कैथल: खेती में ज्यादा केमिकल के प्रयोग से किसान की फसल की पैदावार तो बढ़ रही है, लेकिन उससे धरती अस्वस्थ होती जा रही है. फसलों में भी अलग-अलग बीमारियां पैदा होने लगी हैं, ऐसे में कैथल के एक किसान धरती को पेस्टिसाइड से बचाने के लिए ऐसा नुस्खा तैयार किया कि मिट्टी के स्वास्थ्य पर असर भी नहीं पड़ा और पैदावार भी बढ़ा. इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति से भी सम्मान मिल चुका है.
कैथल के कैलरम गांव के किसान ईश्वर कुंडू ने ईटीवी पर बताया कि वह एक गरीब किसान हैं. उनके पास 2 एकड़ जमीन है. जिसमें परिवार का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो जाता है. इसलिए उन्होंने खेती के बजाए दुकानदारी का काम करने का सोचा.
ऐसे मिला ऑर्गेनिक खाद का आइडिया
ईश्वर सिंह ने कीटनाशकों की दुकान खोली. एक दिन एक कीटनाशक की दवाई से उनके शरीर में इंफेक्शन हो गया. ये इंफेक्शन इतना फैल गया की उनकी जींदगी खतरे में पड़ गई. काफी दिक्कतों के बाद उनका इलाज हो पाया.
बीमारी से ठीक होने के बाद ईश्वर कुंडू ने ठाना कि मैं कुछ ऐसा काम करूंगा जिससे किसानों को कीटनाशक दवाइयों से रुझान कम हो जाए और अपनी देसी नुक्से से तैयार दवाई अपने खेत में डालें. किसान की पैदावार भी अच्छी हो और उसकी मिट्टी की सेहत भी बनी रहे, ताकि आने वाली पीढ़ियां स्वस्थ रहे.
उन्होंने प्रयास शुरू किया और आयुर्वेदिक किताबों में पढ़ना शुरू किया. जिसके बाद उन्होंने कुछ ऐसी ऑर्गेनिक दवाई बनाई जो हमारी देसी आग धतूरा, तंबाकू, गुड़ जैसे कई चीजों को मिलाकर दवाई बनाई और अपने खेतों में उसका इस्तेमाल किया. इस दवाई का परीक्षण सफल भी हो गया.
कीटनाशक बेचने वालों कोर्ट ने केस भी किया
ईश्वर कुंडू ने कहा कि मैंने अपनी दवाइयों का प्रचार प्रसार करना शुरू किया और किसानों को फ्री में दवाइयां बांटने शुरू की, लेकिन केमिकल दवाइयों की दुकान करने वाले कुछ लोगों को यह रास नहीं आया. उन्होंने शिकायतें भी कई बार प्रशासन ने मुझे काफी तंग भी किया. एक बार तो प्रशासन ने उनका सारा सामान उठाकर जप्त कर लिया था. उसके बाद उन्होंने कोर्ट में केस किया और कोर्ट में जीत हो गई. उसके बाद फिर उन्होंने अपना प्रयास और ज्यादा तेज कर दिया.
एग्जीबिशन में जीत से मिला हौसला
उन्होंने 2005 में एक ऑर्गेनिक कंपनी के की तरफ से एक एग्जीबिशन लगाया गया. जहां वो भी अपने सारे प्रोडक्ट लेकर गया. उन्होंने ऐसे सभी प्रोडक्ट बना लिए थे, जिससे किसानों को केमिकल दवाइयों का प्रयोग ना करना पड़े. मिट्टी की सेहत सुधारने से लेकर कीटनाशकों तक सभी के लिए उन्होंने अपने खुद के प्रोडक्ट बनाएं और उन्हें वहां प्रथम इनाम मिला.
पूर्व राष्ट्रपति ने की थी तारीफ
उन्होंने कहा कि उसके बाद उनकी रेस और तेज हो गई. उन्हें 2005 में ही एक कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने प्रथम पुरस्कार दिया. उनके सभी उत्पादों की तारीफ की. ये सिलसिला निरंतर चलता गया और उन्होंने भारत ही नहीं विदेशों में भी अपनी देसी दवाइयों का उत्पाद बेचना शुरू किया.
आज 50 एकड़ जमीन के मालिक हैं ईश्वर सिंह
ईश्वर सिंह ने कहा कि मैंने ऐसे कई प्रथम इनाम प्राप्त किए जिसमें 50,00,000 रुपये तक की राशि प्राप्त की. अब लाखों किसानों के खेतों में मेरी बनाई हुई दवाइयां ही डाली जाती हैं. उनकी पैदावार भी इतनी अच्छी होती है. केमिकल वाली खेती की पैदावार कितनी अच्छी नहीं होती और आज यह दसवीं पास किसान लगभग 50 एकड़ जमीन का मालिक है. किसानों के हित में काम कर रहा है.
ये भी पढ़ें- PUBG बदलेगा नियम! हरियाणा-पंजाब हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कंपनी ने दी जानकारी