कैथल: कोरोना महामारी और लॉकडाउन का असर खुदरा कपड़ा व्यवसाय पर इस कदर पड़ा है कि अभी तक व्यापारी मंदी से उबर नहीं पाए हैं. त्योहारों का मौसम कपड़ा व्यापारियों के लिए पीक कहा जाता है. लेकिन इस बार त्योहार पर भी व्यापारियों को निराशा हाथ लगी. व्यापारियों को उम्मीद थी कि लॉकडाउन से हुए नुकसान की भरपाई शायद इस त्योहारी मौसम में हो जाएगी, लेकिन ये उम्मीद महज सपना बनकर ही रह गई.
भले ही अनलॉक के बाद सभी व्यापार और उद्योगों में छूट मिल गई हो, लेकिन कोरोना का बढ़ता संक्रमण सभी वर्गों को लिए चुनौती बना हुआ है. कपड़ा व्यापारियों का ज्यादातर काम फिजकली होता है.
कोरोना की वजह से आधा हुआ व्यापार
मतलब ग्राहक पहले कपड़ों को पकड़कर चेक करते हैं, इसके बाद वो कपड़े को खरीदने और ना खरीदने का फैसला करते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा बना रहता है. हालांकि दुकानदारों ने सैनिटाइटर और सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था की हुई है. इसके बाद एक-दो ग्राहक ही दुकानों तक पहुंच रहे हैं. हालात ये हैं कि कपड़ा व्यापारियों को दुकानों का किराया देना भी मुश्किल हो गया है.
सरकार से राहत की उम्मीद
पहले जहां दुकानदारों को महीने में 5 लाख रुपये तक की कमाई हो जाती थी. अब वो घटकर 2 से ढ़ाई लाख रुपये ही रह गई है. त्योहार के सीजन में उन्हें 7 लाख रुपये तक की कमाई हर महीने हो जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से ये 3 से ऊपर नहीं गई. खुदरा कपड़ा व्यापारी रविंद्र कुमार ने कहा कि कमाई नहीं होने की वजह से ज्यादातर व्यापारियों ने दुकानों से स्टाफ कम कर दिया है. क्योंकि उनको अपना खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है. ऐसे में दुकानदारों ने सरकार से बिजली के बिलों और ब्याज में राहत की मांग की है. दुकानदारों के मुताबिक अगर यही हाल रहा तो वो ये व्यापार छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे.
एक बड़ी वजह ये भी है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से लाखों लोगों का रोजगार चला गया. ज्यादातर लोग अभी रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. लोगों के पास जो जमा पूंजी थी. उससे वो घर का खर्च चला रहे हैं. इस वजह से भी लोग कम खरीददारी कर रहे हैं. फिलहाल तो दुकानदार सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं.