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राष्‍ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्‍थान करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला: क्लोन भैंस 'स्वरूपा' बनी आकर्षण - National Dairy Fair in Karnal

करनाल डेरी अनुसंधान संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला (Dairy Exhibition in Karnal NDRI) आज से शुरू हो गया. इस मेले में किसानों को नवीनतम तकनीक और प्राद्योगिकी की जानकारी देने के लिए विभिन्न स्टॉल और कृषि स्टार्टअप्स की प्रदर्शनी लगाई गई है.

Dairy Exhibition in Karnal NDRI
करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला शुरू
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Published : Apr 8, 2023, 7:32 PM IST

करनाल: राष्‍ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्‍थान करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला का आज शुभारंभ हुआ. डेरी मेला का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (पशुविज्ञान), डॉ. भूपें‍द्र नाथ त्रिपाठी के द्वारा किया गया. राष्‍ट्रीय डेरी मेला के उद्घाटन अवसर पर एनडीआरआई करनाल के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने बताया कि एनडीआरआई ने अपनी स्‍थापना के 100 वर्षों की अवधि 150 में प्रौद्योगिकी का विकास किया है, जिनमें से 46 को पेटेंट के लिए दाखिल किया गया है. इनमें से 36 प्रौद्योगिकी के पेटेंट मिल चुके हैं. इसके अलावा 86 प्रौद्योगिकी का वाणिज्यिकरण भी किया गया है.

मेला का मुख्‍य आकर्षण है क्लोन भैंस : कुलपति डॉ. धीर सिंह ने बताया कि राष्‍ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्‍थान द्वारा प्रत्‍येक वर्ष आयोजित किया जाने वाला राष्‍ट्रीय डेरी मेला किसानों एवं पशुपालकों के लिए अनेक कारणों से बहुपयोगी होता है. यह मेला एक मंच है, जहां डेरी विज्ञान से संबंधित सभी नूतन तकनीक को किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है. इस मेला का मुख्‍य आकर्षण स्‍वरूपा नाम क्लोन भैंस है, जिसको देखकर हरियाणा, पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, राज्‍यस्‍थान आदि राज्‍यों से आए हजारों किसान एंव पशुपालक आनंदित एवं आश्‍चर्यचकित हैं.

Dairy Exhibition in Karnal NDRI
मेले में किसानों को मिलेगी नवीनतम तकनीक की जानकारी.

पढ़ें: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में 3 दिवसीय डेयरी मेले का आयोजन, दमदार दुधारू पशुओं की होगी प्रतियोगिता

किसानों को मिल रही है नवीनतम तकनीक की जानकारी : इस मेला में 200 से अधिक स्‍टॉल लगाए गए हैं. जिसमें 100 से अधिक स्‍टॉलों पर उद्योग जगत के उद्यमी, स्‍टार्टअप्‍स, स्‍वयं सहायता समूह, बैंक, डेरी विज्ञान से संबंधित अनेक संस्‍थानों के अन्‍य के स्‍टॉल लगे हुए हैं. इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 15 स्‍टॉल भी मेला का आकर्षण बने हुए हैं. इन स्टॉल पर परिषद द्वारा अपनी नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के द्वारा किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं. किसानों को जानकारी प्रदान करने हुए कृषि विज्ञान के प्रतिनिधि एवं उनके साथ आए किसान भी मेला में सम्मिलित हुए हैं.

देसी नस्‍ल की गायों का करें संर्वधन: मेला उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्‍य अतिथि संबोधित करते हुए डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन, सीमित जल एवं जमीन को ध्‍यान में रखते हुए हमें उन्‍नत नस्‍ल की गाय चाहिए. जिनकी उत्‍पादकता अधिक हो और वो वर्तमान वातावरण को सहन करने वाली हो. उपरोक्‍त परिपेक्ष में किसान भाइयों एवं पशुपालकों को देशी नस्‍ल की गायों का संर्वधन करने की आवश्‍यकता है.

Dairy Exhibition in Karnal NDRI
करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला का शुभारंभ.

पढ़ें: NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

स्वयं सहायता समूह बनाएं किसान: उन्‍होंने आगे बताया कि सन् 1950 में देश की आबादी 35 करोड़ थी, जो आज बढ़कर 140 करोड़ हो गई है. जबकि दूध उत्‍पादन में हमने 12 गुणा प्रगति की है. स्‍वतंत्रता प्राप्ति के समय गाय-भैंसों की संख्‍या लगभग 20 करोड़ थी जो अब बढ़कर 30 करोड़ हो गई है. ऐसा बेहतर पोषण, रोगों का प्रबंधन, नवीनतम तकनीक के इस्‍तेमाल किए जाने के कारण हुआ है. अपने अभिभाषण के अंत में उन्‍होंने किसानों के एफपीओ तथा स्‍वयं सहायता समूह बनाकर लाभ हेतु कार्य करने पर जोर दिया.

