करनाल: हिंदू धर्म में दिनों के गणना पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 20 अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. श्रावण महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष में आने से चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है, इसलिए 20 अगस्त को पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है.
शास्त्रों में बताया गया है कि इस भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है और जो भी इंसान इस दिन व्रत रखता है. उसको बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद गणेश भगवान से प्राप्त होता है. भगवान गणेश उसके घर को धन से भर देते हैं. किसी भी शुभ काम या मांगलिक काम करने की शुरुआत करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है, क्योंकि ये सबसे शुभ माना जाता है.
गणेश चतुर्थी का आरंभ और समापन: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का आरंभ 19 अगस्त को रात को 10:19 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 21 अगस्त की रात को 12:21 पर होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी 20 अगस्त को मनाई जा रही है और उसका व्रत भी 20 अगस्त को ही रखा जाएगा, क्योंकि हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार या व्रत को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए उदय तिथि 20 अगस्त को ही है और इसका व्रत भी 20 अगस्त को ही रखा जाएगा.
सावन विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश भगवान की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अगस्त को सुबह 11 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.
गणेश चतुर्थी पर बन रहे शुभ संयोग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि श्रावण महीने की 20 तारीख को पड़ने वाली गणेश चतुर्थी के दिन कई शुभ संयोग भी बन रहे हैं. इस दिन साध्य और शुभ अत्यंत शुभ योग बन रहा है. इस योग के साथ इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है. इन शुभ योग के चलते इस दिन व्रत रखने का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. साध्य योग का आरंभ सुबह से होगा और ये रात 09 बजकर 59 मिनट तक रहेगा.
शुभ योग का आरम्भ साध्य योग समाप्त होने के बाद शुरू होगा. जो 21 अगस्त को रात 10 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगा. अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का आरम्भ सुबह 6 बजकर 8 मिनट से लेकर 21 अगस्त को सुबह 4 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. रवि योग- सुबह 5 बजकर 53 मिनट से 21 अगस्त को सुबह 5 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.
विनायक चतुर्थी की पूजा का विधि विधान: हिंदू पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व होता है और इस दिन हिंदू धर्म के लोग अपनी इच्छा अनुसार व्रत रखते हैं और भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं. विनायक चतुर्थी के साधक को सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए और उसके बाद जो भी साधक व्रत रखना चाहता है और वो व्रत रखने का प्रण लें. व्रत रखने वाले इंसान को इस दिन भगवान गणेश के मंदिर में जाकर उसकी पूजा अर्चना करनी चाहिए, अगर कोई इंसान मंदिर में नहीं जा सकता तो, वो अपने घर में बने मंदिर में भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना कर सकता है.
उसके लिए साधक को पहले अपने घर के मंदिर में लाल कपड़ा बेचकर उसे परसों की बनाकर गणेश भगवान की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. गणेश भगवान को जनेऊ, मौली, चंदन, पंचमेवा, पंचामृत, चावल, फुल और फल अर्पित करना चाहिए. इस दिन भगवान श्री गणेश की आरती करें और उसका मंत्र जाप करें. शाम के समय भगवान गणेश की पूजा करने के बाद उसको प्रसाद का भोग लगाएं और फिर सभी में प्रसाद बांटे और शाम के समय अपना व्रत का पारण कर लें. भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें.
ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
विनायक चतुर्थी का महत्व: सनातन धर्म में चतुर्थी का विशेष महत्व होता है इस दिन साधक भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं और उसके लिए व्रत रखते हैं. माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन भगवान श्री गणेश के लिए व्रत रखते हैं. भगवान श्री गणेश उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके घर में धन की वर्षा करते हैं और साथ ही बुद्धि का भी आशीर्वाद श्री गणेश अपने साधन को देते हैं. उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है और भगवान श्री गणेश उनकी सारी समस्याओं को खत्म कर देते हैं. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्र देवता के दर्शन करने की मनाही होती है.