करनाल: कार्तिक महीने में सनातन धर्म के बहुत से त्योहार आते हैं और इसी महीने में हिंदुओं के प्रमुख त्योहार करवा चौथ और दीपावली का त्योहार आता है. दीपावली के 2 दिन बाद भाई दूज का त्योहार भी आता है. भाई दूज का त्योहार भाई और बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह त्योहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तारीख को होता है. इस दिन बहनें अपने भाई की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करती हैं और तिलक लगाकर उसके जीवन में उन्नति और लंबी आयु की कामना करती हैं. आइए जानते हैं कि यह त्योहार कब मनाया जाएगा ओर बहन के द्वारा भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त क्या है.
किस दिन मनाया जाएगा भाई दूज का त्योहार?: ईटीवी भारत के साथ बातचीत करते हुए पंडित पवन शर्मा ने बताया 'भाई बहन के प्रतीक का भाई दूज 15 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार यह कार्तिक महीने की द्वितीय तारीख को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के द्वितीया तिथि 14 नवंबर को दोपहर 2:36 बजे से प्रारंभ होगा, जबकि इसका समापन 15 नवंबर को 1:47 बजे होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत में उदय तिथि के साथ मनाते हैं. इसलिए भाई दूज का त्योहार मनाने का सही दिन 15 नवंबर रहेगा.'
भाई दूज पर शोभन योग: ज्योतिषाचार्य के अनुसार, अगर कोई बहन-भाई इसे पहले मनाना चाहते हैं तो 14 नवंबर को द्वितीय तिथि का आरंभ होने के साथ ही भाई दूज का त्योहार मनाया जा सकता है. 14 नवंबर के दिन दोपहर 1:47 बजे से लेकर दोपहर 3:19 बजे तक भाई दूज का त्योहार मनाने का और तिलक करने का शुभ मुहूर्त है. इस दौरान शोभन योग बन रहा है जो भाई बहन के इस त्योहार के लिए काफी अच्छा माना जा रहा है. वही, जो लोग 15 नवंबर को इस त्योहार को मना रहे हैं, उनके लिए बहन के द्वारा भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त का सुबह 10:45 बजे से शुरू होगा जबकि दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा. इस समय तिलक करने का सबसे अच्छा समय है.
भाई दूज का महत्व: सनातन धर्म में भाई दूज का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है. यह बहन और भाई दोनों के स्नेह और प्रेम के प्रतीक का त्योहार होता है. इस दिन सभी बहनें अपने भाई को हल्दी से तिलक करती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन अगर भाई-बहन यमुना नदी के किसी भी किनारे पर बैठकर भोजन इत्यादि करते हैं तो उनके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है.
तिलक करने की विधि: सनातन धर्म में भाई दूज के दिन बहनें भगवान से अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस दिन सभी बहनें सुबह स्नान इत्यादि करके अपने भाई का तिलक करने से पहले भगवान श्री गणेश को तिलक करें और उनकी पूजा करें. जो थली भगवान गणेश की पूजा करने के लिए प्रयोग करते हैं उसी थाली से अपने भाई को तिलक करें. तिलक करने के दौरान अपनी थाली में अक्षत, रोली, तिलक के लिए हल्दी और कोई मिठाई अवश्य रखें. फिर बहन अपने भाई को उत्तर या पूर्व दिशा की ओर खड़े करके तिलक करें.
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भाई दूज और पौराणिक मान्यता: तिलक करने के बाद भाई अपनी बहन को श्रद्धा अनुसार कोई उपहार देते हैं, अगर भाई बड़ा है तो वह अपनी बहन को आशीर्वाद दें. अगर बहन बड़ी है तो अपने भाई को आशीर्वाद दें. तिलक करने से पहले भाई और बहन दोनों में से किसी को भी भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि भाई दूज त्योहार की शुरुआत यमराज और यमुना से शुरू हुई थी. पौराणिक मान्यता है कि यमराज का तिलक यमुना के द्वारा किया गया था. उसके बाद से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है. मान्यता है कि ऐसा करने से भाई और बहन दोनों की जिंदगी खुशहाली से भर जाती है.
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