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लखीमपुर खीरी मामले में हरियाणा में भी शहर-शहर किसानों ने किया प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम भेजा ज्ञापन

Kisan Morcha Nationwide Protests: लखीमपुर खीरी मामले में किसान मोर्चा पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल में हरियाणा के किसानों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. हरियाणा में भी किसानों ने शहर-शहर प्रदर्शन किया. हालांकि किसानों के प्रदर्शन और हजारों की संख्या में भीड़ के जुटने को लेकर पुलिस-प्रशासन अलर्ट मोड पर रहा.

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लखीमपुर खीरी मामले में हरियाणा में भी शहर-शहर किसानों ने किया प्रदर्शन
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Published : Oct 26, 2021, 10:53 PM IST

चंडीगढ़: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के विरोध में देश के साथ पूरे प्रदेश में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया. किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी मिश्रा की गिरफ्तारी और मंत्री पद से बर्खास्तगी की मांग लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. बता दें कि इस मामले में किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है, जिसको लेकर देशभर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया. किसान मोर्चा की ओर से इन मांगों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम भी एक ज्ञापन भेजा.

प्रदेशभर में हुआ प्रदर्शन: चरखी दादरी में खापों की अगुवाई में एकजुट हुए किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया. इस दौरान किसान संगठनों ने फौगाट खाप की अगुवाई में एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. वहीं इस रोष प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किए थे. प्रदर्शन के साथ-साथ भारी सुरक्षाबल मौजूद रहा, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे. वहीं करनाल में किसान मोर्चा के किसानों ने कहा कि इस मामले में मुख्य आरोपी का पिता केंद्रीय मंत्री होने के चलते जांच प्रभावित हो रही है. अभी तक मंत्री की गिरफ्तारी नहीं होने से किसानों में काफी रोष है.

करनाल के किसानों ने कहा कि सयुंक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना की वजह से ही आह्वान किया था कि 3 घंटे का आज के दिन एक सांकेतिक प्रदर्शन रहेगा. अगर सरकार अभी नहीं जागी तो आगे सयुंक्त किसान मोर्चा कोई अहम फैसला लेगा और सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करेगा. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंप दिया जाएगा.

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चरखी दादरी में किसानों का प्रदर्शन

ये पढ़ें- किसान आंदोलन के 11 महीने पूरे, संयुक्त किसान मोर्चा ने किया भारी विरोध प्रदर्शन

ज्ञापन में क्या लिखा: राष्ट्रपति कोविंद को भेजे जाने वाले ज्ञापन में लिखा गया है कि 3 अक्टूबर, 2021 को हुए लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड (जिसके बाद 3 सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है) में जिस तरीके से जांच की जा रही है, उससे पूरा देश निराशा और आक्रोश में है. सुप्रीम कोर्ट इस घटना को लेकर पहले ही कई प्रतिकूल टिप्पणी कर चुका है. इसके अलावा ज्ञापन में लिखा गया है कि महत्वपूर्ण रूप से, देश नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की नैतिकता की कमी से स्तब्ध है, जहां अजय मिश्रा मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बने हुए हैं. दिनदहाड़े किसानों की हत्या की घटना में इस्तेमाल किया जाने वाली गाड़ी मंत्री की है. मंत्री के 3 अक्टूबर 2021 से पहले के कम से कम तीन वीडियो में रिकॉर्ड में हैं, जो सांप्रदायिक वैमनस्य और द्वेष को बढ़ावा देते हैं.

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करनाल में किसानों का प्रदर्शन

ज्ञापन में कहा गया है कि उन्होंने (मंत्री) प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषण भी दिया था. वास्तव में, उन्होंने वीडियो में अपने संदिग्ध (आपराधिक) पूर्ववृत्त का उल्लेख करने में भी संकोच नहीं किया. एसआईटी की ओर से मुख्य आरोपी को समन जारी करने के बाद मंत्री ने शुरू में आरोपियों (उनके बेटे और उसके साथियों) को पनाह भी दी.

