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सर्दियों में कैसे करें पशुओं की देखभाल, रखरखाव और खान पान को लेकर बरते ये सावधानियां - how to take care of animals

सर्दियों में पशुओं को बचाने (animal care in winter) के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता होती है. क्योंकि ठंड लगने पर दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ता है. गाय-भैंस के छोटे बच्चों और भेड़-बकरियों पर सर्दी का ज्यादा असर होता है.

animal care in winter how to take care of animals during winter season
सर्दियों में कैसे करें पशुओं की देखभाल, डॉक्टर से जानिए...
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Published : Dec 17, 2022, 9:08 PM IST

animal care in winter how to take care of animals during winter season
ठंड लगने पर दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ता है.

करनाल: सर्दियों में (animal care in winter) पशुओं को बचाने के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ठंड लग जाने पर दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता पर इसका बुरा असर पड़ता है. गाय-भैंस के छोटे बच्चों और भेड़-बकरियों पर सर्दी (take care of animals during winter season) का ज्यादा असर होता है. पशुओं के बच्चे ठंड की चपेट में आकर निमोनिया रोग के शिकार बन जाते हैं और कई बार इनकी मौत भी हो जाती है. सर्दी के मौसम में पशुओं की वैसे ही देखभाल करनी चाहिए, जैसे हम अपनी करते हैं.

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दुधारू पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए.

उनके खाने-पीने, रहने के लिए अच्छा प्रबंध करें, ताकि वो बीमार न पड़े और दूध उत्पादन प्रभावित न हो. वेटरनरी सर्जन डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढ़के स्थानों में रखे. रोशनदान, दरवाजों व खिड़कियों को टाट/बोरे से ढंक दें. पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें, ताकि जलभराव न हो पाए. पशुबाड़े को नमी/सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे. सर्दियों में बासी पानी पशुओं को न पिलाए. बिछावन में पुआल का प्रयोग करें. पशुओं को जूट के बोरे को ऐसे पहनाएं, जिससे वे खिसके नहीं.

animal care in winter how to take care of animals during winter season
पशुओं के खाने-पीने, रहने के लिए अच्छा प्रबंध करें, ताकि वो बीमार न पड़े.

पशुओं को सर्दी से बचाए: रात में इन्हें सर्दी से बचाने के लिए पशुओं के पास अलाव जला के रखना चाहिए. नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है. प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं. गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढ़के हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से उसका बचाव करें.

पढ़ें: हरियाणा के किसान का कमाल, गर्म प्रदेश में पैदा कर दिया ठंडे इलाकों वाला बादाम, कमा रहा लाखों

ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कंपकंपी, बुखार के लक्षण होते हैं, ऐसे पशुओं को तुरंत निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए. बिछावन समय-समय पर बदलते रहें. सर्दियों में पशुओं को संतुलित आहार दें. जिसमें ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन व वसा आदि पोषक तत्व मौजूद हो. इन दिनों में पशुओं को विशेष देखभाल की जरुरत होती है, ऐसे में पशुओं के खान-पान व दूध निकालने का समय एक ही रखना चाहिए.

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पशुओं को विशेष देखभाल की जरुरत होती है.

खान-पान में सावधानी बरतें: दुधारू पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए. बिनौला दूध के अंदर चिकनाई की मात्रा बढ़ाता है. बाजरा किसी भी संतुलित आहार में 20 प्रतिशत से अधिक नहीं मिलाना चाहिए. शीत लहर के दिनों में पशु की खोर या नांद में सैंधा नमक का ढ़ेला रखें, ताकि पशु जरूरत के अनुसार उसको चाटता रहे. डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि सर्दी में पशुओं को हरा चारा जैसे बरसीम पशुओं को दें, परंतु ध्यान यह दें कि सिर्फ हरा चारा खिलाने से आफरा व अपच की समस्या हो सकती है.

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पशुओ को ठंड से बचाने के लिए दाना व गुड़ खिलाएं

पढ़ें: ड्रैगन फ्रूट की खेती कर लाखों कमा रहा करनाल का किसान, देखें वीडियो

ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. 4 किलो बरसीम 1 किलो तक दाना की बचत कराता है. 10 लीटर दुधारू पशु के लिए 20-25 किलो हरे चारे में 5-10 किलो सूखे चारे के साथ मिला कर दें. पशु को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाएं. गुनगुना ताजा व स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाएं, क्योंकि पानी से ही दूध बनता है. सारी शारीरिक प्रक्रियाओं में पानी का अहम योगदान रहता है.

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ठंड लगने पर दुधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता पर भी असर पड़ता है.

करनाल: सर्दियों में (animal care in winter) पशुओं को बचाने के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ठंड लग जाने पर दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता पर इसका बुरा असर पड़ता है. गाय-भैंस के छोटे बच्चों और भेड़-बकरियों पर सर्दी (take care of animals during winter season) का ज्यादा असर होता है. पशुओं के बच्चे ठंड की चपेट में आकर निमोनिया रोग के शिकार बन जाते हैं और कई बार इनकी मौत भी हो जाती है. सर्दी के मौसम में पशुओं की वैसे ही देखभाल करनी चाहिए, जैसे हम अपनी करते हैं.

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दुधारू पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए.

उनके खाने-पीने, रहने के लिए अच्छा प्रबंध करें, ताकि वो बीमार न पड़े और दूध उत्पादन प्रभावित न हो. वेटरनरी सर्जन डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि पशुओं को खुली जगह में न रखें, ढ़के स्थानों में रखे. रोशनदान, दरवाजों व खिड़कियों को टाट/बोरे से ढंक दें. पशुबाड़े में गोबर और मूत्र निकास की उचित व्यवस्था करें, ताकि जलभराव न हो पाए. पशुबाड़े को नमी/सीलन से बचाएं और ऐसी व्यवस्था करें कि सूर्य की रोशनी पशुबाड़े में देर तक रहे. सर्दियों में बासी पानी पशुओं को न पिलाए. बिछावन में पुआल का प्रयोग करें. पशुओं को जूट के बोरे को ऐसे पहनाएं, जिससे वे खिसके नहीं.

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पशुओं के खाने-पीने, रहने के लिए अच्छा प्रबंध करें, ताकि वो बीमार न पड़े.

पशुओं को सर्दी से बचाए: रात में इन्हें सर्दी से बचाने के लिए पशुओं के पास अलाव जला के रखना चाहिए. नवजात पशु को खीस जरूर पिलाएं, इससे बीमारी से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है. प्रसव के बाद मां को ठंडा पानी न पिलाकर गुनगुना पानी पिलाएं. गर्भित पशु का विशेष ध्यान रखें व प्रसव में जच्चा-बच्चा को ढ़के हुए स्थान में बिछावन पर रखकर ठंड से उसका बचाव करें.

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ठंड से प्रभावित पशु के शरीर में कंपकंपी, बुखार के लक्षण होते हैं, ऐसे पशुओं को तुरंत निकटवर्ती पशु चिकित्सक को दिखाना चाहिए. बिछावन समय-समय पर बदलते रहें. सर्दियों में पशुओं को संतुलित आहार दें. जिसमें ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन व वसा आदि पोषक तत्व मौजूद हो. इन दिनों में पशुओं को विशेष देखभाल की जरुरत होती है, ऐसे में पशुओं के खान-पान व दूध निकालने का समय एक ही रखना चाहिए.

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पशुओं को विशेष देखभाल की जरुरत होती है.

खान-पान में सावधानी बरतें: दुधारू पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए. बिनौला दूध के अंदर चिकनाई की मात्रा बढ़ाता है. बाजरा किसी भी संतुलित आहार में 20 प्रतिशत से अधिक नहीं मिलाना चाहिए. शीत लहर के दिनों में पशु की खोर या नांद में सैंधा नमक का ढ़ेला रखें, ताकि पशु जरूरत के अनुसार उसको चाटता रहे. डॉ. तरसेम राणा ने बताया कि सर्दी में पशुओं को हरा चारा जैसे बरसीम पशुओं को दें, परंतु ध्यान यह दें कि सिर्फ हरा चारा खिलाने से आफरा व अपच की समस्या हो सकती है.

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पशुओ को ठंड से बचाने के लिए दाना व गुड़ खिलाएं

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ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. 4 किलो बरसीम 1 किलो तक दाना की बचत कराता है. 10 लीटर दुधारू पशु के लिए 20-25 किलो हरे चारे में 5-10 किलो सूखे चारे के साथ मिला कर दें. पशु को सप्ताह में दो बार गुड़ जरूर खिलाएं. गुनगुना ताजा व स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाएं, क्योंकि पानी से ही दूध बनता है. सारी शारीरिक प्रक्रियाओं में पानी का अहम योगदान रहता है.

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