करनाल: पिछले दिनों करनाल सहित पूरे हरियाणा में बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की गेहूं की फसल को तबाह कर दिया है. जिसको ईटीवी भारत हरियाणा ने प्रमुखता से दिखाया था. किसानों की मानें तो इस बरसात के कारण किसानों को गेहूं में 50 से 70% तक नुकसान हो चुका है. तो ऐसे में कृषि विभाग की तरफ से बार-बार नोटिफिकेशन जारी किया जा रहा है, कि किसान मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर जा कर क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी फसल का ब्योरा ध्यान से डालें. ताकि उनकी फसल की वेरिफिकेशन करा कर उनको उचित मुआवजा दिया जाए.
जिला करनाल में अब तक 306 गांवों के 2031 किसानों ने ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 14777 एकड़ की अपनी फसलों के खराबे का ब्यौरा दर्ज करवाया है. जिसमें से करीब 4 हजार एकड़ फसल की प्रशासन द्वारा वेरीफिकेशन करवाई जा चुकी है. वहीं किसानों को ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर ब्यौरा दर्ज करवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. जिला कृषि अधिकारी डॉ प्रदीप डबास ने शेष किसानों से भी अपील करते हुए कहा कि बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के कारण खराब हुई फसल का ब्यौरा ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर दर्ज करवाना अनिवार्य है. ताकि उन्हें जल्द से जल्द मुआवजा मुहैया करवाया जा सके.
वहीं सरकार द्वारा जिला के उपायुक्तों को निर्देश दिए कि अपने-अपने जिला से संबंधित 25 प्रतिशत से अधिक फसल खराबे की रिपोर्ट भी जल्द से जल्द गांवों की सूची सहित मुख्यालय को अवश्य भेजें. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसानों को ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर खराबे की जानकारी दर्ज करवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. इसके अलावा जिन किसानों ने ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपनी खराब फसलों की जानकारी दर्ज करवा दी है.
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उनकी वेरिफिकेशन भी जल्द करवाएं ताकि किसानों को उनका मुआवजा जल्द दिलवाया जा सके. उन्होंने कहा कि हाल ही में हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के कारण खराब हुई किसानों की फसलों का आकलन कर मई माह तक किसानों के खातों में मुआवजा भेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा में स्पेशल गिरदावरी का कार्य 15 दिन में पूरा कर लिया जाएगा और पारदर्शी ढंग से सभी किसानों को मुआवजा प्रदान किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि किसानों को ई-फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपने नुकसान का ब्यौरा भरना अनिवार्य है. इसके अलावा, जो किसान स्वयं क्षतिपूर्ति पोर्टल पर नुकसान का आकलन नहीं भर सकते वे कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर भरवा सकते हैं. सरकार द्वारा उसका खर्च वहन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि फसल का बीमा करवाने वाले किसानों को कंपनी द्वारा भुगतान किया जाता है और बीमा न करने वाले किसानों को सरकार द्वारा 15000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा प्रदान किया जाएगा.
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