करनाल: अपनी वर्दी के दम पर अपराधियों के मन में डर पैदा करने वाली और भ्रष्टाचार को रोकने का दम भरने वाली पुलिस टीम ही अब सवालों के घेरे में है. पुलिस अब खुद घोटाले करने से बाज नहीं आ रही है.
करनाल पुलिस की अकॉउंट्स ब्रांच में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बाद करनाल पुलिस की किरकिरी हो रही है. पुलिस विभाग में ही ऐसे कर्मचारी बैठे हैं, जो सरकार को चूना लगाने में जुटे थे.
कैसे किया फर्जीवाड़ा?
सबसे पहले अकाउंट्स ब्रांच में काम करने वाले कर्मचारी फर्जी बिल और ट्रेवलिंग बिल बनाते थे. उसके बाद किसी नए कर्मचारी की यूनिक आईडी बनाते थे. जिसमें वो फर्जी बिल की और ट्रेवलिंग बिल की रकम डालते थे.
फर्जी यूनिक आईडी से अकाउंट्स में गड़बड़ी
अकाउंट्स ब्रांच के कर्मचारियों ने दो ऐसे कर्मचारियों की यूनिक आईडी भी बनाई. जो पुलिस विभाग में काम ही नहीं करते. उनके अकाउंट में पैसों की बरसात करते रहे. ये घोटाला 2016 से शुरू हुआ था और अब तक चलता रहा.
10 लाख रुपये से ज्यादा का हुआ ट्रांसफर
पुलिस के अधिकारियों को इस बात की भनक इसलिए लगी क्योंकि दो कर्मचारियों के अकाउंट्स में 10 लाख रुपये से ज्यादा चले गए. पुलिस को गड़बड़ लगी और जब मामले की जांच की गई तो उन दो कर्मचारियों का पुलिस विभाग से कोई लेना देना ही नहीं था.
पुलिस विभाग का कारनामा
फिलहाल इस मामले से करनाल पुलिस की काफी किरकिरी हो रही है. हो भी क्यों ना? जिनके ऊपर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी होती है. जो खुद कानून के रखवाले होते हैं. आम लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, इस बात का ध्यान रखने वाले पुलिस महकमे में ऐसा कारनामा होगा तो जनता के साथ न्याय होगा, इसकी उम्मीद कैसे लगाई जा सकती है?
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पुलिस ने जब्त की फाइलें
फिलहाल करनाल के सिविल लाइन थाने में पुलिस ने धारा 420 समेत कई धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है. इसके बाद अकॉउंट्स ब्रांच की फाइलों की जांच के लिए वहां की फाइलों को भी जब्त कर लिया गया है, ताकि ये पता चल सके कि घोटाले में और कौन-कौन शामिल था?