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स्पेशल रिपोर्ट: क्लाइमेट स्मार्ट खेती से बर्निंग फ्री बनेंगे हरियाणा के 100 गांव - करनाल स्मार्ट खेती गांव बर्निंग फ्री

किसानों को ज्यादा कमाई और वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल के 100 गांव क्लाइमेट स्मार्ट बनाए जा रहे हैं. इनमें आधुनिक खेती तो होगी ही साथ ही किसी भी गांव में पराली या धान के अवशेष का तिनका भी नहीं जलाया जाएगा. किसानों को क्लाइमेट स्मार्ट खेती करने के तौर-तरीके सिखाने की कोशिश की जा रही है.

climate smart farming techniques will make villages burning free
करनाल: क्लाइमेट स्मार्ट खेती की तकनीक से गांव होंगे बर्निंग फ्री
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Published : Oct 13, 2020, 6:21 PM IST

करनाल: किसानों को ज्यादा कमाई और वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल के 100 गांव क्लाइमेट स्मार्ट बनाए जा रहे हैं. इनमें आधुनिक खेती तो होगी ही साथ ही किसी भी गांव में पराली या धान के अवशेष का तिनका भी नहीं जलाया जाएगा.

पराली जलाने से जुड़ी चिंताओं के बीच केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान इस मॉडल पर काम कर रहा है. इसके लिए किसानों को क्लाइमेट स्मार्ट खेती करने के तौर-तरीके भी सिखाए जा रहे हैं. इसमें पानी बचाने और फसल पर कम लागत में ज्यादा आमदनी के तरीके सिखाने पर फोकस किया गया है.

स्पेशल रिपोर्ट: क्लाइमेट स्मार्ट खेती से बर्निंग फ्री बनेंगे हरियाणा के 100 गांव

नई तकनीक से पराली बनेगी फायदे का सौदा

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान और अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र दिल्ली का ये संयुक्त प्रोजेक्ट है. मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एचएस जाट ने बताया कि किसान अवशेष जलाना बंद कर दें तो जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. अवशेष जमीन पर पड़े रहने से नमी बरकरार रहेगी और इससे फसल को पानी की कम जरूरत होगी. जिससे पानी की बचत ज्यादा होगी.

क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर पर दिया जा रहा है जोर

इस विधि में साल में महज 2 बार खेत जोतने की जरूरत होती है, वो भी फसल के हिसाब से कई फसलों जैसे गेहूं, मक्का में इसकी भी जरूरत नहीं होती. डॉ. एचएस जाट बताते हैं कि करनाल के 30 और कैथल के 35-35 गांवों में क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर पर काम किया जाएगा.

इन गांवों में फसल अवशेषों में आग नहीं लगाई जाएगी बल्कि जमीन में गला कर इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए संस्थान के द्वारा विशेषज्ञों की एक टीम मोबाइल वैन के साथ इन गांवों का लगातार दौरा कर किसानों को इसके बारे में समझाया जा रहा है और जागरूक भी किया जा रहा है.

समय-समय पर संस्थान में किसान जागरूक सम्मेलन और सेमिनार का आयोजन कर कैसे किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं और पराली ना जलाने के क्या महत्व है इसके बारे में बताया और समझाया जाता है.

ये भी पढ़िए: बरोदा की जनता ने बताया किन मुद्दे पर देंगे वोट, देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

करनाल: किसानों को ज्यादा कमाई और वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल के 100 गांव क्लाइमेट स्मार्ट बनाए जा रहे हैं. इनमें आधुनिक खेती तो होगी ही साथ ही किसी भी गांव में पराली या धान के अवशेष का तिनका भी नहीं जलाया जाएगा.

पराली जलाने से जुड़ी चिंताओं के बीच केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान इस मॉडल पर काम कर रहा है. इसके लिए किसानों को क्लाइमेट स्मार्ट खेती करने के तौर-तरीके भी सिखाए जा रहे हैं. इसमें पानी बचाने और फसल पर कम लागत में ज्यादा आमदनी के तरीके सिखाने पर फोकस किया गया है.

स्पेशल रिपोर्ट: क्लाइमेट स्मार्ट खेती से बर्निंग फ्री बनेंगे हरियाणा के 100 गांव

नई तकनीक से पराली बनेगी फायदे का सौदा

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान और अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र दिल्ली का ये संयुक्त प्रोजेक्ट है. मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एचएस जाट ने बताया कि किसान अवशेष जलाना बंद कर दें तो जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी. अवशेष जमीन पर पड़े रहने से नमी बरकरार रहेगी और इससे फसल को पानी की कम जरूरत होगी. जिससे पानी की बचत ज्यादा होगी.

क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर पर दिया जा रहा है जोर

इस विधि में साल में महज 2 बार खेत जोतने की जरूरत होती है, वो भी फसल के हिसाब से कई फसलों जैसे गेहूं, मक्का में इसकी भी जरूरत नहीं होती. डॉ. एचएस जाट बताते हैं कि करनाल के 30 और कैथल के 35-35 गांवों में क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर पर काम किया जाएगा.

इन गांवों में फसल अवशेषों में आग नहीं लगाई जाएगी बल्कि जमीन में गला कर इस्तेमाल किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसके लिए संस्थान के द्वारा विशेषज्ञों की एक टीम मोबाइल वैन के साथ इन गांवों का लगातार दौरा कर किसानों को इसके बारे में समझाया जा रहा है और जागरूक भी किया जा रहा है.

समय-समय पर संस्थान में किसान जागरूक सम्मेलन और सेमिनार का आयोजन कर कैसे किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं और पराली ना जलाने के क्या महत्व है इसके बारे में बताया और समझाया जाता है.

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