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यमराज के द्वार पर भी लॉकडाउन! करनाल में कम हुआ मौतों का आंकड़ा

करनाल के श्मशान घाटों से मिले आंकड़ों के अनुसार शहर के पांच प्रमुख श्मशान घाटों पर 22 मार्च से पहले 16 दिनों में 212 के करीब लोगों के अंतिम संस्कार होते थे, लेकिन 24 मार्च से 6 अप्रैल तक 106 लोगों के ही अंतिम संस्कार हुए हैं.

Death toll decreased in Karnal
यमराज के द्वार पर भी लॉकडाउन! करनाल में कम हुआ मौतों का आंकड़ा
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Published : Apr 8, 2020, 5:24 PM IST

करनालः कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से देशभर में लाकडाउन किया गया है. इसी बीच हरियाणा के करनाल जिले में लॉकडाउन के दौरान होने वाली मौतों का ग्राफ आधा हो गया है. जिले के श्मशान घाटों पर पहले जहां प्रतिदिन औसतन 12 शव पहुंचते थे तो वहीं 22 मार्च के लॉकडाउन के बाद ये संख्या औसतन 6 रह गई है.

करनाल के श्मशान घाटों से मिले आंकड़ों के अनुसार शहर के पांच प्रमुख श्मशान घाटों पर 22 मार्च से पहले 16 दिनों में 212 के करीब लोगों के अंतिम संस्कार होते थे, लेकिन 24 मार्च से 6 अप्रैल तक 106 लोगों के ही अंतिम संस्कार हुए हैं. इनमें से 3 लोगों की मौत दुर्घटना में हुई है तो अधिकतर की लंबी बीमारी व बुजुर्ग होने के कारण हुई है. मरने वाले अधिकतर 50 से अधिक उम्र के हैं.

यमराज के द्वार पर भी लॉकडाउन! करनाल में कम हुआ मौतों का आंकड़ा

'देह संस्कारों के आकड़ें हुए कम'

करनाल में श्री राम कृष्ण संकीर्तन मंडल (स्वर्गाश्रम) और अर्जुन गेट के वरिष्ठ उपप्रधान श्यामसुंदर ने बताया कि लॉकडाउन से पहले अंतिम संस्कार ज्यादा होते थे. मंडल के आंकड़े इस बात के गवाह हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद शवों की संख्या कम हो गई है. लगता है कि मृत्यु दर में कमी इस वजह से आई है क्योंकी ना तो प्रूदषण है और ना ही एक्सीडेंट है ऐसे में केवल नैचुरल डेथ ही हो रही है.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन: मोक्ष के द्वार पर लगा ताला! विसर्जन के इंतजार में पेड़ों पर टंगी अस्थियां

मोक्ष के इंतजार में अस्थियां!

लॉकडाउन होने के कारण करनाल के शमशान घाटों पर लगभग 95 लोगों की अस्थियां लॉकर में बंद हैं, जो हरिद्वार में गंगा में बहाने के लिए रख दी गई हैं. शमशान घाट के प्रधानों का कहना है कि जब लॉकडाउन खत्म होगा तो उनके परिजनों को अस्थियां दे दी जायेंगी और फिर उन्हें हरिद्वार में गंगा में बहा दिया जायेगा.

'नहीं बची अस्थियां रखने की जगह'

श्री राम कृष्ण संकीर्तन मंडल (स्वर्गाश्रम) और अर्जुन गेट के वरिष्ठ उपप्रधान श्यामसुंदर ने बताया कि श्मशान घाट पर अब अस्थियां रखने की जगह ही नहीं बची है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियों को ना तो गंगा में बहा सकते हैं और ही ना यमुना में विसर्जन कर पा रहे हैं. में बहा सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन: रिश्तेदारों ने वीडियो कॉल से किए अंतिम दर्शन

आईजी ने दी जानकारी

करनाल रेंज की आईजी भारती अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन के चलते लोग लोग घरों से भी बाहर नहीं निकल रहे. जिसके चलते ना तो सड़क हादसे हो रहे हैं और ना ही हत्या जैसे अपराध. इसके अलावा गैंगवार, आपसी झगड़े भी काफी कम सामने आ रहे हैं. आलम ये है कि हरियाणा में मौत की दरों का ग्राफ ही गिरकर आधा हो गया है.

