करनाल: धान की कटाई के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या आती है पराली के निस्तारण (Stubble Disposal Haryana) की. अभी तक किसान पराली को आग लगाकर नष्ट कर रहे थे. जिससे पर्यावरण प्रदूषण में बढ़ोतरी तो होती ही है. साथ में मिट्टी की उर्वक शक्ति कम होती है, लेकिन अब किसानों को पराली निस्तारण का विकल्प मिल गया है. सैमसंग पेपर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड किसानों की पराली से बिजली (Electricity Made From Straw) बनाने का काम करती है.
सैमसंग पेपर इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड (Samsung Paper Industries Pvt Ltd) के वाइस प्रेसिडेंट जगन्नाथ शाह ने कहा कि वो साल 2017 के पहले से पराली से बिजली बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि साल 1993 में उन्होंने अपनी पेपर मिल स्थापित की थी. इसके लिए वो सरकार से बिजली खरीदते थे, जो ₹8 प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदी जाती थी, लेकिन कुछ साल पहले ही जब पराली किसानों के लिए सिरदर्द बनी, तो उनके दिमाग में बात आई कि क्यों ना अपनी फैक्ट्री में पराली से बिजली बनाने की यूनिट लगाई जाए.
पहले उन्होंने 3 मेगावाट बिजली बनाने का प्लांट लगाया. जिसकी सफलता के बाद एक और प्लांट लगा लिया. अब वो दिन में पराली से 8 मेगावॉट बिजली बनाते हैं. एक सीजन में जगन्नाथ 70 हजार एकड़ की पराली खरीदकर उसे बिजली बनाते हैं. पराली को स्टोर करने के लिए उन्होंने 100 एकड़ जमीन अलग से रखी हुई है. जिस पर पूरे साल के लिए पराली का स्टोरेज किया जाता है.
हर साल वो लगभग 1 लाख 20 हजार क्विंटल पराली खरीदते हैं. जो लगभग ₹20 करोड़ की खरीदी जाती है. वो अपनी फैक्ट्री में हर रोज करीब डेढ़ लाख यूनिट पराली से बिजली बना रहे हैं. पहले जगन्नाथ सरकार से ₹8 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदते थे, लेकिन अब उनका पूरा खर्च लगा कर एक यूनिट बनाने में ₹5 खर्च होता है. इसमें प्रति यूनिट उनको 3 रुपये की बचत होती है. जब वो बाहर से बिजली खरीदते थे तो ज्यादातर कट लगने की समस्या रहती थी.
जिससे उनका काम प्रभावित होता था. अब वो बिना किसी कट के काम करते हैं. जिससे उनको फायदा हो रहा है. उनकी खुद की बिजली 24 घंटे उपलब्ध रहती है. जो पेपर मिल में इस्तेमाल की जाती है. उन्होंने कहा कि हम ₹180 से 200 प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों से पराली खरीदते हैं. किसानों को भी ये तकनीक काफी पसंद आ रही है. किसानों के मुताबिक 1 एकड़ से लगभग 20 क्विंटल पराली निकल जाती है.