करनाल: करनाल के घरौंडा में इंडो इजराइल सब्जी उत्कृष्ट केन्द्र पर विभिन्न प्रकार की सब्जी की उत्पादन को लेकर ट्रेनिंग दी जाती है. यहां एग्रीकल्चर साइंस के स्टूडेंट और किसान ट्रेनिंग लेने आते हैं. आज कल रंग बिरंगी शिमला मिर्च की बढ़ती डिमांड को देखते हुए ट्रेनिंग के लिए लोग पहुंच रहे हैं.
रंग बिरंगी शिमला मिर्च की कैसे होती है खेती?: रंग बिरंगी शिमला मिर्च पॉली हाउस में ही लगाई जाती हैं. अगर खुले में कलरफूल शिमला मिर्च की खेती की जाएगी तो शिमला मिर्च के रंग में बदलाव नहीं होगा. इसलिए रंग बिरंगी शिमला मिर्च की खेती पॉली हाउस में ही की जा सकती है. हरी शिमला मिर्च 60 दिनों में तैयार हो जाती है वहीं रंग बिरंगी शिमला मिर्च 90 दिनों में तैयार हो जाती है. मार्केट में अभी पीले और लाल रंग के शिमला मिर्च की डिमांड ज्यादा है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर लवलेश का कहना है कि किसान भाई अगर लाल और पीले रंग के शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं तो उसे पचास-पचास प्रतिशत की मात्रा में लगाएं. उदाहरण के लिए अगर सौ पौधे लगा रहे हैं तो पचास पौधे पीले रंग की और पचास पौधे लाल रंग की लगाएं.
कितनी हो सकती है आमदनी?: अभी शादी का सीजन चल रहा है तो मार्केट में लाल और पीले रंग की शिमला मिर्च की डिमांड ज्यादा है . इस समय इसकी कीमत बढ़ जाती है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर लवलेश का कहना है कि इस समय मंडी मार्केट में रंग बिरंगी शिमला मिर्च का रेट 150 रुपए प्रति किलो है वह बढ़ कर 200 से 250 रुपए तक जा सकता है. अनुमान के मुताबिक एक सीजन में एक एकड़ में 10 लाख से 25 लाख रुपए तक की फसल ली जा सकती है.
ट्रेनिंग लेने वाली छात्राएं उत्साहित: हॉर्टिकल्चर एमएससी की छात्रा काजल का कहना है कि यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद वह खुद भी रंग बिरंगी शिमला मिर्च का उत्पादन कर के अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकती है. पानीपत की रहने वाली दिव्या भी हॉर्टिकल्चर में एमएससी करने के बाद ट्रेनिंग ले रही है. दिव्या का कहना है कि ट्रेनिंग से बहुत फायदा होता है. विभिन्न प्रकार की सब्जियों के बेहतर उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है. दिव्या के अनुसार ट्रेनिंग से कृषि के क्षेत्र में कैरियर को बनाने में सहायता मिलेगी.