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Chaturmas 2023: 29 जून से शुरू हो रहा है चतुर्मास, अगले 5 महीने भूलकर ना करें ये काम, भगवान विष्णु हो जायेंगे नाराज

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Published : Jun 28, 2023, 9:01 PM IST

29 जून से चतुर्मास शुरू हो रहा है. हिंदू धर्म की मान्यताओं में चतुर्मास (Chaturmas 2023) के दौरान मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है. इस बार चतुर्मास 4 नहीं बल्कि 5 महीने का होगा. आइये जानते हैं कि चतुर्मास में क्या करना चाहिए और क्या नहीं. साथ ही चतुर्मास में कौन से प्रमुख व्रत होते हैं.

Chaturmas 2023
Chaturmas 2023

करनाल: हिंदू पंचांग के आधार 29 जून से चतुर्मास (Chaturmas 2023) का आरंभ हो रहा है. 29 जून से लेकर 23 नवंबर तक चतुर्मास चलेगा. चतुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है. वैसे तो चतुर्मास 4 महीने का होता है लेकिन इस बार 5 महीने का होगा. दरअसल इस साल सावन का महीना 2 गुना यानि दो महीने का है. जिसके चलते चतुर्मास 4 की वजाय 5 महीने रहेगा.

ये भी पढ़ें- Sawan 2023: अबकी बार 5 महीने का होगा चतुर्मास और 2 माह का सावन, 19 साल बाद बना है संयोग

चतुर्मास में मांगलिक कार्य की मनाही- हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी से चतुर्मास का आरंभ होता है. जबकि इसका समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों के दौरान भगवान विष्णु निद्रा योग में चले जाते हैं. ये भी माना जाता है कि चतुर्मास भगवान विष्णु का शयन काल होता है. जिसके चलते चतुर्मास में सभी मांगलिक कार्यों की मनाही रहती है.

  • हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास 4 महीने का होता है, इसलिए ही इसका नाम चतुर्मास रखा गया है. लेकिन इस वर्ष चतुर्मास 4 महीने की बजाय 5 महीने का होगा. 5 महीने का ये इसलिए होगा क्योंकि श्रावण का महीना इस साल अधिकमास यानि 2 महीने का है. अधिकमास को दुर्गामास भी कहा जाता है. पंडित विश्वनाथ, अक्षयवट शिव मंदिर के पुजारी

ये भी पढ़ें- Sawan Calender 2023 : जानिए इस महीने में कौन-कौन से पड़ेंगे त्योहार, किस दिन रखें-कौन सा व्रत

चतुर्मास के प्रमुख व्रत- कुरुक्षेत्र स्थित अक्षयवट तीर्थ के शिव मंदिर के पुजारी पंडित विश्वनाथ ने बताया कि चतुर्मास में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है क्योंकि इन दिनों भगवान विष्णु निद्रा योग में होते हैं. लेकिन फिर भी चतुर्मास के दौरान कुछ विशेष व्रत व त्यौहार आते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्मास को साधु संत भी अशुभ मानते हैं. इसीलिए साधु-संत चतुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार की यात्रा नहीं करते.

चतुर्मास में क्या ना करें- चतुर्मास में सावन के सोमवार, शिवरात्रि, रक्षाबंधन, नाग पंचमी, गणेश उत्सव, नवरात्रि आदि प्रमुख त्योहार आएंगे. हालांकि चतुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते लेकिन इन दिनों पूजा पाठ करने का बहुत महत्व है. चतुर्मास के दौरान कोई भी नया वाहन खरीदना, गृह प्रवेश, शादी, मुंडन आदि कार्य नहीं किए जाते.

ये भी पढ़ें- देवशयनी एकादशी से 5 महीने के लिए बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य, ये हैं प्रमुख कारण

चतुर्मास में क्या करें- पंडित विश्वनाथ ने कहा कि चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें, उनसे अलग भी दूसरे देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर सकते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. चतुर्मास के दिनों में दही नहीं खानी चाहिए. अगर आप दही खाना चाहते हैं तो उसकी मात्रा कम रखें. चतुर्मास में किसी भी प्रकार की पत्ते वाली सब्जियां जैसे- पालक, मेथी और शहद भी नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि चतुर्मास के दिन बरसात में इन सब्जियों में कीड़े लग जाते हैं. चतुर्मास के दिनों में पलंग पर नहीं सोना चाहिए. इन महीनों में तुलसी का पत्ता तोड़ना अशुभ माना जाता है.

चतुर्मास का समापन- चतुर्मास का समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन 23 नवंबर को होगा. मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन अपने योग निद्रा से वापस आ जाते हैं. इसके बाद से 24 नवंबर से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाएंगे. जिसमें 5 महीनों के लंबे इंतजार के बाद उस शादी जैसे शुभ कार्य किया जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- ऐसी है देवशयनी एकादशी की कथा, ऐसे करते हैं पूजा

करनाल: हिंदू पंचांग के आधार 29 जून से चतुर्मास (Chaturmas 2023) का आरंभ हो रहा है. 29 जून से लेकर 23 नवंबर तक चतुर्मास चलेगा. चतुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है. वैसे तो चतुर्मास 4 महीने का होता है लेकिन इस बार 5 महीने का होगा. दरअसल इस साल सावन का महीना 2 गुना यानि दो महीने का है. जिसके चलते चतुर्मास 4 की वजाय 5 महीने रहेगा.

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चतुर्मास में मांगलिक कार्य की मनाही- हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी से चतुर्मास का आरंभ होता है. जबकि इसका समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इन दिनों के दौरान भगवान विष्णु निद्रा योग में चले जाते हैं. ये भी माना जाता है कि चतुर्मास भगवान विष्णु का शयन काल होता है. जिसके चलते चतुर्मास में सभी मांगलिक कार्यों की मनाही रहती है.

  • हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्मास 4 महीने का होता है, इसलिए ही इसका नाम चतुर्मास रखा गया है. लेकिन इस वर्ष चतुर्मास 4 महीने की बजाय 5 महीने का होगा. 5 महीने का ये इसलिए होगा क्योंकि श्रावण का महीना इस साल अधिकमास यानि 2 महीने का है. अधिकमास को दुर्गामास भी कहा जाता है. पंडित विश्वनाथ, अक्षयवट शिव मंदिर के पुजारी

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चतुर्मास के प्रमुख व्रत- कुरुक्षेत्र स्थित अक्षयवट तीर्थ के शिव मंदिर के पुजारी पंडित विश्वनाथ ने बताया कि चतुर्मास में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है क्योंकि इन दिनों भगवान विष्णु निद्रा योग में होते हैं. लेकिन फिर भी चतुर्मास के दौरान कुछ विशेष व्रत व त्यौहार आते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्मास को साधु संत भी अशुभ मानते हैं. इसीलिए साधु-संत चतुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार की यात्रा नहीं करते.

चतुर्मास में क्या ना करें- चतुर्मास में सावन के सोमवार, शिवरात्रि, रक्षाबंधन, नाग पंचमी, गणेश उत्सव, नवरात्रि आदि प्रमुख त्योहार आएंगे. हालांकि चतुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किए जाते लेकिन इन दिनों पूजा पाठ करने का बहुत महत्व है. चतुर्मास के दौरान कोई भी नया वाहन खरीदना, गृह प्रवेश, शादी, मुंडन आदि कार्य नहीं किए जाते.

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चतुर्मास में क्या करें- पंडित विश्वनाथ ने कहा कि चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें, उनसे अलग भी दूसरे देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर सकते हैं. शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. चतुर्मास के दिनों में दही नहीं खानी चाहिए. अगर आप दही खाना चाहते हैं तो उसकी मात्रा कम रखें. चतुर्मास में किसी भी प्रकार की पत्ते वाली सब्जियां जैसे- पालक, मेथी और शहद भी नहीं खाना चाहिए. माना जाता है कि चतुर्मास के दिन बरसात में इन सब्जियों में कीड़े लग जाते हैं. चतुर्मास के दिनों में पलंग पर नहीं सोना चाहिए. इन महीनों में तुलसी का पत्ता तोड़ना अशुभ माना जाता है.

चतुर्मास का समापन- चतुर्मास का समापन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन 23 नवंबर को होगा. मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन अपने योग निद्रा से वापस आ जाते हैं. इसके बाद से 24 नवंबर से सभी प्रकार के मांगलिक कार्य एक बार फिर से शुरू हो जाएंगे. जिसमें 5 महीनों के लंबे इंतजार के बाद उस शादी जैसे शुभ कार्य किया जा सकते हैं.

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