करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन का अलग महत्व है. जिसकी गणना हिंदू पंचांग के अनुसार की जाती है. हर दिन जो तिथि होती है उसके अनुसार उस दिन के हिसाब से व्रत और पूजा की जाती है. शुक्रवार 3 मार्च को आमलकी एकादशी पड़ रही है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में पढ़ने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया गया है.
आमलकी एकादशी का समय- आमलकी एकादशी, दिन शुक्रवार 3 मार्च को है. जिसका प्रारंभ 3 मार्च को सुबह 9:11 से होगा और इसका समापन 4 मार्च को 9:03 पर होगा. इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से मनुष्य को कई प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो मोक्ष की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर होते हैं.
आमलकी एकादशी की पूजा- आमलकी एकादशी के दिन मनुष्य को सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि कर लेना चाहिए. स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें. पूजा अर्चना करने के उपरांत व्रत रखें. व्रत रखने के दौरान किसी भी प्रकार का अन्न न खाएं. इस दिन आप भगवान विष्णु का पाठ या कीर्तन भी कर सकते हैं.
आमलकी एकादशी कथा- भगवान विष्णु अपने भक्त से काफी प्रसन्न होते हैं और उसके परिवार में सुख शांति बनाए रखते हैं. इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए आंवला फल चढ़ाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से धन स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है. इस दिन आमलकी एकादशी की कथा भी पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा करने के उपरांत जरूरतमंदों और गाय को भोजन कराकर अपना उपवास खोलें. ऐसा करने से आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
आमलकी एकादशी व्रत का महत्व- एकादशी का हिंदू सनातन धर्म में काफी महत्व बताया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस एकादशी के दिन जो भी भक्त व्रत रखते हैं उनके घर में सुख समृद्धि एवं शांति बनी रहती है. शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी के दिन व्रत रखने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करने से मनुष्य के दुख समाप्त हो जाते हैं. भगवान विष्णु का आशीर्वाद उनके ऊपर और उनके परिवार के ऊपर बना रहता है.
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