कैथल: हरियाणा रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्री अब अपनी जान और सेहत के लिए खुद जिम्मेदार होंगे. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सरकार ने जो नया आदेश जारी किया है. उसके तहत अब बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का तो आप ख्याल ही छोड़ दीजिए, दरअसल सरकार ने 6 अगस्त को रोडवेज की बसों में एक साथ 50 से ज्यादा यात्रियों को बिठाने के आदेश जारी किए. जिसके बाद से यात्रियों और रोडवेज कर्मचारियों में रोष है.
मतलब ये कि पहले सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए एक सीट पर एक सवारी बैठाने का फैसला किया था. लेकिन नए आदेश के मुताबिक रोडवेज की बसों को फुल केपेसिटी के साथ चलाने के आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके बाद ना तो सोशल डिस्टेंसिंग के कोई मायने रह गए हैं और ना ही कोरोना संक्रमण से बचने के.
जिन लोगों के पास सफर करने के लिए अपने संसाधन नहीं है उन्हें मजबूरी में रोडवेज की बसों का ही सहारा लेना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ यात्री सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी बता रहे हैं. चालक और परिचालक भी सरकार के इस फैसले से नाराज नजर आए. उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे भी रूट हैं जहां यात्री खड़े होकर यात्रा करते हैं. जिससे की चालक और परिचालकों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा बना हुआ है. बस में सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग की ही नहीं बल्कि मास्क और सैनिजाइटर वाले नियम की भी धज्जियां उड़ रही हैं.
चालक और परिचालक ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत के दौरान बताया कि बस स्टैंड पर यात्रियों की थर्मल स्क्रिनिंग की जाती है. हैड सैनिजाजर की भी व्यवस्था है और उनका नाम पता भी लिखा जाता है. लेकिन जो यात्री बीच रास्ते से चढ़ते हैं उनके लिए इस तरह का कोई नियम अभी नहीं हैं. जिसकी वजह से कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ रहा है. रोडवेज कर्मचारियों ने कहा कि रोडवेज को घाटे से उबारने के लिए सरकार ने ये फैसला किया था. जो अब कर्मचारियों और यात्रियों पर भारी पड़ रहा है.
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कैथल की अगर बात करें तो पहले रोजाना लगभग 11 लाख रुपए की आमदनी होती थी. कोरोना के बाद अब ये 4 लाख रुपये तक रह गई है. पहले बसें 1 दिन में 38000 किलोमीटर सफर करती थी. जो अब 12000 किलोमीटर तक सीमित रह गया है. इसमें कोई दोराय नहीं कि रोडवेज विभाग अभी घाटे में चल रहा है, लेकिन यात्रियों का जान की भी तो कोई कीमत होगी. यात्री और खुद रोडवेज कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि बसों की संख्या बढ़ाई जाए साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो इसके लिए बस में आधी सवारी का नियम लागू किया जाए.