करनाल: हरियाणा में पंचायती चुनाव (Panchayat Elections In Haryana) को देरी हो रही है. यह चुनाव 5 साल के अंतराल में किए जाते हैं. जबकि पिछले चुनाव 6 साल पहले हुए थे. पहले जो सरपंच और जिला परिषद मेंबर बने हुए हैं. उनका बस्ता भी प्रशासन ने अपने पास जमा करवाया हुआ है. ऐसे में गांव का जितना विकास होता है वह प्रशासन के द्वारा होता है. मौजूदा दौर में प्रदेश के गांवों में विकास की क्या स्थिति है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने करनाल के बरथल गांव के लोगों से बातचीत की.
बरथल गांव के रहने वाले जगबीर सिंह ने कहा कि चुनाव समय पर होने चाहिए. क्योंकि ऐसा नहीं होने पर गांव का विकास रूक जाता है. जो गांव के विकास की जानकारी होती है वह गांव में बने सरपंच को ही होती है. वही उसका सही विकास करवा सकता है. ऐसे में चुनाव को लंबा खींच देना गांव के विकास में अड़चन पैदा कर रहा है. हालांकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इस पर ईटीवी भारत कोई टिप्पणी नहीं करता, लेकिन चुनाव में देरी होने की वजह से हरियाणा के हजारों गांव का विकास बीच में ही रुका पड़ा है.
गांव के मौजूदा सरपंच गजे सिंह ने कहा कि उनका बस्ता पंचायती राज कार्यालय में जमा हो चुका है. ऐसे में गांव की पंचायती जमीन की जो बोली होती है उसका सारा पैसा अधिकारियों के पास जाता है. ऐसे में सारा पैसा गांव के विकास पर नहीं लग पाता. प्रशासन को ऐसा कोई निर्णय लेना चाहिए कि जब तक पंचायत चुनाव हो तब तक जो मौजूदा समय में सरपंच, ब्लॉक समिति मेंबर और जिला परिषद मेंबर हैं वे बने रहें. उनको वापस चार्ज दे दिया जाए ताकि हरियाणा के विकास का जो पहिया गांव से होकर गुजरता है वह ना रुके.
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बरथल गांव के ही राजाराम ने कहा कि गांव में पंचायती चुनाव ना होने से गांव में विकास के सारे कार्य रुके पड़े हैं. चाहे वह पानी की निकासी की बात हो या अन्य कोई काम. इसलिए चुनाव समय पर हो तो ग्रामीणों को कोई समस्या पैदा ना होगी. जो कैंडिडेट आगे के चुनाव के लिए तैयारी कर रहे हैं उनका पैसा भी बचाया जा सके. प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर हो रही देरी को लेकर गांव वाले सरकार से खासे नाराज हैं.
क्यों नहीं हो रहे पंचायती चुनाव
बता दें कि, हरियाणा सरकार ने पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी संशोधन किया था. जिसको खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि पंचायती राज एक्ट में संशोधन के जरिए पंचायत चुनावों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है. चुनाव के लिए पंचायत, ब्लॉक और जिला परिषद के वार्ड को ऑड और ईवन में बांटा जाएगा. अमेंडमेंट के तहत कहा गया कि ईवन नंबर महिलाओं के लिए रिजर्व रखा गया है. ऑड नंबर में ये प्रावधान किया गया है कि महिलाओं के अतिरिक्त ही यहां पर चुनाव लड़ सकते हैं. यानी महिलाएं ऑड कैटेगरी में चुनाव नहीं लड़ सकती.
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ऑड नंबर में महिलाओं के चुनाव ना लड़ने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. ऑड नंबर या ओपन कैटेगरी में महिलाओं को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता, ये दलील दी गई है. हाईकोर्ट में पंचायत चुनाव आरक्षण को लेकर मामला विचाराधीन है. इस मामले में भी आगामी सिंतबर महीने में सुनवाई होनी है. ऐसे में आने वाले लगभग 1 साल तक हरियाणा में चुनाव होते नहीं दिखाई दे रहे हैं. सरकार और कोर्ट को चाहिए कि जल्द से जल्द कोई फैसला दे जिससे गांव के विकास का पहिया ना रुक पाए.
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