करनाल: पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय की हाई पावर कमेटी ने कोरोना महामारी को देखते हुए अहम फैसला लिया है. करनाल सीजेएम सुश्री जसबीर ने बताया कि जेलों में 7 साल या इससे अधिक वर्ष की सजा काट रहे कैदियों को पेरोल पर छोड़ा जा सकता है. इस दौरान बंदी के आचरण और केस को ध्यान में रखते हुए जेल अधिकारी, पुलिस विभाग व स्थानीय न्यायिक अधिकारी निर्णय ले सकते हैं.
उन्होंने कहा है कि हाई पावर कमेटी ने पिछले आठ चरणों में सात साल और इससे अधिक वर्ष की सजा काट रहे 2580 कैदियों को जेल से रिहा किया था. इनमें से 2170 कैदी अब तक जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं. 280 कैदियों के आत्मसमर्पण की प्रक्रिया 14 मई से शुरू होगी. इस बीच कमेटी ने पूर्व में रिहा किए गए सभी बंदियों को 31 अगस्त तक पेरोल देने का फैसला लिया है.
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उन्होंने बताया कि जेलों में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हाईकोर्ट ने बंदियों को 31 अगस्त तक पेरोल देने का फैसला लिया है. जो दोषी 7 साल से अधिक सजा वाले मामले में आत्मसमर्पण नहीं करते हैं या ऐसे नए केस दर्ज हुए हैं तो उनको पेरोल देने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने ये भी बताया कि जो कैदी जेल से बाहर आने के लिए मना करते हैं तो उनसे लिखित में ये सहमति ली जाएगी. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ने बताया कि जेलों में कोरोना वायरस की टेस्टिंग के बाद वैक्सीन लगाने का अभियान भी शुरू किया जा रहा है.
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