ETV Bharat / state

किसानों से जानिए, धान की जगह वैकल्पिक खेती मक्का कितनी फायदेमंद - मक्के फसल फायदे हरियाणा

गिरते जलस्तर को देखते हुए कई किसान धान की जगह मक्के की खेती करना चाहते हैं. मक्के की फसल धान की खेती से कितनी भिन्न हैं और इसको उगाने से किसानों को कितना लाभ होगा. जानें इस रिपोर्ट में

Maize farming Benefit in haryana
हरियाणा में मक्के की खेती
author img

By

Published : Jun 6, 2020, 8:47 PM IST

कैथल: हरियाणा में गिरते भूमिगत जलस्तर रोकने के लिए सरकार ने किसानों से धान की खेती छोड़ने की अपील की है. राज्य में 18 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं. जहां पर भूमिगत पानी काफी नीचे चला गया है. धान की जगह किसानों से वैकल्पिक खेती करने की सलाह दी जा रही है. मक्का प्रमुख फसल है जिसे किसान धान की जगह चुन रहे हैं.

कैथल कृषि उपनिदेशक डॉक्टर करमचंद ने बताया कि धान के बाद मक्का लाभकारी फसल है. मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये है. उन्होंने कहा कि कीमत में 18 रुपये का अंतर है. लेकिन धान की लागत मक्के से दोगुनी होती है.

धान की जगह वैकल्पिक खेती मक्का कितनी फायदेमंद, क्लिक कर देखें वीडियो

सिंचाई कम

करमचंद ने बताया कि धान की खेती में ज्यादा पानी लगता है. धान की फसल तैयार करने में 28-40 बार सिंचाई करनी पड़ती हैं. मक्के की फसल में 4-5 बार पानी लगता है. धान की जगह मक्के की फसल लगाने से 75 फीसदी पानी की बचत है. करमचंद ने बताया मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत अगर कोई किसान मक्के की खेती करता है तो उसके खात में 7 हजार रुपये डाले जाएंगे.

उन्होंने बताया कि किसान को मक्का लगाने से पहले हाइब्रिड बीज का चयन करना चाहिए. क्योंकि हाइब्रिड बीज की कंपनी क्लेम करती है कि 1 एकड़ से लगभग 25 क्विंटल पैदावार होती है.

धान की खेती से आसान

उन्होंने बताया कि धान की खेती करने से पहले धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. जिसके बाद मजदूरों के द्वारा नर्सरी उखाड़कर खेत में लगाई जाती है और उसमें खरपतवार और कीटनाशक दवाइयों का भी ज्यादा छिड़काव किया जाता है. उसके बाद जब धान की फसल पककर तैयार हो जाती है तो कटाई के समय भी काफी खर्च आता है और लेबर की समस्या बनी रहती है. जबकि मक्के पर इतना खर्च किसान का नहीं होता.

मक्का लगाने का तरीका

उन्होंने बताया कि बीज प्लांटर मशीन के द्वारा ही मक्के की बिजाई करनी चाहिए. इसमें मेड़ से मेड़ की दूरी 1 फुट की होती है और बीज से बीज की दूरी 8 सेंटीमीटर की होती है.

अगर किसान हाथ से भी मक्का लगाना चाहे तो पहले मेड़ बनाकर लगा सकते हैं. 8 सेंटीमीटर बीज से बीज की दूरी रखनी है. बिजाई पूर्व से पश्चिम और मेड़ बनाकर ही करनी चाहिए. ताकि जब तेज हवाएं आएं तो इसमें हवा के कारण ये गिरे नहीं. मेड़ इसलिए बनाई जाती है कि अगर बरसात हो जाए तो मेड़ों द्वारा पानी बाहर निकाल दिया जाए.

पराली जलाने से छुटकारा

धान काटने के बाद पराली की समस्या किसानों के सामने बनती है और वो मजबूरन उसमें आग लगाते हैं. मक्का की फसल लगाने से किसानों की ये समस्या भी समाप्त हो जाएगी.

किसानों की राय

जब किसानों से ईटीवी भारत ने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हम धान की जगह मक्का की खेती करने को तैयार हैं. लेकिन सरकार को इसका मुल्य बढ़ाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी का आरोप, सोनाली फोगाट ने बंदूक के बल पर लिखवाया माफीनामा

कैथल: हरियाणा में गिरते भूमिगत जलस्तर रोकने के लिए सरकार ने किसानों से धान की खेती छोड़ने की अपील की है. राज्य में 18 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं. जहां पर भूमिगत पानी काफी नीचे चला गया है. धान की जगह किसानों से वैकल्पिक खेती करने की सलाह दी जा रही है. मक्का प्रमुख फसल है जिसे किसान धान की जगह चुन रहे हैं.

कैथल कृषि उपनिदेशक डॉक्टर करमचंद ने बताया कि धान के बाद मक्का लाभकारी फसल है. मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये है. उन्होंने कहा कि कीमत में 18 रुपये का अंतर है. लेकिन धान की लागत मक्के से दोगुनी होती है.

धान की जगह वैकल्पिक खेती मक्का कितनी फायदेमंद, क्लिक कर देखें वीडियो

सिंचाई कम

करमचंद ने बताया कि धान की खेती में ज्यादा पानी लगता है. धान की फसल तैयार करने में 28-40 बार सिंचाई करनी पड़ती हैं. मक्के की फसल में 4-5 बार पानी लगता है. धान की जगह मक्के की फसल लगाने से 75 फीसदी पानी की बचत है. करमचंद ने बताया मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत अगर कोई किसान मक्के की खेती करता है तो उसके खात में 7 हजार रुपये डाले जाएंगे.

उन्होंने बताया कि किसान को मक्का लगाने से पहले हाइब्रिड बीज का चयन करना चाहिए. क्योंकि हाइब्रिड बीज की कंपनी क्लेम करती है कि 1 एकड़ से लगभग 25 क्विंटल पैदावार होती है.

धान की खेती से आसान

उन्होंने बताया कि धान की खेती करने से पहले धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. जिसके बाद मजदूरों के द्वारा नर्सरी उखाड़कर खेत में लगाई जाती है और उसमें खरपतवार और कीटनाशक दवाइयों का भी ज्यादा छिड़काव किया जाता है. उसके बाद जब धान की फसल पककर तैयार हो जाती है तो कटाई के समय भी काफी खर्च आता है और लेबर की समस्या बनी रहती है. जबकि मक्के पर इतना खर्च किसान का नहीं होता.

मक्का लगाने का तरीका

उन्होंने बताया कि बीज प्लांटर मशीन के द्वारा ही मक्के की बिजाई करनी चाहिए. इसमें मेड़ से मेड़ की दूरी 1 फुट की होती है और बीज से बीज की दूरी 8 सेंटीमीटर की होती है.

अगर किसान हाथ से भी मक्का लगाना चाहे तो पहले मेड़ बनाकर लगा सकते हैं. 8 सेंटीमीटर बीज से बीज की दूरी रखनी है. बिजाई पूर्व से पश्चिम और मेड़ बनाकर ही करनी चाहिए. ताकि जब तेज हवाएं आएं तो इसमें हवा के कारण ये गिरे नहीं. मेड़ इसलिए बनाई जाती है कि अगर बरसात हो जाए तो मेड़ों द्वारा पानी बाहर निकाल दिया जाए.

पराली जलाने से छुटकारा

धान काटने के बाद पराली की समस्या किसानों के सामने बनती है और वो मजबूरन उसमें आग लगाते हैं. मक्का की फसल लगाने से किसानों की ये समस्या भी समाप्त हो जाएगी.

किसानों की राय

जब किसानों से ईटीवी भारत ने इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हम धान की जगह मक्का की खेती करने को तैयार हैं. लेकिन सरकार को इसका मुल्य बढ़ाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- मार्केट कमेटी के सेक्रेटरी का आरोप, सोनाली फोगाट ने बंदूक के बल पर लिखवाया माफीनामा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.