करनालः करनाल नगर निगम की स्ट्रीट लाइटें अब वेस्ट से तैयार बिजली से रोशन होंगी. स्ट्रीट लाइटों को जलाने के लिए बिजली निगम से बिजली लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लाइटें बायो सीएनजी गैस से जनरेट होने वाली बिजली से रोशन होंगी. जिसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर फिलहाल दो कॉलोनियों का चयन किया गया है. जहां इसी सप्ताह में बायो-सीएनजी प्लांट से बिजली आपूर्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. वेस्ट से सीएनजी और सीएनजी से बिजली जनरेट करने वाला प्रदेश का पहला बायो-सीएनजी प्लांट काछवा रोड पर पश्चिमी यमुना नहर किनारे लगा हुआ है.
1 kg वेस्ट से 2 यूनिट बिजली
ग्रोडीजल वेंचर्स लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय चौहान के अनुसार, एक किलोग्राम सीएनजी से 2 यूनिट बिजली बनती है. प्लांट में चार रिएक्टर सिलेंडर लगे हुए हैं. जहां वेस्ट की फिलिंग होती है. चारों सिलेंडरों में 280 टन वेस्ट भरते हैं. वेस्ट निपटान की 20 से 22 दिन की प्रक्रिया है.
15 टन प्रतिदिन वेस्ट खपत करने की प्लांट की क्षमता है. जितना वेस्ट डाला जाता है, उसका 5 से 10 प्रतिशत तक सीएनजी बनती है, जबकि इसका 25 प्रतिशत बायो फार्टिलाइजर बनाता है. बाकी वेस्ट एलिमिनेट यानी खत्म हो जाता है. प्लांट की 5000 लीटर गैस की क्षमता है. जो कि अभी फुल है.
इन दो इलाकों का चयन
प्लांट संचालन का जिम्मा दिल्ली की ग्रोडीजल वेंचर्स लिमिटेड को सौंपा गया था. जनवरी 2018 में शुरू हुआ प्लांट पहली बार अब बिजली आपूर्ति करेगा. अगर सफलता मिली तो बाद में प्लांट से जनरेट होने वाली बिजली से पूरे शहर की स्ट्रीट लाइटें जलेंगी. निगम की ओर से प्लांट के साथ लगती दो कॉलोनियां सैदपुरा और पाल नगर का चयन किया गया है. दोनों जगह करीब 100 स्ट्रीट लाइटें हैं. प्लांट की लाइट से इन्हें जगाने के लिए केबलिंग हो चुकी है. इससे पहले स्वामी विवेकानंद पार्क का बिजली कनेक्शन कर ट्रायल किया जाएगा.
प्लांट में पराली दे सकते हैं किसान
प्लांट में बायो-सीएनजी बनाने के लिए पराली, गोबर, म्यूनिसिपल वेस्ट, हॉर्टिक्लचर वेस्ट, स्लॉटर वेस्ट, सीवरेज वेस्ट और जो भी बायो डीग्रेबल वेस्ट होता है, इसे प्रोसेस किया जाता है. प्रोजेक्ट मैनेजर संजय चौहान का कहना है कि किसान पराली जलाने की बजाय, यहां दे सकते हैं.
गाड़ियों में भी बायो CNG का इस्तेमाल
कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, बायो सीएनजी से सीएनजी गाड़ियां भी चल सकेंगी. करनाल में इस प्रकार के वाहन नहीं हैं, इसलिए अभी केवल इससे बिजली ही तैयार की जा रही है. प्लांट में 10 टन क्षमता के दो कैप्सूल टैंक बायो सीएनजी के लिए लगाए गए हैं. स्लाटर हाउस में गलनशील कचरे से बायो सीएनजी बनाने के लिए दिल्ली की कंपनी के साथ पांच साल का करार हुआ है. प्लांट तीन शिफ्टों में 24 घंटे चलता है. अब गैस से बिजली तैयार कर आपूर्ति देने की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है.