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कैथल का लव कुश तीर्थ स्थल हुआ बदहाल, करोड़ों रुपये की ग्रांट के बाद भी नहीं कोई व्यवस्था - Pilgrimage site in Kaithal

लव कुश तीर्थ स्थल कैथल के मुंदड़ी गांव में स्थित है. सही देखरेख और रखरखाव ना होने की वजह से लव कुश तीर्थ स्थल की ही हालत जर्जर होती जा रही है.

Luv Kush tirth kaithal Mundri
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Published : Sep 11, 2019, 11:01 AM IST

कैथल: जिले के मुंदड़ी गांव का लव कुश तीर्थ स्थल बदहाल है. कुरुक्षेत्र की 48 कोस की भूमि के अंदर आने वाला लव कुश तीर्थ स्थल इन दिनों बद से बदतर होता जा रहा है. शिकायत के बाद भी सरकार और प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. जिसकी वजह से तीर्थ स्थल की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है.

बदहाल है लव कुश तीर्थ स्थल
बीजेपी सरकार ने कुरुक्षेत्र के 48 कोस की भूमि के अंदर आने वाले करीब 250 तीर्थ स्थलों की लिस्ट बनाई थी. सरकार ने इन 250 तीर्थों का जीर्णोंद्धार करने का फैसला किया था, इसके लिए सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये की राशि भी कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को दी. लेकिन कैथल के इस लव कुश तीर्थ की हालत सरकार के दावों के विपरीत है.

वीडियो पर क्लिक कर देखें लव कुश तीर्थ की दयनीय हालत

ग्रांट के बाद खस्ता हालत
लव कुश तीर्थ स्थल कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अंतर्गत आता है. ग्रामीणों के मुताबिक ना तो किसी अधिकारी ने इसकी सुध ली और ना सरकार के किसी प्रतिनिधि ने. इस विकास तीर्थ के लिए करोड़ों रुपये की ग्रांट भी सरकार की तरफ से दी गई, लेकिन उसका कोई पता नहीं क्योंकि लव कुश तीर्थ स्थल की हालत खस्ता ही है.

खराब हुआ तालाब का पानी
तीर्थ में स्थित तालाब का पानी अब खराब हो चुका है. ग्रामीणों के मुताबिक शिकायत के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों के मुताबिक ये बड़ी शर्म की बात है कि इतना प्रसिद्ध लवकुश तीर्थ स्थल बदहाल है. ना तो कोई यहां साफ सफाई का ध्यान रखता है और ना ही इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई कदम उठाया गया है.

ये है मान्यता
मान्यता है कि लवकुश तीर्थ के तालाब के पानी ने बीमार पशु ठीक हो जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक लव कुश ने इसी स्थल पर भगवान राम के घोड़े को पकड़कर उनकी चुनौति को स्वीकार किया था. इसलिए यहां उनके नाम पर मंदिर और तीर्थ स्थल बनाया गया है. जो अब बदहाल है.

ये भी पढ़ें- किस्सा हरियाणे का: यहां रखे हैं गुरु गोबिंद सिंह जी के 300 साल पुराने जूते

क्या है 48 कोस भूमि?
कुरुक्षेत्र में महाभारत के बाद प्रभावित इलाकों का चयन कर उसे 48 कोस का नाम दिया गया है. इस 48 कोस में करीब 250 तीर्थ स्थल आते हैं. सरकार इसके लिए बजट जारी करती है. हैरानी की बात तो ये है कि ज्यादातर तीर्थ स्थलों की हालत खराब ही है.

कैथल: जिले के मुंदड़ी गांव का लव कुश तीर्थ स्थल बदहाल है. कुरुक्षेत्र की 48 कोस की भूमि के अंदर आने वाला लव कुश तीर्थ स्थल इन दिनों बद से बदतर होता जा रहा है. शिकायत के बाद भी सरकार और प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. जिसकी वजह से तीर्थ स्थल की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है.

बदहाल है लव कुश तीर्थ स्थल
बीजेपी सरकार ने कुरुक्षेत्र के 48 कोस की भूमि के अंदर आने वाले करीब 250 तीर्थ स्थलों की लिस्ट बनाई थी. सरकार ने इन 250 तीर्थों का जीर्णोंद्धार करने का फैसला किया था, इसके लिए सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये की राशि भी कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को दी. लेकिन कैथल के इस लव कुश तीर्थ की हालत सरकार के दावों के विपरीत है.

वीडियो पर क्लिक कर देखें लव कुश तीर्थ की दयनीय हालत

ग्रांट के बाद खस्ता हालत
लव कुश तीर्थ स्थल कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अंतर्गत आता है. ग्रामीणों के मुताबिक ना तो किसी अधिकारी ने इसकी सुध ली और ना सरकार के किसी प्रतिनिधि ने. इस विकास तीर्थ के लिए करोड़ों रुपये की ग्रांट भी सरकार की तरफ से दी गई, लेकिन उसका कोई पता नहीं क्योंकि लव कुश तीर्थ स्थल की हालत खस्ता ही है.

खराब हुआ तालाब का पानी
तीर्थ में स्थित तालाब का पानी अब खराब हो चुका है. ग्रामीणों के मुताबिक शिकायत के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों के मुताबिक ये बड़ी शर्म की बात है कि इतना प्रसिद्ध लवकुश तीर्थ स्थल बदहाल है. ना तो कोई यहां साफ सफाई का ध्यान रखता है और ना ही इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई कदम उठाया गया है.

ये है मान्यता
मान्यता है कि लवकुश तीर्थ के तालाब के पानी ने बीमार पशु ठीक हो जाते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक लव कुश ने इसी स्थल पर भगवान राम के घोड़े को पकड़कर उनकी चुनौति को स्वीकार किया था. इसलिए यहां उनके नाम पर मंदिर और तीर्थ स्थल बनाया गया है. जो अब बदहाल है.

