कैथल: नौकरी से निकाले गए पीटीआई शिक्षकों के समर्थन में खिलाड़ी भी आ गए हैं. कैथल में बुधवार को खिलाड़ियों और पीटीआई शिक्षकों ने मिलकर खेल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका और जमकर नारेबाजी की. खिलाड़ियों ने मांग की है कि नौकरी ने निकाले गए पीटीआई शिक्षकों को जल्द से जल्द बहाल किया जाए.
खिलाड़ियों ने पीटीआई शिक्षकों का समर्थन करते हुए खेल मंत्री का पुतला बनाकर पूरे शहर में मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए एक यात्रा निकाली और उसके बाद लघु सचिवालय में पहुंचकर खिलाड़ियों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका.
सर्व कर्मचारी संघ के नेता सतवीर सिंह ने कहा कि ये खिलाड़ी हटाए गए पीटीआई शिक्षकों के समर्थन में आए हैं. खिलाड़ियों को डर है कि अगर पीटीआई शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो खिलाड़ी तैयार कैसे होंगे. उनकी ट्रेनिंग कैसे होगी.
क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?
दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की.याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.
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