ये पढे़ं- ऐलानाबाद उपचुनाव: गोविंद कांडा के लिए प्रचार करने पहुंचे दुष्यंत चौटाला का किसानों ने किया भारी विरोध

किसान आंदोलन के 11 महीने पूरे: तीन कृषि कानूनों के विरोध को लेकर 26 नवंबर 2020 को किसानों ने प्रदर्शन शुरू किए थे. जिसे आज 11 महीने पूरे हो गए हैं. इस 11 महीने में सैंकड़ों किसानों की जानें गई. इस दौरान न तो किसान संगठन झुके और न ही सरकार की तरफ से बातचीत के जरिए कोई हल निकला. इसलिए अब किसान कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.

ये पढ़ें- पहले राकेश टिकैत vs गुरनाम चढूनी! अब योगेंद्र यादव को बर्खास्त करने की मांग, क्या कमजोर हो रहा आंदोलन?

चंडीगढ़: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के विरोध में देश के साथ पूरे प्रदेश में किसानों ने धरना प्रदर्शन किया. किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय टेनी मिश्रा की गिरफ्तारी और मंत्री पद से बर्खास्तगी की मांग लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया. बता दें कि इस मामले में किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है, जिसको लेकर देशभर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया. किसान मोर्चा की ओर से इन मांगों को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम भी एक ज्ञापन भेजा.

प्रदेशभर में हुआ प्रदर्शन: चरखी दादरी में खापों की अगुवाई में एकजुट हुए किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया. इस दौरान किसान संगठनों ने फौगाट खाप की अगुवाई में एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. वहीं इस रोष प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने भी पुख्ता इंतजाम किए थे. प्रदर्शन के साथ-साथ भारी सुरक्षाबल मौजूद रहा, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे. वहीं करनाल में किसान मोर्चा के किसानों ने कहा कि इस मामले में मुख्य आरोपी का पिता केंद्रीय मंत्री होने के चलते जांच प्रभावित हो रही है. अभी तक मंत्री की गिरफ्तारी नहीं होने से किसानों में काफी रोष है.

करनाल के किसानों ने कहा कि सयुंक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक घटना की वजह से ही आह्वान किया था कि 3 घंटे का आज के दिन एक सांकेतिक प्रदर्शन रहेगा. अगर सरकार अभी नहीं जागी तो आगे सयुंक्त किसान मोर्चा कोई अहम फैसला लेगा और सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करेगा. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन जिला अधिकारी को सौंप दिया जाएगा.

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चरखी दादरी में किसानों का प्रदर्शन

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ज्ञापन में क्या लिखा: राष्ट्रपति कोविंद को भेजे जाने वाले ज्ञापन में लिखा गया है कि 3 अक्टूबर, 2021 को हुए लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड (जिसके बाद 3 सप्ताह से अधिक समय बीत चुका है) में जिस तरीके से जांच की जा रही है, उससे पूरा देश निराशा और आक्रोश में है. सुप्रीम कोर्ट इस घटना को लेकर पहले ही कई प्रतिकूल टिप्पणी कर चुका है. इसके अलावा ज्ञापन में लिखा गया है कि महत्वपूर्ण रूप से, देश नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार की नैतिकता की कमी से स्तब्ध है, जहां अजय मिश्रा मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री बने हुए हैं. दिनदहाड़े किसानों की हत्या की घटना में इस्तेमाल किया जाने वाली गाड़ी मंत्री की है. मंत्री के 3 अक्टूबर 2021 से पहले के कम से कम तीन वीडियो में रिकॉर्ड में हैं, जो सांप्रदायिक वैमनस्य और द्वेष को बढ़ावा देते हैं.

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करनाल में किसानों का प्रदर्शन

ज्ञापन में कहा गया है कि उन्होंने (मंत्री) प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषण भी दिया था. वास्तव में, उन्होंने वीडियो में अपने संदिग्ध (आपराधिक) पूर्ववृत्त का उल्लेख करने में भी संकोच नहीं किया. एसआईटी की ओर से मुख्य आरोपी को समन जारी करने के बाद मंत्री ने शुरू में आरोपियों (उनके बेटे और उसके साथियों) को पनाह भी दी.

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किसान आंदोलन के 11 महीने पूरे: तीन कृषि कानूनों के विरोध को लेकर 26 नवंबर 2020 को किसानों ने प्रदर्शन शुरू किए थे. जिसे आज 11 महीने पूरे हो गए हैं. इस 11 महीने में सैंकड़ों किसानों की जानें गई. इस दौरान न तो किसान संगठन झुके और न ही सरकार की तरफ से बातचीत के जरिए कोई हल निकला. इसलिए अब किसान कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं.

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