करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सनातन धर्म में दीपावली के 15 दिन के बाद देव दीपावली पर्व मनाने का विशेष महत्व है. देव दीपावली सभी देव को समर्पित पर्व है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती पर आते हैं, जो पवित्र नदियों में स्नान करने उपरांत दीप जलाकर दीपावली मनाते हैं. इसी के चलते पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. कहते हैं इस दिन दीपदान करने से भी बहुत ही ज्यादा फल मिलता है. इस दिन पवित्र नदियों पर दीप जलाने का विशेष महत्व होता है.
देव दीपावली आज: ज्योतिषाचार्य रामराज कौशिक ने बताया कि इस बार देव दीपावली को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है कि देव दीपावली 26 नवंबर को मनाएं या 27 नवंबर को. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि देव दीपावली 26 नवंबर को मनाई जाएगी. इस दिन शाम के समय प्रदोष काल लगेगा. इस दिन प्रदोष काल में दीप जलाने का विशेष महत्व होता है. वहीं, 27 नवंबर को सुबह स्नान और दान किया जाएगा.
देव दीपावली पर स्नान व दान का विशेष महत्व: सनातन धर्म में दीपावली सबसे बड़ा त्योहार होता है. कार्तिक महीने की पूर्णिमा के प्रदोष काल के दौरान देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर आकर दीपावली उत्सव मनाते हैं. इस दिन के बाद से साल के सारे त्योहार खत्म हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि देव दीपावली का आरंभ 26 नवंबर को दोपहर 3:53 बजे से होगा, जबकि इसका समापन 27 नवंबर को दोपहर 2:45 बजे होगा. देव दीपावली में प्रदोष काल में दीप जलाने का विशेष महत्व होता है. 26 नवंबर को प्रदोष काल लग रहा है इसलिए देव दीपावली 26 नवंबर को मनाया जाएगा. हालांकि, स्नान और दान 27 नवंबर को सुबह के समय किया जाएगा. 26 नवंबर के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय शाम 5:08 बजे से शुरू होकर 7:47 बजे तक रहेगा.
देव दीपावली का महत्व: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, देव दीपावली का दिन सनातन धर्म के लिए बहुत ही लाभदायक और शुभ माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सभी देवी देवता पृथ्वी पर आते हैं और पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दीपदान करते हैं. मान्यता के अनुसार दीप दीपावली के दिन पवित्र नदी, तालाब और कुंड में स्नान करने सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं स्नान करने के बाद दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. साथ ही कई जन्मों के पाप कट जाते हैं.
इसलिए मनाते हैं देव दीपावली: ज्योतिष के अनुसार, देव दीपावली इसलिए मनाई जाती है, क्योंकि इस भगवान भोलेनाथ के द्वारा त्रिपुरासुर नाम के राक्षस को मार दिया गया था. क्योंकि राक्षस ने अपने आतंक से देवी देवताओं को बहुत ज्यादा परेशान किया हुआ था और उनसे मुक्त कराने के लिए ही उन्होंने उसका वध किया था. उसके बाद से ही इस दिन दीप दीपावली मनाई जा रही है. मान्यता है कि राक्षस के वध करने के बाद ही सभी देवताओं ने काशी में गंगा घाट पर स्नान करने उपरांत दीप जलाकर खुशी मनाई थी तभी से यह प्रथा चली आ रही है. कहते हैं इस दिन काशी में स्नान करने के बाद दान और दीप दान करने से विशेष फल मिलता है.
देव दीपावली पूजा विधि-विधान: ज्योतिषाचार्य ने बताया कि देव दीपावली के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, कुंड या तालाब में स्नान करना चाहिए. उसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. उसके बाद विधिवत रूप से भगवान भोलेनाथ, भगवान गणेश और भगवान विष्णु सहित सभी देवी देवताओं की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. वैसे तो इस दिन पवित्र नदियों के तट पर 5, 7 या 11 दीप जलाए जाते हैं, लेकिन मंदिर में भी दीप अवश्य जलाने का विशेष महात्म्य है. ऐसा करने से भगवान काफी खुश होते हैं. पूजा के दौरान सभी देवी-देवताओं को फल फूल मिठाई और वस्त्र अर्पित करें. देव दीपावली के दिन सुबह और शाम दोनों समय पूजा-अर्चना करने का महत्व है. इस दिन प्रदोष काल के समय दीप जलाकर देव दीपावली मनाएं और स्नान करने बाद जरूरतमंद लोगों को दान करें.
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