करनाल: राष्‍ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्‍थान करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला का आज शुभारंभ हुआ. डेरी मेला का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (पशुविज्ञान), डॉ. भूपें‍द्र नाथ त्रिपाठी के द्वारा किया गया. राष्‍ट्रीय डेरी मेला के उद्घाटन अवसर पर एनडीआरआई करनाल के निदेशक एवं कुलपति डॉ. धीर सिंह ने बताया कि एनडीआरआई ने अपनी स्‍थापना के 100 वर्षों की अवधि 150 में प्रौद्योगिकी का विकास किया है, जिनमें से 46 को पेटेंट के लिए दाखिल किया गया है. इनमें से 36 प्रौद्योगिकी के पेटेंट मिल चुके हैं. इसके अलावा 86 प्रौद्योगिकी का वाणिज्यिकरण भी किया गया है.

मेला का मुख्‍य आकर्षण है क्लोन भैंस : कुलपति डॉ. धीर सिंह ने बताया कि राष्‍ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्‍थान द्वारा प्रत्‍येक वर्ष आयोजित किया जाने वाला राष्‍ट्रीय डेरी मेला किसानों एवं पशुपालकों के लिए अनेक कारणों से बहुपयोगी होता है. यह मेला एक मंच है, जहां डेरी विज्ञान से संबंधित सभी नूतन तकनीक को किसानों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है. इस मेला का मुख्‍य आकर्षण स्‍वरूपा नाम क्लोन भैंस है, जिसको देखकर हरियाणा, पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, राज्‍यस्‍थान आदि राज्‍यों से आए हजारों किसान एंव पशुपालक आनंदित एवं आश्‍चर्यचकित हैं.

Dairy Exhibition in Karnal NDRI
मेले में किसानों को मिलेगी नवीनतम तकनीक की जानकारी.

पढ़ें: राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल में 3 दिवसीय डेयरी मेले का आयोजन, दमदार दुधारू पशुओं की होगी प्रतियोगिता

किसानों को मिल रही है नवीनतम तकनीक की जानकारी : इस मेला में 200 से अधिक स्‍टॉल लगाए गए हैं. जिसमें 100 से अधिक स्‍टॉलों पर उद्योग जगत के उद्यमी, स्‍टार्टअप्‍स, स्‍वयं सहायता समूह, बैंक, डेरी विज्ञान से संबंधित अनेक संस्‍थानों के अन्‍य के स्‍टॉल लगे हुए हैं. इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 15 स्‍टॉल भी मेला का आकर्षण बने हुए हैं. इन स्टॉल पर परिषद द्वारा अपनी नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं तकनीक के द्वारा किसानों को लाभ पहुंचा रहे हैं. किसानों को जानकारी प्रदान करने हुए कृषि विज्ञान के प्रतिनिधि एवं उनके साथ आए किसान भी मेला में सम्मिलित हुए हैं.

देसी नस्‍ल की गायों का करें संर्वधन: मेला उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्‍य अतिथि संबोधित करते हुए डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन, सीमित जल एवं जमीन को ध्‍यान में रखते हुए हमें उन्‍नत नस्‍ल की गाय चाहिए. जिनकी उत्‍पादकता अधिक हो और वो वर्तमान वातावरण को सहन करने वाली हो. उपरोक्‍त परिपेक्ष में किसान भाइयों एवं पशुपालकों को देशी नस्‍ल की गायों का संर्वधन करने की आवश्‍यकता है.

Dairy Exhibition in Karnal NDRI
करनाल में तीन दिवसीय राष्‍ट्रीय डेरी मेला का शुभारंभ.

पढ़ें: NDRI करनाल ने रचा इतिहास, भैंस की पूंछ के सैल से पैदा किए 2 क्लोन, दोगुना होगा दूध उत्पादन

स्वयं सहायता समूह बनाएं किसान: उन्‍होंने आगे बताया कि सन् 1950 में देश की आबादी 35 करोड़ थी, जो आज बढ़कर 140 करोड़ हो गई है. जबकि दूध उत्‍पादन में हमने 12 गुणा प्रगति की है. स्‍वतंत्रता प्राप्ति के समय गाय-भैंसों की संख्‍या लगभग 20 करोड़ थी जो अब बढ़कर 30 करोड़ हो गई है. ऐसा बेहतर पोषण, रोगों का प्रबंधन, नवीनतम तकनीक के इस्‍तेमाल किए जाने के कारण हुआ है. अपने अभिभाषण के अंत में उन्‍होंने किसानों के एफपीओ तथा स्‍वयं सहायता समूह बनाकर लाभ हेतु कार्य करने पर जोर दिया.

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