करनाल: अगर मन में कुछ कर गुजरने का हौसला हो, तो बड़ी से बड़ी बाधाएं आपके रास्ते से खुद-ब-खुद किनारा कर लेती हैं. ये लाइन बाखली गांव करनाल में रहने वाले किसान सुल्तान सिंह (Farmer Sultan Singh Karnal) पर सटीक बैठती हैं. सुल्तान सिंह एक ज्वाइंट फैमिली में रहते हैं. वो और उनका परिवार परंपरागत तरीके से खेती करते आए हैं. साल 2018 में सुल्तान के चाचा को मशरूम के बारे में पता चला. जिसके बाद उन्होंने दो शैड लगाकर मशरूम (Mushroom Farming) का काम शुरु किया.
सही तकनीक के अभाव में शुरुआत में उनको ज्यादा बचत ना हो पाई. उस समय पढ़ाई कर रहे सुल्तान ने सोचा की परंपरागत खेती में ज्यादा कमाई नहीं हो पाती. इसलिए उसने अमेरिका जाकर काम करने की सोची, इस बीच सुल्तान के अपने चाचा के कहने पर साल 2012 में 20 शैड के साथ मशरूम (Mushroom Farming) का काम शुरू किया. इसमें उसको अच्छा मुनाफा हुआ. वक्त के साथ-साथ सुल्तान नई तकनीक को अपनाता गया. आज सुल्तान दूसरे किसानों के लिए मिसाल बने हुए हैं.
अब सुल्तान बीज, जिसको स्पर्म कहा जाता है. उसको खुद ही तैयार करते हैं. मशरूम के उत्पादन के लिए जिस वर्मी कंपोस्ट खाद (Vermi Compost Manure) की जरूरत होती है. उसे भी सुल्तान खुद ही तैयार करते हैं. शुरूआत में बड़ी समस्या खाद तैयार करने में आई. जो मशीनों के बिना ज्यादा समय में तैयार होती थी. नई तकनीक का सहारा लेकर सुल्तान ने 1 महीने से ज्यादा समय में तैयार होने वाली खाद को 18 दिन में तैयार किया.
सुल्तान सिंह को आज मशरूम का सुल्तान भी कहा जाता है. सबसे ज्यादा मशरूम उत्पादन के लिए साल 2018 में सुल्तान को हरियाणा सरकार ने मशरूम रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया. सुल्तान सिंह ने कहा कि वो एक सीजन में लगभग 150 से ज्यादा बांस वाले शैड लगाते हैं. मौजूदा समय में 18 शैड उनके पास एसी रूम वाले हैं. जो शायद ही किसी बड़े मशरूम उत्पादक के पास पूरे भारत में पाए जाते हैं.
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मशरूम का उत्पादन सीजन में सितंबर से फरवरी के बीच किया जाता है. क्योंकि इसके उत्पादन के लिए शुरू में 26 से 27 डिग्री तापमान की जरूरत होती है, ताकि बीज अंकुरित हो सके. बीज के अंकुरित होने के बाद इसे 15 से 17 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. पहले सुल्तान सीजन वाली मशरूम उत्पादन कर रहे थे, क्योंकि बांस के शैड लगाकर 6 महीने तक उससे हम मशरूम ले सकते हैं. फिर 6 महीने खाली रहना पड़ता है. इसलिए उन्होंने एसी वाले रूम बनाने की सोची और अब उनके पास 18 एसी वाले रूम हैं. जिससे वो 12 महीने मशरूम ले रहे हैं.
सुल्तान सिंह ने कहा कि वो एक सीजन में 3500 टन खाद तैयार करते हैं. जो दूसरे किसानों को बेचते हैं. लगभग 250 टन मशरूम का बीज तैयार करते हैं, इससे वो 1 साल में लगभग करोड़ों रुपये का काम कर रहे हैं. अब मशीनों के जरिए सुल्तान ने अपने फार्म को हाईटेक बना लिया है. एक ऐसी मशीन भी है कि अगर किसी समय मशरूम में मंदी आए तो 1 से 2 साल तक मशरूम को स्टोर किया जाता है. 2 साल तक मशरूम को स्टोर किया जा सकता है. बाकि किसान भी अपनी मशरूम को स्टोर करने के लिए सुल्तान के फार्म पर आ सकते हैं.
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मशरूम लगाने के लिए एक बांस और पराली से शैड बनाया जाता है. जिसकी चौड़ाई 32 फुट और लंबाई 65 फुट होती है. इसमें 1800 खाद के बैग रखे जाते हैं. जिस पर सभी खर्च लगाकर लगभग दो लाख खर्च आता है. उससे 50 हजार से 1 लाख तक की एक सीजन में बचत हो जाती है. इस एक शैड से लगभग 40 क्विंटल मशरूम किसान को मिल जाती है और जो बाजार में 75 किलो के हिसाब से आराम से बिक जाती है.