करनाल: पहले किसान मैसेज को लेकर परेशान था, फिर नमी को लेकर. व्यवस्था दुरुस्त हुई तो फिर एक और परेशानी आ गई. इस बार परेशानी सरकार और आढ़तियों के बीच बातचीत ना बनने से हो रही है.
सरकार कह रही है कि हम सीधे किसानों के खातों में पैसे डालेंगे और आढ़ती चाहते हैं कि सरकार अपने वायदे पर रहे. क्योंकि सरकार ने पहले ये कहा था कि मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर ये बात ऑप्शनल होगी. मतलब जो किसान सरकार से डायरेक्ट पैसे खाते में चाहता है. वो सरकार से ले और जो आढ़ती से चाहता है वो आढ़ती से ले.
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अब सरकार कह रही है कि हम सीधे किसानों के खाते में पैसे डालेंगे. आढ़तियों का कहना है कि सरकार किसान और आढ़ती के भाईचारे को खत्म कर रही है. वहीं आढ़तियों की दूसरी मांग है कि सरकार गेहूं की पिछले पेमेंट भी आढ़तियों को दे, जो अभी तक नहीं मिली है.
आढ़तियों ने साफ कह दिया है कि जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, तो वो काम नहीं करेंगे. यानी मंडी में गेहूं आएगी, ट्रॉली से उतरेगी पर ना गेहूं की सफाई होगी, ना तोल होगा और ना लोडिंग होगी. यानी परेशानी होना लाजमी है. वही मजदूर एसोसिएशन भी आढ़तियों के साथ है. उन्होंने साफ कह दिया है कि जैसे वो करेंगे , हम उनके साथ हैं.
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हरियाणा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान अशोक गुप्ता ने कहा कि पिछले दिनों सरकार के साथ हरियाणा आढ़ती एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की एक मुलाकात भी हुई थी. मुलाकात में सहमति नहीं बनी. जिसके चलते अब आढ़तियों ने ये फैसला लिया है कि 8 अप्रैल से पूरे हरियाणा में जितनी भी अनाज मंडी है. सभी में आढ़ती किसानों के गेहूं को अपनी दुकान पर उतरवा देंगे, लेकिन ना ही गेहूं का तोल होगा और ना ही गेहूं की लोडिंग होगी. यह सब तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानती. इस फैसले के बाद सरकार और प्रशासन के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं.