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नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल के बाद हरियाणा में बच्चों का जोश हाई, दोगुने हुए स्टेडियम में एडमिशन - ओलंपिक में भारत के खिलाड़ी

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद युवाओं और बच्चों का खेल प्रति रूझान बढ़ा है. अभिभावक भी अपने बच्चों को खेल की तरफ प्रोत्साहित कर रहे हैं.

Youth interest in sports increased
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Published : Aug 20, 2021, 3:13 PM IST

करनाल: टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद अब नई पौध खेल के अखाड़ों में जड़ें मजबूत कर रही हैं. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल (Neeraj Chopra Gold Medal), रवि दहिया के सिल्वर मेडल (Ravi Dahiya Silver Medal) और बजरंग पूनिया के ब्रॉन्ज मेडल (Bajrang Punia Bronze Medal) जीतने के बाद युवा तेजी से खेलों की तरफ रुख कर रहे हैं. करनाल के करण स्टेडियम में खेल में हिस्सा लेने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. सभी बच्चों का एक ही सपना है. ओलंपिक में मेडल जीतना.

इस बार भारतीय खिलाड़ियों (Indian players in Olympics) ने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल जीतकर ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का इतिहास रचा है. इन 7 में से 3 मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों (Haryana Players In Olympics) ने जीते हैं. जिनमें एक नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल भी शामिल है. हॉकी कोच बृजभूषण ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक खत्म होने के 1 सप्ताह में ही लगभग 35 नए बच्चे हॉकी सीखने के लिए आ रहे हैं. इनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. अब अभिभावक भी अपने बच्चों को स्पोर्ट्स में आगे कर रहे हैं.

ओलंपिक मेडल जीतने के लिए हरियाणा में तैयार हो रही युवा फौज, हॉकी के लिए रुझान ज्यादा

बचपन से ही हम एक कहावत सुनते आए हैं कि पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब. हरियाणा के खिलाड़ियों ने अब इस कहावत को बदल सा दिया है. अब अच्छे प्रदर्शन से खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं. कोच अमित तोमर ने भी बताया कि करनाल स्टेडियम में लगभग हर गेम में बच्चों की संख्या पहले से बढ़ चुकी है. हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि हमारे बच्चे अच्छा खिलाड़ी बन सकें.

Youth interest in sports increased
कबड्डी की प्रैक्टिस करने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ें- हॉकी खिलाड़ी का घर पहुंचने पर जोरदार स्वागत, शर्मिला बोलीं- ऐसा लग रहा है जैसे गोल्ड मेडल जीतकर आई हूं

इस जोश और उत्साह के बीच जब हमने कुछ पुराने खिलाड़ियों से बात की तो कुछ खामियां भी नजर आई. खिलाड़ियों ने कहा कि अभी स्टेडियम में सुविधाओं की काफी कमी है. जिसे अगर वक्त रहते पूरा कर दिया जाए तो खिलाड़ी अच्छे से प्रैक्टिस कर सकेंगे. खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें प्रेक्टिस करने के लिए 2 बजे उठ कर आना पड़ता है. क्योंकि स्टेडियम में कोर्ट की कमी है. सुबह जल्दी उठने की वजह से खिलाड़ियों की नींद पूरी नहीं हो पाती. जिससे खिलाड़ियों को आराम नहीं मिल पा रहा.

Youth interest in sports increased
करनाल कर्ण सिंह स्टेडियम के बाहर प्रैक्टिस करते बच्चे.

खिलाड़ियों ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यहां नए कोर्ट बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक उसकी नींव तक नहीं रखी गई. अगर खिलाड़ियों को और ज्यादा सुविधा दी जाएगी तो तभी हमारे खिलाड़ी हमारे देश का तिरंगा विदेशों में लहरा पाएंगे. अगर बैडमिंटन की बात करें तो बैडमिंटन में भी हर रोज चार से पांच पेरेंट्स बच्चों की प्रैक्टिस की बात करने के लिए आ रहे हैं.

Youth interest in sports increased
1 सप्ताह में ही लगभग 35 नए बच्चे हॉकी सीखने के लिए आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा पहुंचे अपने घर, गांव वालों ने किया भव्य स्वागत

सुबह 3 बजते ही करनाल के कर्ण सिंह स्टेडियम में खिलाड़ियों का जमावड़ा शुरू हो जाता है. अभी से ही युवा खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल का सपना लेकर पसीना पहा रहे हैं. अभिभावक भी बच्चों को अब खेलों में आगे बढ़ाना चाहते हैं. अगर सरकार सुविधाओं पर ध्यान दे तो वो दिन दूर नहीं जब भारत ओलंपिक मेडल की लिस्ट में टॉप देशों में गिना जाएगा.

