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कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार में बरती जा रही लापरवाही! - karnal govt hospital negligence

करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. मृतकों के परिजनों का ये कहना है कि अंतिम संस्कार के दौरान भी परंपरा का ध्यान नहीं रखा जा रहा. ये भी आरोप है कि अस्पताल का स्टाफ लापरवाह है जिस कारण कोरोना मरीजों की मौत हो रही है.

kalpana chawla medical college negligence in cremation of corona victims
kalpana chawla medical college negligence in cremation of corona victims
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Published : Sep 14, 2020, 6:44 PM IST

करनाल: कोविड अस्पताल बने कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों और तीमारदारों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार और लापरवाही की जो तस्वीर सामने आई है वो अमानवीय और रोंगटे खड़े कर देने वाली है. वहीं, दूसरी ओर नगर निगम की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

यहां दाह संस्कार की परम्परा का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है. अपना आशियाना के सेवादारों का आरोप है कि श्मशान घाट में डीजल डालकर कोरोना से मृतकों की चिताएं जलाई जा रही हैं. उनकी राख के ऊपर से एंबुलेंस निकाली जा रही हैं. अंतिम संस्कार परंपरा का अपमान बताकर कई समाजसेवियों ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार में बरती जा रही लापरवाही!

बलड़ी श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमण से मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए सुबह यहां तीन शव लाए गए. वहां उनके परिजन भी मौजूद थे जिन्होंने कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में इलाज और नगर निगम द्वारा कराए जा रहे दाह संस्कार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं.

मृतक की बेटी ने लगाए गंभीर आरोप

इस दौरान रामनगर के कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग के साथ आई उनकी बेटी अनीता ने आपबीती सुनाई. वो अपने पिता को लेकर कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज पहुंची तो स्टाफ ने उनसे स्ट्रेचर लेकर आने को कहा. किसी तरह से लोगों से पूछ कर स्ट्रेचर लेकर आई तो कहा बेड खाली नहीं है. बेड ना होने के कारण उनके पिता सारे दिन तड़पते रहे. डाक्टरों ने भी नहीं देखा और कह दिया कहीं और ले जाओ.

काफी देर बाद उन्हें भर्ती किया गया. इतना ही नहीं, मरीज से अभद्रता करने का आरोप भी लगा है. कोरोना संक्रमित बुजुर्ग की बेटी ने बताया कि पिता लगातार फोन करते रहे कि किसी अधिकारी से बात करो. यहां कोई व्यवस्था नहीं है और दवा भी नहीं मिल रही है. अटेंड करने को भी स्टाफ नहीं है. मुझे ठीक होना है और वो खुद उठकर टॉयलेट गए, लेकिन कुछ ही देर बाद ना जाने क्या हुआ स्टाफ ने बताया कि उनके पिता की मौत हो गई है.

जिला उपायुक्त ने दिया ये जवाब

आरोप है कि पिता की डाक्टरों की लापरवाही के कारण मृत्यु हो गई है. मृतक की बेटी ने कहा कि मैने जो अपमान यहां सहा है, उसे देखकर कहना चाहती हूं कि ऐसे अस्पताल में अपने मरीजों को ना ले जाएं, लेकिन आज जब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसी निशांत कुमार यादव से बातचीत की गई तो निशांत कुमार यादव ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया और मृतक के परिजनों के आरोपों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए.

ये भी पढ़ें- पलवल: एन्टी व्हीकल थैफ्ट स्टाफ ने 5 वाहन चोरों को किया काबू

करनाल: कोविड अस्पताल बने कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में मरीजों और तीमारदारों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार और लापरवाही की जो तस्वीर सामने आई है वो अमानवीय और रोंगटे खड़े कर देने वाली है. वहीं, दूसरी ओर नगर निगम की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

यहां दाह संस्कार की परम्परा का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है. अपना आशियाना के सेवादारों का आरोप है कि श्मशान घाट में डीजल डालकर कोरोना से मृतकों की चिताएं जलाई जा रही हैं. उनकी राख के ऊपर से एंबुलेंस निकाली जा रही हैं. अंतिम संस्कार परंपरा का अपमान बताकर कई समाजसेवियों ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार में बरती जा रही लापरवाही!

बलड़ी श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमण से मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए सुबह यहां तीन शव लाए गए. वहां उनके परिजन भी मौजूद थे जिन्होंने कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में इलाज और नगर निगम द्वारा कराए जा रहे दाह संस्कार की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं.

मृतक की बेटी ने लगाए गंभीर आरोप

इस दौरान रामनगर के कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग के साथ आई उनकी बेटी अनीता ने आपबीती सुनाई. वो अपने पिता को लेकर कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज पहुंची तो स्टाफ ने उनसे स्ट्रेचर लेकर आने को कहा. किसी तरह से लोगों से पूछ कर स्ट्रेचर लेकर आई तो कहा बेड खाली नहीं है. बेड ना होने के कारण उनके पिता सारे दिन तड़पते रहे. डाक्टरों ने भी नहीं देखा और कह दिया कहीं और ले जाओ.

काफी देर बाद उन्हें भर्ती किया गया. इतना ही नहीं, मरीज से अभद्रता करने का आरोप भी लगा है. कोरोना संक्रमित बुजुर्ग की बेटी ने बताया कि पिता लगातार फोन करते रहे कि किसी अधिकारी से बात करो. यहां कोई व्यवस्था नहीं है और दवा भी नहीं मिल रही है. अटेंड करने को भी स्टाफ नहीं है. मुझे ठीक होना है और वो खुद उठकर टॉयलेट गए, लेकिन कुछ ही देर बाद ना जाने क्या हुआ स्टाफ ने बताया कि उनके पिता की मौत हो गई है.

जिला उपायुक्त ने दिया ये जवाब

आरोप है कि पिता की डाक्टरों की लापरवाही के कारण मृत्यु हो गई है. मृतक की बेटी ने कहा कि मैने जो अपमान यहां सहा है, उसे देखकर कहना चाहती हूं कि ऐसे अस्पताल में अपने मरीजों को ना ले जाएं, लेकिन आज जब इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसी निशांत कुमार यादव से बातचीत की गई तो निशांत कुमार यादव ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया और मृतक के परिजनों के आरोपों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए.

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