करनाल: हरियाणा के करनाल में इंडो-इजराइल के सहयेाग से स्थापित सब्जी उत्कृष्टता केंद्र घरौंडा से किसानों के लिए राहत भरी खबर आई हैं. वैज्ञानिकों ने रंगीन गोभी की नई वैरायटी तैयार की हैं. जो न केवल किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक होगी बल्कि लोगों को होने वाली गंभीर बीमारियों से भी बचाएंगी. जिसमें बैंगनी और पीले रंग की गोभी को लगाया गया है. यह इस सेंटर में पहली बार पूरे देश में कलर गोभी उगाई गई है. जो हरियाणा ही नहीं पूरे देश के सब्जी लगाने वाले किसानों के लिए खुशी की बात है.
गोभी की वैरायटी तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि रंगीन गोभी को आहार में शामिल करने से जहां मोटापे में कमी आएगी साथ ही दिल की बीमारियों से लड़ने में भी सहायक होगी. इसके अलावा गोभी एंटी कैंसर रोधी क्षमता हैं. किसान इस रंगीन गोभी को उगाकर भारी मुनाफा कमा सकते हैं. दिल्ली जैसे शहरों में रंगीन गोभी की भारी डिमांड हैं.
किसानों को सफेद गोभी की बजाए रंगीन गोभी को उगाना चाहिए. इसे उगाने में सफेद गोभी जितना ही खर्च व मेहनत लगती है. अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता नहीं हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को अगर ज्यादा जानकारी चाहिए तो वे सेंटर पर आ सकता हैं. किसानों तक नवीनतम जानकारी पहुंचाने के लिए ही केंद्र पर विभिन्न सब्जियों का प्रदर्शन प्लांट लगाया जाता हैं.
डॉ. सुधीर यादव सब्जी उत्कृष्टता केंद्र के मैनेजर ने बताया कि पहले रंगीन शिमला मिर्च का चलन आया जिसकी ना सिर्फ अच्छी डिमांड मार्किट में रही, बल्कि उत्पादकों ने भी अच्छा मुनाफा कमाया और आज भी रंगीन शिमला मिर्च का रेट मार्किट में अच्छा जाता है. उसी तर्ज पर अब सीईवी ने रंगीन गोभी का डेमोस्ट्रेशन प्लांट लगाया है. रंगीन गोभी का डैमोस्ट्रेशन देखने के लिए काफी किसान केंद्र पर पहुंच रहे हैं.
उन्होंने कहा कि किसानों को सफेद गोभी के अलावा भी सोचना चाहिए. क्योंकि रंगीन गोभी की मार्केट लगातार बढ़ रही हैं. किसान सफेद गोभी के अलावा रंगीन गोभी को बेचकर ज्यादा मुनाफा सकता हैं. फिलहाल रंगीन गोभी की डिमांड छोटे शहरों में कम हैं, लेकिन दिल्ली जैसे शहरों में रंगीन गोभी की भारी डिमांड बनी हुई हैं. जहां आमतौर पर सफेद गोभी करीब 20 रुपये किलो तक बिक जाती हैं, वहीं रंगीन गोभी की कीमत तिगुनी होती हैं.
सफेद गोभी के मुकाबले रंगीन गोभी का ज्यादा भविष्य हैं. उन्होंने कहा कि किसानों को रंगीन गोभी को उगाने के लिए ज्यादा कुछ खर्च नहीं करना पड़ता. जिस खर्च ओर मेहनत से सफेद गोभी हो जाती हैं उसी में रंगीन गोभी भी उगाई जा सकती हैं. उन्होंने कहा कि 15 सितम्बर के आसपास रंगीन गोभी लगाई जा सकती हैं. जो 70 दिनों की फसल हैं. 70 दिनों में रंगीन गोभी की फसल तैयार हो जाती हैं. डॉ. ने कहा कि रंगीन गोभी 800 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक हो सकती हैं.
उन्होंने कहा कि आजकल देखा जा रहा हैं कि लोग खानपान की वजह से मोटापे का शिकार हो रहे हैं और दिल की बीमारी, कैंसर जैसी घातक बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं. जीवनशैली में लगातार परिवर्तन भी रहा हैं. जिससे लोग खानपान पर ध्यान न देने की वजह से रोगों की चपेट में आ जाते हैं. लेकिन अगर रंगीन गोभी को खाने में शामिल करेंगे तो उपरोक्त बीमारियों पर कंट्रोल करने में सहायक होगी.
वजन भी कम होगा और दिल की बीमारियों के खतरे भी कम होंगे. क्योंकि रंगीन गोभी में सफेद गोभी की अपेक्षा 25 गुणा विटामिन ई होता हैं. सेंटर के इंचार्ज डॉक्टर सुधीर यादव ने बताया कि रंग बिरंगी सब्जी देखने में तो अच्छी लगती है, साथ ही इनका स्वाद भी ज्यादा होता है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह सब्जी कई तरह की बीमारियों से बचाती है.
सेंटर में यह सब्जी उगाई गई और पाया कि इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. अब प्रदेश के किसानों को भी इस बारे में जागरूक किया जाएगा. वह भी इन सब्जी की खेती आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण, थोड़ी मेहनत और बाजार की समझ विकसित करनी होगी. बस फिर देखिए यह सब्जी न सिर्फ आपकी थाली की कटोरी को समृद्ध करेगी, बल्कि किसानों को भी आर्थिक तौर पर मजबूती देगी.
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डॉ. यादव ने बताया कि आने वाले समय में ऐसा हो सकता है कि बहुत सी बीमारियों का इलाज सब्जी से हो सके. यह संभव है सेंटर में जो पीली व बैंगनी रंग की गोभी उगाई जा रही है. इसमें कई तरह के बदलाव कर इसका बीज तैयार किया गया. इसके बाद इसका उत्पादन यहां हो रहा है. यह बदलाव सिर्फ रंग में नहीं किया गया, बल्कि गोभी में इस तरह के तत्व डाले गए, जिससे यह बीमारियों से लड़ने में मदद कर सके.
इस सब्जी की खेती हरियाणा में आसानी से हो सकती है. यहां का वातावरण सब्जी की खेती के लिए अनुकूल है. सब्जी अच्छा उत्पादन देती है. हमने प्रयोग किया, जिसमें पाया कि सब्जी की गुणवत्ता भी बेहतर है. इस तरह से प्रदेश के किसान भी आसानी से इनकी खेती कर सकते हैं. सेंटर में न सिर्फ फूल गोभी बल्कि बंद गोभी, सलाद के पत्ते भी कई रंग में उगाए जा रहे हैं.
इनके पारंपरिक रंग में बदलाव कर इन्हें और ज्यादा पौष्टिक तत्व से परिपूर्ण किया गया. जिससे खाने वालों को स्वाद के साथ-साथ सेहत में भी सुधार हो सकता है. सेंटर इंचार्ज का मानना है कि भविष्य में इस तरह की सब्जी की खेती का है. आने वाले समय में निश्चित ही किसानों को इस तरह की सब्जी की खेती करनी चाहिए. जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी तो होगी ही, इसके साथ साथ वह कस्टमर को भी बेहतर सब्जी उपलब्ध करा सकते हैं. नया साल इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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