कुरुक्षेत्र: हिंदू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है. माना गया है कि गाय में सभी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए सरकार और कई संस्थाएं गौ रक्षा को लेकर काम करती हैं. ऐसे में गुजरात की कुछ महिलाओं ने गौ रक्षा के लिए एक नया उपाय निकाला है. इन महिलाओं ने गाय के पंचगव्य से घर में इस्तेमाल किया जाने वाला विभिन्न प्रकार का समान तैयार किया और इस सामान की प्रदर्शनी कुरुक्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव पर लगाई.
गाय को बचाने के लिए अनोखा स्टार्टअप: सिमरन आर्य नाम की महिला गीता जयंती महोत्सव में लगी स्टॉल को संभाल रही हैं. उनका कहना है कि वो मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं और पानीपत में दूसरी महिलाओं के साथ मिल पंचगव्य से घर में इस्तेमाल किए जाने वाला समान तैयार कर रही हैं. उनका मानना है कि ये गौ रक्षा में भी लाभकारी है, क्योंकि लोग अक्सर दूध ना देने वाली गायों को सड़क पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं या फिर उन्हें कुछ ऐसे लोगों के हाथों बेच दिया जाता है जो आगे जाकर गाय की हत्या कर उसका मांस बाजार में बेचते हैं. जो काफी गलत है.
आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं: उन्होंने कहा कि पंचगव्य से बना सामान स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. वो जो भी सामान तैयार कर रही हैं. उसमें गाय के दूध, दही, घी, छाछ के साथ गोमूत्र और गाय के गोबर का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये सभी सामान महिलाओं के द्वारा तैयार किया गया है. जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है. उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य ये है कि गाय को बचाया जाए, लेकिन उसके साथ वो इस काम पर भी जोर दे रही हैं कि जो महिलाएं अपने घर में रहकर अपने परिवार के लिए काम कर रही हैं. वो अपने खाली समय में उनके साथ मिलकर काम करें और खुद को स्वावलंबी बनाएं, ताकि उनको किसी के ऊपर निर्भर नहीं होना पड़े
फ्री दी जाती है ट्रेनिंग: सिमरन के साथ मिलकर 162 महिलाएं काम कर रही हैं. जिनमें से ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो उनसे काम सीख कर खुद का काम कर रही हैं. इस काम के जरिए सैकड़ों महिलाओं की रोजी-रोटी चल रही है. उन्होंने कहा कि जो भी महिला ये काम सीखना चाहती है. वो हमारे साथ मिलकर काम कर सकती है. वो महिलाओं को फ्री में पंचगव्य से बने हुए सामान बनाने की पूरी ट्रेनिंग देती हैं. ऐसी सैकड़ों महिलाएं हैं, जो उनके द्वारा काम सीख कर. अपना खुद का काम कर रही हैं.
सिमरन ने कहा कि गाय से जुड़े हुए जितने भी प्रकार के उत्पाद वो बना सकते हैं. वो सभी उत्पाद बना रहे हैं और सभी उत्पाद बिना केमिकल के होते हैं. एक प्रकार से पर्यावरण के लिए भी काफी अच्छे होते हैं. उन्होंने कहा कि वो पंचगव्य से दिए, अगरबत्ती, मूर्ति और भी बहुत प्रकार के समान बनकर तैयार कर रहे हैं. उनके बनाए हुए सामान में किसी भी प्रकार का केमिकल प्रयोग नहीं किया जाता. जिसके चलते उसका डीकंपोज भी आसानी से किया जाता है. जिसे वातावरण पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
सिमरन ने कहा कि जो सामान वो बना रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर आए हुए पर्यटकों के द्वारा उसको खूब पसंद किया जा रहा है, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव पर वो दूसरी बार आई हैं, लेकिन उनको काफी प्यार मिल रहा है और लोग उनके सामान की खूब खरीदारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वो ग्राहकों के ये भी कहती हैं कि वो एक बार उनके प्रोडक्ट का इस्तेमाल करके देखे. अच्छा लगे तो पैसे बाद में दे देना. अगर किसी के पास कम पैसे होते हैं, तो भी उसको वो सामान दे देती हैं.
ये भी पढ़ें: गजब की गाजर से किसान मालामाल, रातों-रात चमक जाएगी आपकी भी किस्मत, जानिए कैसे ?
ये भी पढ़ें: हरियाणा के किसान एफपीओ के जरिए एक एकड़ से कमा रहे 8 लाख रुपये, 30 से 40 महिलाओं को दिया रोजगार