करनालः कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से देशभर में लाकडाउन किया गया है. इसी बीच हरियाणा के करनाल जिले में लॉकडाउन के दौरान होने वाली मौतों का ग्राफ आधा हो गया है. जिले के श्मशान घाटों पर पहले जहां प्रतिदिन औसतन 12 शव पहुंचते थे तो वहीं 22 मार्च के लॉकडाउन के बाद ये संख्या औसतन 6 रह गई है.

करनाल के श्मशान घाटों से मिले आंकड़ों के अनुसार शहर के पांच प्रमुख श्मशान घाटों पर 22 मार्च से पहले 16 दिनों में 212 के करीब लोगों के अंतिम संस्कार होते थे, लेकिन 24 मार्च से 6 अप्रैल तक 106 लोगों के ही अंतिम संस्कार हुए हैं. इनमें से 3 लोगों की मौत दुर्घटना में हुई है तो अधिकतर की लंबी बीमारी व बुजुर्ग होने के कारण हुई है. मरने वाले अधिकतर 50 से अधिक उम्र के हैं.

यमराज के द्वार पर भी लॉकडाउन! करनाल में कम हुआ मौतों का आंकड़ा

'देह संस्कारों के आकड़ें हुए कम'

करनाल में श्री राम कृष्ण संकीर्तन मंडल (स्वर्गाश्रम) और अर्जुन गेट के वरिष्ठ उपप्रधान श्यामसुंदर ने बताया कि लॉकडाउन से पहले अंतिम संस्कार ज्यादा होते थे. मंडल के आंकड़े इस बात के गवाह हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद शवों की संख्या कम हो गई है. लगता है कि मृत्यु दर में कमी इस वजह से आई है क्योंकी ना तो प्रूदषण है और ना ही एक्सीडेंट है ऐसे में केवल नैचुरल डेथ ही हो रही है.

ये भी पढ़ेंः लॉकडाउन: मोक्ष के द्वार पर लगा ताला! विसर्जन के इंतजार में पेड़ों पर टंगी अस्थियां

मोक्ष के इंतजार में अस्थियां!

लॉकडाउन होने के कारण करनाल के शमशान घाटों पर लगभग 95 लोगों की अस्थियां लॉकर में बंद हैं, जो हरिद्वार में गंगा में बहाने के लिए रख दी गई हैं. शमशान घाट के प्रधानों का कहना है कि जब लॉकडाउन खत्म होगा तो उनके परिजनों को अस्थियां दे दी जायेंगी और फिर उन्हें हरिद्वार में गंगा में बहा दिया जायेगा.

'नहीं बची अस्थियां रखने की जगह'

श्री राम कृष्ण संकीर्तन मंडल (स्वर्गाश्रम) और अर्जुन गेट के वरिष्ठ उपप्रधान श्यामसुंदर ने बताया कि श्मशान घाट पर अब अस्थियां रखने की जगह ही नहीं बची है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियों को ना तो गंगा में बहा सकते हैं और ही ना यमुना में विसर्जन कर पा रहे हैं. में बहा सकते हैं.

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आईजी ने दी जानकारी

करनाल रेंज की आईजी भारती अरोड़ा ने बताया कि लॉकडाउन के चलते लोग लोग घरों से भी बाहर नहीं निकल रहे. जिसके चलते ना तो सड़क हादसे हो रहे हैं और ना ही हत्या जैसे अपराध. इसके अलावा गैंगवार, आपसी झगड़े भी काफी कम सामने आ रहे हैं. आलम ये है कि हरियाणा में मौत की दरों का ग्राफ ही गिरकर आधा हो गया है.

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