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जानें कैथल के मूंदड़ी गांव को क्यों मिला बेस्ट विलेज का अवॉर्ड

कैथल का मूंदड़ी गांव हरियाणा के अन्य गांवों के लिए एक मिसाल बनकर उभरा है. इस गांव को बेस्ट विलेज के अवॉर्ड से नवाजा गया है. इस गांव में लिंग अनुपात में काफी सुधार हुआ है. मूंदड़ी गांव में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले लगभग दोगुना है.

Mundri village of Kaithal received best village award
Mundri village of Kaithal received best village award
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Published : Mar 11, 2020, 10:30 AM IST

कैथल: मूंदड़ी गांव को लिंग अनुपात के चलते बेस्ट विलेज का अवॉर्ड मिला है. इस गांव में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले लगभग दोगुना है. ये गांव 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं' को सार्थक रुप देने में आगे रहा.

मूंदड़ी गांव को मिला बेस्ट विलेज का अवॉर्ड

मूंदड़ी गांव में लिंग अनुपात एक हजार लड़कों पर 1781 लड़कियां हैं. जिसके चलते मूंदड़ी को बेस्ट विलेज का अवॉर्ड मिला है. आकड़ों पर नजर डाले तो कैथल के मूंदड़ी गांव में 2018 में ज्यादा बेटियां ने जन्म लिया. इस गांव में आई लाडो की वजह से गांव को बेस्ट विलेज के अवॉर्ड से नवाजा गया है.

इस कारण मिला अवॉर्ड

इसके अलावा गांवों की बेटियों ने शिक्षा में भी अपनी अलग पहचान बनाते हुए बोर्ड की दसवीं परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर गांव का नाम रोशन किया. ग्राम पंचायत की सदस्य पूनम ने बताया कि इस उपलब्धि के लिए डीसी सुजान सिंह ने लिंगानुपात सुधार वाले गांव की सरपंच, पीएचसी एमओ, आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स को सम्मानित किया.

कैथल के मूंदड़ी गांव को मिला बेस्ट विलेज का अवार्ड, देखें वीडियो

लिंग अनुपात में किया लगातार सुधार

उन्होंने बताया कि साल 2018 में गांव में 32 बेटें और 57 बेटियों का जन्म हुआ था. इसके बाद गांव का लिंगानुपात का आंकड़ा एक हजार लड़कों के पीछे 1781 पर जा पहुंचा. इस सुधार ने आगे भी रफ्तार बनाए रखी. 2019 में भी लड़कों के मुकाबले में बेटियों का जन्म ज्यादा हुआ. ग्राम पंचायत में कार्यरत आशा वर्कर ने बताया कि इस वर्ष में भी बेटियों का जन्म ज्यादा हुई.

चलाया था जागरुकता अभियान

उन्होंने बताया कि साल 2018 में लोगों ने मिलकर बेटी बचाओ के प्रति जागरुकता अभियान चलाया था, इस मुहिम मुंदड़ी के संरपच और सभी लोगों ने साथ दिया था. सरपंच सुभाष ने बताया कि गांव की महिलाओं की टीम बनाकर बेटी के जन्म को लेकर प्रचार करवाया गया. इस प्रचार में कहा कि गया कि जो भी गर्भवती महिला हैं उनका ठीक से ख्याल रखा जाए. उसका टीकाकरण दवाई समय पर हो और इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोई गर्भपात न करवाएं.

यहां बेटी है बेटों से ऊपर

आपको बता दें कि इस गांव में गर्भपात करवाना अशुभ माना जाता है. इसी वजह से आज तक इस गांव में लड़कियों की भ्रूण हत्या का एक भी मामला नहीं आया. गांव मुंदड़ी में बेटियों और बेटों को समान माना जाता है.

गांव लोगों ने दिया पोजिटीव संदेश

गांव के लोगों का कहना है कि अगर बेटियां नहीं बचाएंगे तो बहू कहां से आएंगे. काफी बुरा लगता है, जब हमारे गांव के लोग दूसरे राज्यों से लड़कियां लेकर आते हैं. इस गांव के लोग सभी बेटियों को पढ़ाते हैं. अच्छी शिक्षा देते हैं. वहीं गांव के लोगों को का कहना है कि गांव में खेल के लिए कोई स्टेडियम नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर स्टेडियम की सुविधा हो तो खेलों में भी हमारे गांव की बेटियां देश का नाम रोशन करेगी.

