करनाल: भाग्य उन्हीं का साथ देता है जिनके पास मजबूत इरादे होते हैं. ये बात करनाल के किसान निर्मल सिंह (Farmer Nirmal Singh Karnal) पर सटीक बैठती है. निर्मल सिंह किसान परिवार से संबंध रखते हैं. उन्होंने कम्प्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद मल्टी नेशनल कंपनी में डेढ़ लाख रुपये महीना की नौकरी की. इस सैलरी को छोड़कर निर्मल सिंह अब वर्मी कंपोस्ट (Nirmal Singh Vermi Compost Business) यानी केंचुए से खाद बनाने का बिजनेस कर रहे हैं. निर्मल सिंह 'हर किरपा ऑर्गेनिक्स' (Har Kirpa Organics) के नाम से केंचुआ खाद बनाने की यूनिट (Vermi Compost Business) चला रहे हैं.
अलीपुर वीरान गांव करनाल (Alipur Viran village Karnal) के किसान निर्मल सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि हर युवा का सपना होता है कि उसे अच्छी सैलरी मिले. मुझे मल्टी नेशनल कंपनी में डेढ़ लाख रुपये प्रति महीना मिल रहा था, लेकिन मैं कुछ अलग करना चाहता था. एक तो स्वास्थ्य कारण और दूसरा मेरी खेती में रूची. इन दोनों की वजह से मैंने जॉब को छोड़ने का फैसला किया. निर्मल सिंह ने कहा कि उनका पूरा परिवार और रिश्तेदार उनके इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन किसी की परवाह ना करते हुए उन्हें ऑर्गेनिक खेती की तरफ रुख किया. निर्मल सिंह ने बताया कि उन्हें ऑर्गेनिक खेती के बारे में पहले ही पता था कि ये परंपरागत खेती से ज्यादा कमाई दे सकती है. इसलिए उन्होंने इसकी शुरूआत की.
निर्मल सिंह ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती के लिए उन्हें वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुए से बनी खाद को बाहर से खरीदना पड़ता था. जिसके बाद उन्होंने फैसला किया कि क्यों ना वर्मी कंपोस्ट को वो खुद ही तैयार कर लें. इसके बाद निर्मल सिंह ने साल 2019 में वर्मी कंपोस्ट के 20 बेड एक कनाल भूमि (एक एकड़ का तिहाई हिस्सा) पर बनाए. वो धीरे-धीरे इस काम को सीख गए. वक्त बीतने के साथ-साथ उन्हें इससे मुनाफा हुआ और इस व्यवसाय का विस्तार किया.
अब निर्मल सिंह ने लगभग 1 एकड़ में वर्मी कंपोस्ट के 200 बेड लगाए है. जिसमें वो सालाना उनसे अब 32 लख रुपये तक मुनाफा ले रहे हैं. अब करनाल के आसपास से सैकड़ों किसान, उनसे उच्च गुणवत्ता की जैविक खाद खरीदते हैं और बहुत से किसानों को वो मुफ्त में खाद बनाना भी सिखा रहे हैं. जैविक खाद के व्यवसाय के साथ-साथ, निर्मल सिंह जैविक तरीकों से खेती भी कर रहे हैं. उनका उद्देश्य, अपने परिवार को स्वस्थ भोजन खिलाना और किसानों को उच्चतम गुणवत्ता की जैविक खाद उपलब्ध कराना है.
निर्मल सिंह ने बताया कि अब तक लगभग डेढ़ सौ किसान वर्मी कंपोस्ट का काम शुरू कर चुके हैं. जबकि वो भी किसान हित में लगातार काम कर रहे हैं और अब तक लगभग 2500 किसानों को वर्मी कंपोस्ट की ट्रेनिंग अपने फार्म पर दे चुके हैं. निर्मल सिंह ने बताया कि इसमें सबसे जरूरी मार्केटिंग है. क्योंकि खाद बनाने का काम तो केंचुओं का है. लेकिन इसके बाद क्या? उन्होंने कहा कि वो मल्टी नेशनल कंपनी में मार्केटिंग की लाइन में थे. इसलिए उन्हें मार्केटिंग करने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. मार्केटिंग की वजह से उन्होंने जल्दी इस क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल किया.
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किसान ने बताया कि उनके पास असिनिया फटीढ़ा नामक किस्म का केंचुआ है. जो लगभग 60 दिनों में खाद को तैयार कर देता है. उनके पास एक महीने में लगभग 600 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार होती है. जो ₹30 किलो तक के हिसाब से बेची जाती है. निर्मल सिंह ने कहा कि अगर कोई किसान ये काम करना चाहता है तो वो उनसे संपर्क कर सकता है. थोड़ी सी ही जमीन पर मात्र 20 हजार रुपये से किसान इस काम को शुरू कर सकते हैं. इसलिए किसानों को परंपरागत खेती छोड़कर खेती में कुछ नए-नए प्रयोग करने चाहिए. जिससे खेती को मुनाफे का सौदा बनाया जा सके.