करनाल: आपने पहले इंसान से इंसान की दोस्ती देखी होगी या फिर इंसान से दूसरे जानवरों की दोस्ती देखी होगी. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं, कि मगरमच्छ जैसे खूंखार जानवर से भी इंसान की दोस्ती हो सकती है. आपने ऐसा फिल्मों में तो जरुर देखा होगा. लेकिन आज हम आपको हकीकत में एक ऐसी ही दोस्ती से रूबरू करवाते हैं. कुरुक्षेत्र के बोर सैदा गांव में स्थित मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में रह रहे मगरमच्छ का पालन पोषण करने वाले इंसान के साथ दोस्ती की मिसाल जग जाहिर है.
40 सालों से बसंती है दोस्त: इस इंसान का नाम जयपाल उर्फ तारा है. जिसकी बसंती नामक मगरमच्छ के साथ काफी अच्छी दोस्ती है. यह मगरमच्छ प्रजनन केंद्र महाभारत कालीन मंदिर के प्रांगण में बने तालाब में स्थित है. मंदिर के सेवक सतीश ने बताया कि जयपाल पिछले 40 वर्षों से ज्यादा समय से यहां पर मगरमच्छों की देखरेख कर रहे हैं. यह मगरमच्छ प्रजनन केंद्र फॉरेस्ट विभाग के अंतर्गत आता है. जयपाल फॉरेस्ट विभाग में कार्यरत है, जो यहां पर मगरमच्छों की ही देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर सबसे पुराना फीमेल मगरमच्छ है. जिसका नाम जयपाल ने बसंती रखा हुआ है.
बसंती से है गहरा दोस्ताना: जयपाल और बसंती की दोस्ती ऐसी है, कि जब भी जयपाल बसंती का नाम लेकर उनको पुकारते हैं तो वह भागी दौड़ी चली आती है. इतना ही नहीं जयपाल उसके पास खड़े होकर उसको प्यार से सहलाता भी है. वह उसको कुछ नहीं कहती. मंदिर के सेवक ने बताया की जयपाल उनके पास खड़े होकर सिर्फ को खाना ही नहीं देता बल्कि अगर उनको कुछ बीमारी या चोट लग जाती है, तो उसका सारा ट्रीटमेंट जयपाल ही करता है. बसंती के साथ जयपाल का काफी लगाव है. लेकिन जो अन्य मगरमच्छ है, उनके साथ भी जयपाल का लगाओ बन गया है. वह उनके बीच में पशुओं के लिए उस तालाब से हरा घास तक काटता है.
इस दोस्ती के हैं गजब के चर्चे: उन्होंने बताया कि जयपाल के मगरमच्छों के साथ ऐसी दोस्ती है कि जिस के चर्चे दूर-दूर तक है. इनकी दोस्ती देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर आते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई दूसरा इंसान उनको आवाज लगाकर बुलाए तो वह नहीं आएंगे. वही, अगर जयपाल उनको आवाज लगा कर बुलाते हैं तो वह दौड़ी चली आती है. आपको बता दे की अंग्रेजों के समय आजादी से पूर्व यहां एक साधु रहते थे, जिन्होंने यहां बाढ़ के पानी मे बहकर आये दो मगरमच्छ के बच्चों को एक छोटे से गड्ढे में पाला था.
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ऐसे हुई दोस्ती: वह खुद ही इनकी देखभाल किया करते थे. जिस तरह समय बीत गया इन मगरमच्छों की संख्या बढ़ती गई किसानों और ग्रामीणों ने मिलकर इस जगह को सरकार को दे दिया और यहां सरकार ने मगरमच्छ प्रजनन केंद्र खोल दिया. इसी बीच जयपाल और बसंती मिले. उनके बीच कनेक्शन बना और बन गए ऐसे दोस्त जिनकी चर्चा दूर-दूर तक होती है.
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