ये भी जानें- पलवल में किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मिलेगा अनुदान

गांव के लोगों की ये मांग है

इस गांव के लोगों ने मांग की है कि गांव में लड़कियों का अलग स्कूल होना चाहिए और कॉलेज भी होना चाहिए, ताकि बेटियां सुरक्षित भी रहे और शिक्षित भी हो. गौरतलब है कि इस गांव में सभी लड़कियां स्कूल जाती है. इससे पता चलता है कि इस मूंदड़ी गांव के लोग बेटियों को लेकर काफी जागरुक है.

कैथल: मूंदड़ी गांव को लिंग अनुपात के चलते बेस्ट विलेज का अवॉर्ड मिला है. इस गांव में लड़कियों की संख्या लड़कों के मुकाबले लगभग दोगुना है. ये गांव 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं' को सार्थक रुप देने में आगे रहा.

मूंदड़ी गांव को मिला बेस्ट विलेज का अवॉर्ड

मूंदड़ी गांव में लिंग अनुपात एक हजार लड़कों पर 1781 लड़कियां हैं. जिसके चलते मूंदड़ी को बेस्ट विलेज का अवॉर्ड मिला है. आकड़ों पर नजर डाले तो कैथल के मूंदड़ी गांव में 2018 में ज्यादा बेटियां ने जन्म लिया. इस गांव में आई लाडो की वजह से गांव को बेस्ट विलेज के अवॉर्ड से नवाजा गया है.

इस कारण मिला अवॉर्ड

इसके अलावा गांवों की बेटियों ने शिक्षा में भी अपनी अलग पहचान बनाते हुए बोर्ड की दसवीं परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर गांव का नाम रोशन किया. ग्राम पंचायत की सदस्य पूनम ने बताया कि इस उपलब्धि के लिए डीसी सुजान सिंह ने लिंगानुपात सुधार वाले गांव की सरपंच, पीएचसी एमओ, आशा और आंगनबाड़ी वर्कर्स को सम्मानित किया.

कैथल के मूंदड़ी गांव को मिला बेस्ट विलेज का अवार्ड, देखें वीडियो

लिंग अनुपात में किया लगातार सुधार

उन्होंने बताया कि साल 2018 में गांव में 32 बेटें और 57 बेटियों का जन्म हुआ था. इसके बाद गांव का लिंगानुपात का आंकड़ा एक हजार लड़कों के पीछे 1781 पर जा पहुंचा. इस सुधार ने आगे भी रफ्तार बनाए रखी. 2019 में भी लड़कों के मुकाबले में बेटियों का जन्म ज्यादा हुआ. ग्राम पंचायत में कार्यरत आशा वर्कर ने बताया कि इस वर्ष में भी बेटियों का जन्म ज्यादा हुई.

चलाया था जागरुकता अभियान

उन्होंने बताया कि साल 2018 में लोगों ने मिलकर बेटी बचाओ के प्रति जागरुकता अभियान चलाया था, इस मुहिम मुंदड़ी के संरपच और सभी लोगों ने साथ दिया था. सरपंच सुभाष ने बताया कि गांव की महिलाओं की टीम बनाकर बेटी के जन्म को लेकर प्रचार करवाया गया. इस प्रचार में कहा कि गया कि जो भी गर्भवती महिला हैं उनका ठीक से ख्याल रखा जाए. उसका टीकाकरण दवाई समय पर हो और इस बात का ध्यान रखा जाए कि कोई गर्भपात न करवाएं.

यहां बेटी है बेटों से ऊपर

आपको बता दें कि इस गांव में गर्भपात करवाना अशुभ माना जाता है. इसी वजह से आज तक इस गांव में लड़कियों की भ्रूण हत्या का एक भी मामला नहीं आया. गांव मुंदड़ी में बेटियों और बेटों को समान माना जाता है.

गांव लोगों ने दिया पोजिटीव संदेश

गांव के लोगों का कहना है कि अगर बेटियां नहीं बचाएंगे तो बहू कहां से आएंगे. काफी बुरा लगता है, जब हमारे गांव के लोग दूसरे राज्यों से लड़कियां लेकर आते हैं. इस गांव के लोग सभी बेटियों को पढ़ाते हैं. अच्छी शिक्षा देते हैं. वहीं गांव के लोगों को का कहना है कि गांव में खेल के लिए कोई स्टेडियम नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर स्टेडियम की सुविधा हो तो खेलों में भी हमारे गांव की बेटियां देश का नाम रोशन करेगी.

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गांव के लोगों की ये मांग है

इस गांव के लोगों ने मांग की है कि गांव में लड़कियों का अलग स्कूल होना चाहिए और कॉलेज भी होना चाहिए, ताकि बेटियां सुरक्षित भी रहे और शिक्षित भी हो. गौरतलब है कि इस गांव में सभी लड़कियां स्कूल जाती है. इससे पता चलता है कि इस मूंदड़ी गांव के लोग बेटियों को लेकर काफी जागरुक है.

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