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पड़ताल: लॉकडाउन में चारे की कमी ने तोड़ी डेयरी उद्योग की कमर, आधा दूध दे रहे पशु

गुरुपाल नरवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि लॉकडाउन नोटबंदी से भी बुरा है. लॉकडाउन में ना तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था ढंग से हो पा रही है और ना ही पशुओं के दूध का रखरखाव हो पा रहा है. जिसकी वजह से अब पशु भी पहले की तुलना में कम दूध देने लगे हैं.

effect of lockdown on dairy farmers of karnal
लॉकडाउन-2 का डेयरी उद्योग पर क्या पड़ेगा असर
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Published : Apr 14, 2020, 11:56 AM IST

Updated : Apr 14, 2020, 12:07 PM IST

करनाल: पहले ही लॉकडाउन की वजह से पशुपालकों का बुरा हाल था. अब पीएम मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की मियाद को 3 मई तक बढ़ा दिया है. ऐसे में पशुपालकों पर छाई आर्थिक तंगी के बादल और ज्यादा गहरा सकते हैं. करनाल जिले के डेयरी किसान गुरुपाल नरवाल को समझ नहीं आ रहा है कि इस आफत से कैसे बाहर निकला जाए.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

गुरुपाल नरवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि लॉकडाउन नोटबंदी से भी बुरा है. उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन में ना तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था ढंग से हो पा रही है और ना ही पशुओं के दूध का रखरखाव हो पा रहा है. जिसकी वजह से अब पशु भी पहले की तुलना में कम दूध देने लगे हैं.

गुरुपाल ने बताया कि जो पशु 25 से 30 लीटर दूध देता था, वो आज 10 से 12 लीटर तक पहुंच गया है. अगर सरकार ने पशुपालकों की ओर ध्यान नहीं दिया तो चारे की कमी के चलते पशु मर जाएंगे और पशुपालकों पर भी आर्थिक संकट गहरा जाएगा.

पशुपालक गुरुपाल ने बताया कि चारा नहीं मिलने की वजह से वो पशुओं को सूखा चारा और पानी ही दे पा रहे हैं. जिससे दूध भी कम हो गया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पशुओं के दूध का रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है. पहले दूध बिकने के लिए दूसरे गांवों में जाया करता था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से दूध की गाड़ियां बाहर नहीं जा पा रही हैं. कुछ लोग सुबह घर आकर दूध ले रहे हैं और बाकी बचे दूध को पशुओं को ही पिलाना पड़ रहा है.

ये भी पढ़िए: जानिए हरियाणा सरकार के पास कोरोना से लड़ने के सामान का कितना स्टॉक है ?

इसके साथ ही गुरुपाल ने सरकार से पशुपालकों की ओर भी ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं देगी तो पशु चारे की कमी से मर सकते हैं और उनकी हालत और भी ज्यादा बेहाल हो सकती है.

करनाल: पहले ही लॉकडाउन की वजह से पशुपालकों का बुरा हाल था. अब पीएम मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन की मियाद को 3 मई तक बढ़ा दिया है. ऐसे में पशुपालकों पर छाई आर्थिक तंगी के बादल और ज्यादा गहरा सकते हैं. करनाल जिले के डेयरी किसान गुरुपाल नरवाल को समझ नहीं आ रहा है कि इस आफत से कैसे बाहर निकला जाए.

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गुरुपाल नरवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि लॉकडाउन नोटबंदी से भी बुरा है. उन्होंने बताया कि इस लॉकडाउन में ना तो पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था ढंग से हो पा रही है और ना ही पशुओं के दूध का रखरखाव हो पा रहा है. जिसकी वजह से अब पशु भी पहले की तुलना में कम दूध देने लगे हैं.

गुरुपाल ने बताया कि जो पशु 25 से 30 लीटर दूध देता था, वो आज 10 से 12 लीटर तक पहुंच गया है. अगर सरकार ने पशुपालकों की ओर ध्यान नहीं दिया तो चारे की कमी के चलते पशु मर जाएंगे और पशुपालकों पर भी आर्थिक संकट गहरा जाएगा.

पशुपालक गुरुपाल ने बताया कि चारा नहीं मिलने की वजह से वो पशुओं को सूखा चारा और पानी ही दे पा रहे हैं. जिससे दूध भी कम हो गया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि पशुओं के दूध का रखरखाव भी नहीं हो पा रहा है. पहले दूध बिकने के लिए दूसरे गांवों में जाया करता था, लेकिन अब लॉकडाउन की वजह से दूध की गाड़ियां बाहर नहीं जा पा रही हैं. कुछ लोग सुबह घर आकर दूध ले रहे हैं और बाकी बचे दूध को पशुओं को ही पिलाना पड़ रहा है.

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इसके साथ ही गुरुपाल ने सरकार से पशुपालकों की ओर भी ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं देगी तो पशु चारे की कमी से मर सकते हैं और उनकी हालत और भी ज्यादा बेहाल हो सकती है.

Last Updated : Apr 14, 2020, 12:07 PM IST
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