करनाल: कहवात है कि एक सिक्के के दो पहलू होते हैं. आप इसे अपने शब्दों में अच्छा-बुरा, या फिर पॉजिटिव और नेगिटिव कुछ भी कह सकते हैं. जैसे कोरोना को ही ले लीजिए. एक तरफ कोरोना वायरस के चलते लाखों घर उड़ गए, लोगों की नौकरी चली गई, रोजगार खत्म हो गया. दूसरी लहर (Corona Second Wave) के दौरान ऑक्सीजन की कमी से जो हालात पैदा हुए. उसे तो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
ये तो था एक पहलू, अब दूसरा पहलू ये है कि कोरोना की वजह से लोगों में साफ सफाई की समझ पहले से ज्यादा हुई है. इसके साथ ही प्रकृति के प्रति प्रेम बढ़ा है. करनाल में इन दिनों बागवानी का प्रचलन बढ़ रहा है. इसकी वजह है कि इंडोर से लेकर आउटडोर के लिए पौधा खरीदने वाले लोगों की संख्या (Plant Demand Increased) बढ़ रही है. भविष्य में दोबारा ऑक्सीजन का संकट ना देखना पड़े, इसलिए लोग घर में पेड़-पौधे लगा रहे हैं. ऑक्सीजन और पर्यावरण को लेकर पहले के मुकाबले ज्यादा समझदार हुए हैं.
इससे गमला बनाने वालों को भी अच्छा रोजगार मिल रहा है. अब मार्केट में अलग-अलग डिजाइन के गमले (Pots Of Different Designs) आपको देखने को मिलेंगे, जो आपके घर की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं.
नर्सरी संचालक नरेंद्र चौहान और प्रशांत शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि बहुत से ऐसे इंडोर पौधे (Indoor Plant Demand Karnal) हैं, जो हमें 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं. कुछ ऐसे भी पौधे हैं जो बीमारी होने पर नेचुरोपैथी पद्धति से हमारे इलाज में सहायता कर सकते हैं. हर्बल और मसाले देने वाले पौधों की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. जिसमें हींग, हल्दी, इंसुलिन, अश्वगंधा जैसे कई लाभकारी पौधे हैं. जिन्हें लोग घरों में लगा रहे हैं.
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जिला उद्यान अधिकारी जोगिंदर विसला ने इस बारे में कहा कि कोरोना ने इंसान को नेचर के प्रति जागरूक किया है. जिन्होंने कोरोना वायरस को बुरे तरीके से झेला है, वो जानते हैं कि ऑक्सीजन की क्या कीमत है. इसलिए लोगों का रुझान पेड़, पौधों और बागवानी की तरफ बढ़ रहा है. जो सराहनीय कदम है. इनडोर पौधों की डिमांड ज्यादा है. जो हमें 24 घंटे ऑक्सिजन देते हैं.
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पाम, पीसलिली, तुलसी और गिलोए जैसे कुछ ऐसे भी पौधे हैं जो इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक होते हैं. रोज-रोज खरीदने की जगह लोग इनके पौधे घर में ही लगाना पसंद कर रहे हैं. ताकि प्रकृति को अच्छा करने में उनका योगदान भी हो और वो खुद को फिट भी रख सकें