करनाल: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है, पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से किया जाता है और कुछ जातक इस दिन पूर्णिमा के नाम का व्रत भी रखते हैं जिसका अलग ही महत्व है. वहीं अगर बात करें हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने मत्स्य अवतार जल में निवास करने के लिए गए थे. इसलिए विधिवत रूप से इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना का विशेष विधान है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली भी मनाई जाती है जिससे और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है.
कब रखा जाएगा कार्तिक पूर्णिमा का व्रत?: ज्योतिषाचार्य शशि वत्स ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए बताया कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा को लेकर लोगों के मन में असमंजस की स्थिति बनी हुई है कुछ लोग यह सोच रहे हैं कि कार्तिक महीने की पूर्णिमा 26 नवंबर को है तो कुछ लोग इसको 27 नवंबर को मान रहे हैं. लेकिन, वह बताना चाहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा का प्रारंभ 26 नवंबर को दोपहर 3:53 बजे से शुरू होगा जबकि इसका समापन 27 नवंबर को 2:45 बजे होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है इसलिए कार्तिक महीने की पूर्णिमा का व्रत भी 27 नवंबर को ही रखा जाएगा. 27 नवंबर के दिन ही गंगा स्नान और सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाएगी.
कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक कार्तिक महीने में आने वाली पूर्णिमा के गंगा नदी या किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इसलिए इस दिन गंगा स्नान या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने का शुभ मुहूर्त 27 नवंबर को सुबह 5:05 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 5:58 बजे हो जाएगा.
पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा: पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा की जाती है. इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 9:30 बजे से शुरू होगा जो 10:49 बजे तक रहेगा. चंद्रमा पूजन करने का शुभ मुहूर्त 26 नवंबर को शाम के 4:29 पर है. पूर्णिमा का आरंभ 26 नवंबर से हो रहा है इसलिए चंद्र पूजा करने का शुभ मुहूर्त 4:29 पर बताया गया है.
कार्तिक के महीने की पूर्णिमा का महत्व: पंडित के अनुसार कार्तिक महीने में आने वाली पूर्णिमा के दिन स्नान करने का बहुत ही ज्यादा महत्व मिलता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में विधिवत रूप से स्नान करने के बाद पूजा करने से 100 बार गंगा स्नान करने जितना फल प्राप्त होता है. ऐसे भी मान्यता है कि कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान करने से उसके कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं और वह स्वस्थ रहता है. साथ ही उसको पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है. इसलिए गंगा में स्नान करने के उपरांत विधिवत रूप से मां गंगा की पूजा अर्चना करें और उसके बाद जरूरतमंद लोगों को अपनी इच्छा अनुसार दान करें. ऐसा कहा जाता है कि इस दान करने से माता लक्ष्मी का वास जातक के घर में होता है.
कार्तिक पूर्णिमा व्रत पूजा विधि: ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूर्णिमा के दिन जातक को सुबह सूर्योदय से पहले शुभ मुहूर्त के अनुसार ही गंगा नदी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने चाहिए. उसके बाद अपने घर में आकर अपने मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करें और उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. इस दौरान जो भी व्रत रखना चाहते हैं वह व्रत रखने का प्रण लें. पूजा के दौरान माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के आगे पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें और उनको तुलसी दल का भोग अवश्य लगाएं. उसके बाद दिन में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें.
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती: सुबह शाम दोनों समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती अवश्य करें. जो भी इस दिन व्रत रखता है वह शाम के समय भगवान चंद्र देव के दर्शन करने बाद उनकी पूजा करें और उनको अर्घ्य दें. फिर अपना व्रत खोलें. व्रत खोलने से पहले भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना अवश्य करें और उनके प्रसाद का भोग लगाएं.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार: वेद और पौराणिक ग्रंथों में भी बताया गया है कि कार्तिक महीने में आने वाली पूर्णिमा के दिन ही विष्णु भगवान ने मत्स्य अवतार के रूप में अपना पहला अवतार लिया था. इसके चलते इस दिन पवित्र नदी तालाब या कुंड स्नान करने का विशेष महत्व होता है. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होने के साथ-साथ जन्म-जन्म के पाप भी दूर हो जाते हैं.
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