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धान की खेती पर रोक लगी तो कैथल की 150 राइस मिल हो सकती है बर्बाद

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Published : Jun 1, 2020, 1:32 PM IST

Updated : Jun 1, 2020, 2:17 PM IST

किसानों के बाद अब राइस मिलर्स ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की मन बना लिया है. क्योंकि इससे राइस मिलर के व्यापार पर आर्थिक संकट मंडरा सकता है. राइस मिलर्स के मुताबिक अगर किसान धान नहीं लगाएंगे तो इससे उनको करोड़ों रुपये का नुकसान होगा.

Rice millers of Kaithal
Rice millers of Kaithal

कैथल: हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों ने मेरा पानी, मेरी विरासत योजना लॉन्च की. जिसके तहत किसानों को कहा गया कि आप धान की खेती की जगह कोई दूसरी खेती लगाएं ताकि तेजी से गिरते जलस्तर को बचाया जा सके. लेकिन बहुत से किसान सरकार की इस योजना से उखड़ गए.

सरकार की इस योजना के खिलाफ उन्होंने ‘किसान बचाओ-खेती बचाओ’ अभियान शुरू कर दिया. विपक्ष ने भी किसानों का साथ देते हुए सरकार पर जमकर आरोप लगाए. नतीजा ये हुआ सरकार ने योजना में बदलाव किया. दो एकड़ तक के किसानों को धान लगाने की छूट दे दी. मामला यहीं खत्म नहीं हुआ.

राइस मिलर्स ने किया मेरा पानी मेरी विरासत योजना का विरोध

किसानों के बाद अब राइस मिलर्स ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की मन बना लिया है. क्योंकि इससे राइस मिलर के व्यापार पर आर्थिक संकट मंडरा सकता है. राइस मिलर्स के मुताबिक अगर किसान धान नहीं लगाएंगे तो इससे उनको करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. क्योंकि उनका धान गल्फ कंट्री यानी विदेशों में निर्यात होता है. दूसरा धान की फसल कम होने से मिल में काम करने वाले हजारों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगें.

कैथल में कुल मिलाकर 150 के करीब राइस मिल हैं. जिसमें औसतन एक मिल से 100 मजदूर काम करते हैं. अगर धान की फसल कम हुई तो अकेले कैथल में करीब 15 हजार मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. इसलिए राइस मिलर्स ने सरकार से मेरा पानी, मेरी विरासत योजना को वापस लेने की मांग की

वहीं कैथल की राइस मिल में काम कर रहे मजदूर भी सरकार की इस योनजा से खफा नजर आए. उन्होंने कहा कि अगर किसान धान नहीं लगाएगा तो उनका रोजगार छिन जाएगा. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार अपनी योजना वापस ले ले. नहीं तो उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा.

ये भी पढ़ें- करनाल: इस तकनीक से डार्क जोन में भी धान की खेती कर सकते हैं किसान

बता दें कि मेरा पानी मरी विरासत योजना में सरकार ने जिन 18 डार्क जोन का जिक्र किया है उसमें. कैथल का गुलहा और सीवान क्षेत्र शामिल हैं. अकेले कैथल में 150 राइस मिलों में से करीब 70 राइस मिल सरकार के लिए काम करती है. अगर ये योजना लागू हुई तो उनका सौ प्रतिशत काम खत्म हो जाएगा. एक सीजन में राइस मिल लगभग दो लाख कट्टे का काम करता है. जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में होती है.

कैथल: हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों ने मेरा पानी, मेरी विरासत योजना लॉन्च की. जिसके तहत किसानों को कहा गया कि आप धान की खेती की जगह कोई दूसरी खेती लगाएं ताकि तेजी से गिरते जलस्तर को बचाया जा सके. लेकिन बहुत से किसान सरकार की इस योजना से उखड़ गए.

सरकार की इस योजना के खिलाफ उन्होंने ‘किसान बचाओ-खेती बचाओ’ अभियान शुरू कर दिया. विपक्ष ने भी किसानों का साथ देते हुए सरकार पर जमकर आरोप लगाए. नतीजा ये हुआ सरकार ने योजना में बदलाव किया. दो एकड़ तक के किसानों को धान लगाने की छूट दे दी. मामला यहीं खत्म नहीं हुआ.

राइस मिलर्स ने किया मेरा पानी मेरी विरासत योजना का विरोध

किसानों के बाद अब राइस मिलर्स ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की मन बना लिया है. क्योंकि इससे राइस मिलर के व्यापार पर आर्थिक संकट मंडरा सकता है. राइस मिलर्स के मुताबिक अगर किसान धान नहीं लगाएंगे तो इससे उनको करोड़ों रुपये का नुकसान होगा. क्योंकि उनका धान गल्फ कंट्री यानी विदेशों में निर्यात होता है. दूसरा धान की फसल कम होने से मिल में काम करने वाले हजारों मजदूर बेरोजगार हो जाएंगें.

कैथल में कुल मिलाकर 150 के करीब राइस मिल हैं. जिसमें औसतन एक मिल से 100 मजदूर काम करते हैं. अगर धान की फसल कम हुई तो अकेले कैथल में करीब 15 हजार मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. इसलिए राइस मिलर्स ने सरकार से मेरा पानी, मेरी विरासत योजना को वापस लेने की मांग की

वहीं कैथल की राइस मिल में काम कर रहे मजदूर भी सरकार की इस योनजा से खफा नजर आए. उन्होंने कहा कि अगर किसान धान नहीं लगाएगा तो उनका रोजगार छिन जाएगा. उन्होंने भी सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार अपनी योजना वापस ले ले. नहीं तो उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा.

ये भी पढ़ें- करनाल: इस तकनीक से डार्क जोन में भी धान की खेती कर सकते हैं किसान

बता दें कि मेरा पानी मरी विरासत योजना में सरकार ने जिन 18 डार्क जोन का जिक्र किया है उसमें. कैथल का गुलहा और सीवान क्षेत्र शामिल हैं. अकेले कैथल में 150 राइस मिलों में से करीब 70 राइस मिल सरकार के लिए काम करती है. अगर ये योजना लागू हुई तो उनका सौ प्रतिशत काम खत्म हो जाएगा. एक सीजन में राइस मिल लगभग दो लाख कट्टे का काम करता है. जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में होती है.

Last Updated : Jun 1, 2020, 2:17 PM IST
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