करनाल: टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद अब नई पौध खेल के अखाड़ों में जड़ें मजबूत कर रही हैं. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल (Neeraj Chopra Gold Medal), रवि दहिया के सिल्वर मेडल (Ravi Dahiya Silver Medal) और बजरंग पूनिया के ब्रॉन्ज मेडल (Bajrang Punia Bronze Medal) जीतने के बाद युवा तेजी से खेलों की तरफ रुख कर रहे हैं. करनाल के करण स्टेडियम में खेल में हिस्सा लेने वाले बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. सभी बच्चों का एक ही सपना है. ओलंपिक में मेडल जीतना.

इस बार भारतीय खिलाड़ियों (Indian players in Olympics) ने टोक्यो ओलंपिक में 7 मेडल जीतकर ओलंपिक में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का इतिहास रचा है. इन 7 में से 3 मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों (Haryana Players In Olympics) ने जीते हैं. जिनमें एक नीरज चोपड़ा का गोल्ड मेडल भी शामिल है. हॉकी कोच बृजभूषण ने बताया कि टोक्यो ओलंपिक खत्म होने के 1 सप्ताह में ही लगभग 35 नए बच्चे हॉकी सीखने के लिए आ रहे हैं. इनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. अब अभिभावक भी अपने बच्चों को स्पोर्ट्स में आगे कर रहे हैं.

ओलंपिक मेडल जीतने के लिए हरियाणा में तैयार हो रही युवा फौज, हॉकी के लिए रुझान ज्यादा

बचपन से ही हम एक कहावत सुनते आए हैं कि पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब. हरियाणा के खिलाड़ियों ने अब इस कहावत को बदल सा दिया है. अब अच्छे प्रदर्शन से खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं. कोच अमित तोमर ने भी बताया कि करनाल स्टेडियम में लगभग हर गेम में बच्चों की संख्या पहले से बढ़ चुकी है. हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि हमारे बच्चे अच्छा खिलाड़ी बन सकें.

Youth interest in sports increased
कबड्डी की प्रैक्टिस करने वालों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

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इस जोश और उत्साह के बीच जब हमने कुछ पुराने खिलाड़ियों से बात की तो कुछ खामियां भी नजर आई. खिलाड़ियों ने कहा कि अभी स्टेडियम में सुविधाओं की काफी कमी है. जिसे अगर वक्त रहते पूरा कर दिया जाए तो खिलाड़ी अच्छे से प्रैक्टिस कर सकेंगे. खिलाड़ियों ने कहा कि उन्हें प्रेक्टिस करने के लिए 2 बजे उठ कर आना पड़ता है. क्योंकि स्टेडियम में कोर्ट की कमी है. सुबह जल्दी उठने की वजह से खिलाड़ियों की नींद पूरी नहीं हो पाती. जिससे खिलाड़ियों को आराम नहीं मिल पा रहा.

Youth interest in sports increased
करनाल कर्ण सिंह स्टेडियम के बाहर प्रैक्टिस करते बच्चे.

खिलाड़ियों ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यहां नए कोर्ट बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक उसकी नींव तक नहीं रखी गई. अगर खिलाड़ियों को और ज्यादा सुविधा दी जाएगी तो तभी हमारे खिलाड़ी हमारे देश का तिरंगा विदेशों में लहरा पाएंगे. अगर बैडमिंटन की बात करें तो बैडमिंटन में भी हर रोज चार से पांच पेरेंट्स बच्चों की प्रैक्टिस की बात करने के लिए आ रहे हैं.

Youth interest in sports increased
1 सप्ताह में ही लगभग 35 नए बच्चे हॉकी सीखने के लिए आ रहे हैं.

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सुबह 3 बजते ही करनाल के कर्ण सिंह स्टेडियम में खिलाड़ियों का जमावड़ा शुरू हो जाता है. अभी से ही युवा खिलाड़ी ओलंपिक में मेडल का सपना लेकर पसीना पहा रहे हैं. अभिभावक भी बच्चों को अब खेलों में आगे बढ़ाना चाहते हैं. अगर सरकार सुविधाओं पर ध्यान दे तो वो दिन दूर नहीं जब भारत ओलंपिक मेडल की लिस्ट में टॉप देशों में गिना जाएगा.

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