छ को दंड नहीं देते हैं तो मैं आपको शाप दे दूँगी और नष्ट कर दूंगी.” कहते हैं कि करवा के इस वचन को सुनकर यमराज भी डर गए और मगरमच्छ को नरक का रास्ता दिखा दिया और करवा के पति को लंबी आयु का वरदान दिया. मान्यता है कि जिस दिन ये घटना घटी वो दिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. तभी से करवा चौथ मनाने की परंपरा चली आ रही है.

Intro:करवा चौथ हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार, देश भर में यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है,, यह पर्व मनाती है सुहागिन स्त्रियां, व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4:00 बजे के बाद से होता है शुरू ,रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है और वर्तमान समय में करवा चौथ व्रत ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित कथा के अनुसार ही मनाती हैं , लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चंद्रोदय की करती है प्रतीक्षा ।


Body:करनाल में भी इस त्यौहार को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया । मॉडल टाउन में महिलाओं ने एक स्थान पर इकट्ठा होकर करवा कथा सुनी और सूर्य को अरग दिया। राखी ने बताया कि यह त्योहार सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखकर मनाती हैं । सुबह 4:00 बजे उठकर सरगी खाती है फिर ना हाथ धोकर सारा दिन कुछ भी नहीं खाती इस दिन में सूर्योदय से पूर्व कुछ खाकर पूरा दिन निराहार ही रहती हैं और रात को चांद का दर्शन करके ही खाना खाती है ।




Conclusion:उन्होंने बताया कि इस पर्व का सभी महिलाओं को बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है क्योंकि इस दिन उन्हें खूब सजने सामने का मौका मिलता है और वह इस तरह को बड़ी ही हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाती है ।

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