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क्या है 48 कोस भूमि?
कुरुक्षेत्र में महाभारत के बाद प्रभावित इलाकों का चयन कर उसे 48 कोस का नाम दिया गया है. इस 48 कोस में करीब 250 तीर्थ स्थल आते हैं. सरकार इसके लिए बजट जारी करती है. हैरानी की बात तो ये है कि ज्यादातर तीर्थ स्थलों की हालत खराब ही है.

Intro:बदहाली के आंसू रो रहा कैथल के गांव मूंदड़ी में बना लव कुश तीर्थ


Body:अगर हम कैथल शहर की बात करें या पूरे जिले की बात करें इसको धार्मिक नगरी कहा जाता है क्योंकि यह जिला कुरुक्षेत्र की 48 कोस की भूमि के अंतर्गत आता है और भाजपा सरकार द्वारा लगभग 250 ऐसे तीर्थ की लिस्ट बनाई गई थी जिनका जीणोद्धार करने के लिए सरकार ने एक निर्णय लिया था।
सरकार द्वारा हर तीर्थ को करोड़ों की राशि सरकार द्वारा दी गई यह राशि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अंतर्गत इन तीर्थों पर लगाई गई ऐसे ही एक तीर्थ की बात आज हम करते हैं जो कैथल जिले के गांव मूंदड़ी में है जिसका नाम है लव कुश तीर्थ।

भाजपा सरकार विकास के बहुत बड़े बड़े दावे करती है और जनता को बताते हैं कि हमने करोड़ों का बजट बड़े-बड़े धार्मिक प्रोजेक्ट में लगाया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है आज हम आपको बताते हैं कैथल के गांव मुंदड़ी में बने लव कुश तीर्थ के बारे में।
जब हमने ग्राम वासियों से बात की तो उन्होंने कहा कि हम अपने बचपन से ही इस तीर्थ को देखते आ रहे हैं और हमारी कई पीढ़ियों ने इस तीर्थ को देखा है।। ग्रामवासियों का मानना है कि यहां पर तालाब में स्नान करने की काफी मान्यता है। अगर कोई व्यक्ति या अन्य प्राणी इस तीर्थ में बने तालाब में स्नान कर तो उनको पुण्य की प्राप्ति होती है और कैसी भी नजर हो वो दूर हो जाती है।
वही ग्रामवासियों ने बताया कि भगवान श्रीराम ने अश्वमेग यंग करके अश्वमेघ घोड़ा छोड़ा था यहां पर लवकुश ने उसको पकड़ा था। यही पर सीता माता की एक कुई भी जहा वो स्नान करती थी।
इस तीर्थ की काफी मान्यता है लेकिन अब यह तीर्थ बदहाली के आंसू रो रहा है।

ईटीवी भारत के टीम जब लव कुश तीर्थ पर पहुंचे तो वहां पर हमने काफी खराब व्यवस्था देखी। जिसको हमने अपने कैमरे में कैद किया । वहां पर तालाब का पानी बिल्कुल खराब हो चुका है उसमें काई व घास उग चुके हैं। और तालाब के पानी में पॉलिथीन कूड़ा कचरा तक हमें मिले जब हमने तीर्थ पर बने मंदिर के पुजारी से बात करनी चाही तो हमें मौके पर पुजारी नहीं मिले तो वहीं पर बैठे कुछ ग्राम वासियों से हमने बात की तो उन्होंने कहा कि यह हमारे गांव के और शहर और पूरे प्रदेश के लिए दुर्भाग्य की बात है कि जिस तीर्थ की इतनी मान्यता है आज वह बहुत खराब हालत में है ईटीवी भारत की टीम ने जब उनसे पूछा कि क्या कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का कोई अधिकारी या कर्मचारी आपके गांव में इस तीर्थ पर दौरा करने के लिए आता है उन्होंने कहा कि यहां पर कोई भी अधिकारी व कर्मचारी इसकी देखरेख करने के लिए नहीं आते ही ना ही यहां पर कोई चौकीदार रखा गया है।
वहीं पर साफ-सफाई का भी कोई ध्यान तीर्थ पर नहीं रखा गया जगह-जगह पर पशुओं के गोबर हमें दिखाई दिए और वहां का फर्श व टाइलें भी टूटी हुई दिखाई दी।
दिन में भी तीर्थ की लाइट जली हुई थी जिससे कहीं ना कहीं बिजली का बिल उपयोग वहां पर किया जा रहा है और बिजली की तारों को भी हमने वहां पर बिना किसी सुरक्षा के देखा बिजली की तारों के ऊपर से कोई भी कवर नहीं लगाया गया अगर कोई बच्चा वहां पर चला जाए और उनको हाथ लगाए तो वहां पर कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है और बारिश के समय में भी तीर्थ पर पानी होने के कारण व दीवारें गीली होने के कारण करंट आ सकता है जिससे किसी ग्रामवासी या वहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की जान तक जा सकती है।


Conclusion:हालांकि सरकार बहुत बड़े-बड़े दावे करती है कि हम 48 कोस की भूमि में लगभग 250 तीर्थो का जीणोद्धार कर रहे हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है जो आज ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हुई। अब सोचने वाली बात यह है कि जो भाजपा सरकार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के द्वारा इन तीर्थों पर करोड़ों की राशि लगाने के दावे करती है वह सभी पैसा कहां जाता है या तो वह कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधिकारियों की जेब में जाता है या प्रदेश के विधायक व मंत्रियों के खाते में जाता है।

ईटीवी भारत के लिए कैथल से मुनीश कुमार
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