करनालः सीएम सिटी करनाल को लेकर सीएम का ड्रीम प्रोजक्टर रहा पश्चिमी यमुना बाईपास इन दिनों प्रशासनिक अनदेखी का शिकार है. मुख्यमंत्री का मनोहर सपना अब सुहाने सफर का राही नहीं रहा है. सड़क पर सफर करने में यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं मामला अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद भी कार्रवाई नहीं हो रही है. ईटीवी भारत अपना सरोकार समझते हुए इस मुद्दे को लगातार प्रमुखता से उठा रहा है.
हादसे को न्योता दे रहे हैं बड़े-बड़े गड्ढे
ईटीवी भारत की टीम हालात का जायजा लेने के लिए पश्चिमी बाईपास पहुंची तो पाया सड़क पर बने गड्ढों ने भयंकर रूप धारण कर लिया है. बरसात के कारण सड़क के किनारे की मिट्टी खिसक चुकी है और सड़क के किनारों में कई गड्ढे बन चुके हैं. जिसके कारण सड़क ज्यादा दबाव झेलने में सक्षम नजर नहीं आ रही है. सड़क के ऊपर बने रेलवे ट्रैक वाले पुल के नीचे वाली दीवार से भी पानी का रिसाव होता है. इन सब खामियों को अगर जल्दी ठीक ना कराया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
पीडब्ल्यूडी बीएंडआर के अभियंता को दी गई मामले की जानकारी
यह मुद्दा जनहित से जुड़ा है और कोई बड़ी दुर्घटना ना हो इसके लिए पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी बीएंडआर के अधीक्षक अभियंता से मुलाकात कर पश्चिमी बाईपास में हो रही कई खामियों के बारे में अवगत कराया गया. अधीक्षक अभियंता ने 2 दिन के अंदर सभी खामियों को ठीक करने की बात कही. लेकिन 2 महीने बीत जाने के बाद भी सड़क को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.
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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
ईटीवी भारत की टीम ने इस मामले की जानकारी करनाल के उपायुक्त को भी दी. इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जब अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल पहुंचे तो उन्हें भी इस मामले से अवगत कराया गया और सीएम ने उपायुक्त को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए लेकिन लगभग एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी इस बाईपास के सुधार का कोई प्रयास नहीं किया गया है.
पिछले एक दशक से बड़ा मुद्दा रहा है पश्चिमी बाईपास
पिछले एक दशक से हरियाणा सरकार के लिए करनाल में पश्चिमी बाईपास का निर्माण एक प्रमुख मुद्दा रहा है. प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद और मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के कारण इस बाईपास के निर्माण कार्य में तेजी आई.
बाईपास के प्रथम निर्माण का उद्घाटन लगभग 1 साल पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया लेकिन अनेक तकनीकी खामियों के कारण इस बाईपास का सफर यात्रियों के लिए कभी सुहाना नहीं रहा. वहीं प्रशासनिक अधिकारियों के रवैए को देखकर ऐसा लग रहा है कि उनकी नींद तब तक नहीं टूटेगी जब तक कोई बड़ा हादसा कई घरों के चिरागों को बूझा ना दें.
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